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India Made Kamikaze Drone: रूस-यूक्रेन युद्ध से लेकर इजरायल-हमास युद्ध में जमकर प्रयोग हुए कामिकेज ड्रोन का भारत ने खुद की लैब में बना लिया है. बताया जाता है कि इस तरह के ड्रोन की रेंड 1 हजार किलोमीटर तक होती है, यानी दुश्मन के घर में घुसकर अपने लक्ष्य को भेदने में ये सक्षम होते हैं. डिफेंस के क्षेत्र में भारत के लिए इसे बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है.
कामिकेज ड्रोन के बारे में कहा जाता है कि खुद को दुश्मन के पास पहुंचने के बाद उड़ा देते हैं, इसीलिए इन्हें सेल्फ डेस्ट्रक्टिव हैं यानी आत्म-विनाशकारी ड्रोन कहा जाता है. भारत के नेशनल एयरोस्पेस लेबोरेटरीज (NAL) ने भारतीय कामिकेज ड्रोन विकसित किया है. ये ड्रोन पूरी तरह से स्वदेशी हैं, इनके इंजन भी स्वदेशी होंगे, जो 1000 किमी की रेंज देते हैं.
दुश्मन के पास पहुंचने पर फट जाता है विस्फोटक
एनएएल के निदेशक अभय पशिलकर ने कामिकेज ड्रोन प्रोजेक्ट को लीड किया है. उनका मानना है कि इस तरह के ड्रोन युद्ध लड़ने में नए तरह के कौशल को जोड़ा है. इन ड्रोन को बनाने में लागत कम आती है और काफी इफेक्टिव हैं. बगैर इंसान के एक निश्चित ऊंचाई पर उड़ते हैं. ये ड्रोन विस्फोटक के साथ अपने लक्ष्य के चारों को घूमते हैं और करीब में पहुंचने पर विस्फोट कर देते हैं.
🇮🇳🛰Indian Army gets first indigenous reusable Nagastra-1 suicide drones
🛠Developed by Nagpur-based Economics Explosives Ltd (EEL), the Nagastra -1 in ‘kamikaze mode’ can #neutralise any hostile #threat, including enemy training camps, launch pads and infiltrators, with a… pic.twitter.com/wbAl3R1A6y
— Sputnik India (@Sputnik_India) June 14, 2024
100 किलो तक भार ले जा सकता है कामिकेज ड्रोन
कामिकेज ड्रोन को एक कमांड सेंटर में बैठकर कंट्रोल किया जाता है, इसमें 30 एचपी के इंजन लगे होते हैं. ड्रोन अपने साथ 100 से 120 किलोग्राम के भार को लेकर आसानी से उड़ सकते हैं. इसमें 30 से 40 किलो के विस्फोटक भी शामिल हो सकते हैं. भारतीय कामिकेज ड्रोन बनाने वाली प्रयोगशाला नेशनल एयरोस्पेस लेबोरेटरीज की स्थापना साल 1959 की गई थी.
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