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नवजात बच्चे के साथ प्रसूता ज्योति ।
टोंक महिला अस्पताल में उस समय हंगामा हो गया। जब बुधवार शाम को जन्मे दो नवजात शिशुओं (लड़का, लड़की) की गुरुवार सुबह अदला-बदली हो गई। बाद में दोनों प्रसूता लड़के को अपना बेटा बताते हुए अस्पताल प्रशासन से बच्चा मांगती रहीं। कोतवाली पुलिस भी मौके पर आई और स
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करीब चार घंटे की मशक्क्त के बाद दोपहर को अस्पताल प्रबंधन ने रिकॉर्ड के मुताबिक उसके असली मां को उसके सुपुर्द कर दिया। दूसरी प्रसूता को बच्ची सौंपी। उसके बाद अस्पताल प्रबंधन ने भी राहत की सांस ली।
दरअसल, रात करीब आठ बजे टोंक जिले के सूथड़ा और चोरपुरा (गैरोली) से दो प्रसूताओं को लेबर पैन के बाद परिजनों ने जिला मुख्यालय पर महिला अस्पताल में भर्ती कराया। जहां रात को 7:45 बजे से 8 बजे के बीच दोनों का प्रसव हुआ। इस दौरान जब जन्मे लड़के को लेकर बाहर कार्मिक आई तो चोरपुरा (गरौली) निवासी प्रसूता के परिजन से उस बच्चे को लेकर चले गए। जबकि वह बच्चा सूथड़ा की रहने वाली प्रसूता का था। बाद में चोरपुरा (गरौली) निवासी प्रसूता की जन्मी बच्ची सूथड़ा की रहने वाली के परिजन लेकर चले गए।
गुरुवार सुबह करीब आठ बजे दोनों बच्चों को टीके लगवाने के लिए अस्पताल के टीका कक्ष में ले जाया गया और डॉक्यूमेंट मिलान हुआ। तो इस पूरी घटनाक्रम का पता चला। चोरपुरा गैरोली की प्रसूता के परिजनों और पति को इस बारे में जानकारी मिली। तो उन्होंने इस पर आपत्ति दर्ज करवाते हुए बच्चे को अपना बताया और बच्चा देने की मांग की। साथ ही इसके लिए ब्लड और डीएनए टेस्ट की मांग भी की। बाद में अस्पताल प्रबंधन ने पुलिस की मौजूदगी में दोनों पक्ष के सामने रिकॉर्ड चेक किया। इसमें चोरपुरा (गरौली) निवासी पूजा के बच्ची और सूथड़ा की रहने वाली ज्योति के लड़का होना पाया गया। उसके बाद दोनों पक्ष के परिजन राजी हुए और नवजात बच्ची दोपहर करीब 12 बजे पूजा के परिजनों के सुपुर्द कर दिया। बच्चा ज्योति के पास रहा।
बच्चे की अदला बदली पर नचे बवाल के बाद जनाना अस्पताल में लगी भीड़
अंदर कोई अदला- बदली नहीं हुई
महिला अस्पताल (सआदत), टोंक की लेबर रूम प्रभारी डॉ. बिंदु गुप्ता ने बताया कि लेबर रूम में कोई अदला बदली नहीं हुई है। लेबर रूम के रिकॉर्ड के अनुसार बच्चा ज्योति के हुआ है। जबकि बच्ची पूजा के हुई है। दोनोें पक्ष को समझा दिया गया है।
हर कोई बेटा चाहता है।
डॉक्टर बिंदु गुप्ता ने बताया ने कि बेटे की चाहत में लोग ऐसा करते हैं। अस्पताल के रिकॉर्ड में फिंगर लिए जाते हैं। अन्य औपचारिकता पूरी होते ही संबंधित परिजनों को बुलाकर उनके सुपुर्द नवजात किया जाता है। लेकिन कभी जानबूझ कर कोई ऐसा नहीं करता है। कभी भूलवश परिजनों से ऐसी गलती हो जाती है।
रिकार्ड चेक करने पर पता चला
बच्ची की मां पूजा ने बताया था कि मुझे पता नहीं था। लेकिन टीका लगवाने के बाद जब रिकार्ड चेक किया गया। तो उसमें सामने आया कि मेरे बच्ची जन्मी है। इसके बाद मेरे परिजन मान गए और हम बच्ची को लेकर चले आए।
वहीं, दूसरी महिला ज्योति का कहना है कि मेरे बच्चा हुआ था। नर्स ने बच्चे होने की मिठाई भी खिलाई। मुझे शक तो पहले से ही था, लेकिन रात होने की वजह से नजरदांज कर दिया। इसके बाद सुबह को रिकार्ड चेक कराया गया। इसके बाद पता चला कि मेरा बेटा ही था। बाद समझाइश के बाद मुझे मेरा बच्चा मिल गया।
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