[ad_1]
नई दिल्ली: शेख हसीना ने पीएम की कुर्सी छोड़ दी, देश छोड़ दी मगर मुसीबत साथ नहीं छोड़ रहा. शेख हसीना अभी भारत में हैं, मगर बांग्लादेश की मुसीबत से उनका नाता नहीं टूट रहा है. अब शेख हसीना के सामने नई मुसीबत खड़ी हुई है. यह मुसीबत लेकर आए हैं आलिफ के अब्बू बुलबुल कबीर. जी हां, आरिफ अहम सियाम के अब्बू बुलबुल कबीर ने ऐसा कदम उठाया है, जिससे शेख हसीना को जेल भी जाना पड़ सकता है. 5 अगस्त को पुलिस फायरिंग में अपने स्कूली बेटे को खो देने वाले बुलबुल कबीर ने ने बुधवार को बांग्लादेश के इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल (ICT) का दरवाजा खटखटाया.
आरिफ अहम सियाम के अब्बू बुलबुल कबीर ने बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के खिलाफ केस दर्ज कराया है. बुलबुल कबीर ने शेख हसीना के अलावा, अन्य 8 लोगों पर शिकायत दर्ज कराई है. शिकायत में शेख हसीना पर उनकी सरकार के खिलाफ छात्रों के बड़े पैमाने पर आंदोलन के दौरान नरसंहार और मानवता के खिलाफ अपराध करने का आरोप लगाया गया है. इस प्रदर्शन के दौरान ही पीड़ित बुलबुल कबीर के बेटे आरिफ अहम सियाम की मौत हुई थी.
बुलबुल कबीर ने बढ़ाई हसीना की मुसीबत
दरअसल, आलिफ अहमद सियाम 9वीं कक्षा का छात्र था. बांग्लादेश सुप्रीम कोर्ट के वकील गाजी एमएच तनीम ने बुधवार को पीड़ित पिता बुलबुल कबीर की ओर से शिकायत दर्ज कराई. आलिफ की ढाका जिले के सावर में प्रदर्शन के दौरान पुलिस की गोली लगने के दो दिन बाद 7 अगस्त को मौत हो गई थी. बता दें कि बांग्लादेश में 15 जुलाई से ही प्रदर्शन शुरू हो गया था.
आईसीटी यानीइंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल की जांच एजेंसी के एक अधिकारी ने भी शिकायत की पुष्टि की है. अब शेख हसीना के खिलाफ जांच शुरू हो गई है.
कहां होगी मामले की सुनवाई
बता दें कि शेख हसीना के खिलाफ यह शिकायत ऐसे समय में दर्ज कराई गई है, जब बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने कहा कि एक जुलाई से पांच अगस्त के बीच की अवधि में की गई हत्याओं की सुनवाई इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल यानी अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण द्वारा की जाएगी. बुलबुल की शिकायत में 76 वर्षीय शेख हसीना और अन्य पर 15 जुलाई से पांच अगस्त के बीच सामूहिक हत्याकांड को अंजाम देने का आरोप लगाया गया है.
अब शेख हसीना का क्या होगा
प्रक्रिया के अनुसार, एजेंसी को शिकायतों की जांच करनी होगी और फिर आईसीटी-बांग्लादेश के समक्ष मामला दर्ज करना होगा, जिसका गठन मूल रूप से 1971 के मुक्ति संग्राम के दौरान पाकिस्तानी सैनिकों का साथ देने वाले बांग्ला भाषी अपराधियों पर मुकदमा चलाने के लिए किया गया था. शिकायत में हसीना की अवामी लीग के महासचिव और पूर्व सड़क परिवहन मंत्री ओबैदुल कादर, पूर्व गृह मंत्री असदुज्जमां खान कमाल, पूर्व सूचना एवं प्रसारण कनिष्ठ मंत्री मोहम्मद अली अराफात समेत कई वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों का नाम भी शामिल है.
बांग्लादेश में क्यों हुआ बवाल
गौरतलब है कि पांच अगस्त को शेख हसीना सरकार के पतन के बाद देश भर में भड़की हिंसा की घटनाओं में बांग्लादेश में 230 से अधिक लोगों की मौत हुई थी. नौकरियों में विवादास्पद आरक्षण प्रणाली के खिलाफ छात्रों के आंदोलन से शुरू हुई हिंसा के तीन सप्ताह के दौरान मरने वालों की संख्या 560 हो गई है. शेख हसीना को बवाल के बाद देश छोड़कर भागना पड़ा था और अभी वह भारत की शरण में हैं.
Tags: Bangladesh, Sheikh hasina
FIRST PUBLISHED : August 15, 2024, 14:21 IST
[ad_2]
Source link