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झारखंड हाईकोर्ट ने सरकार को निर्देश दिया है कि वह संताल परगना में बांग्लादेशी घुसपैठियों की पहचान स्पेशल ब्रांच से कराकर कार्रवाई करे। साथ ही पूरे प्रमंडल के सभी छह जिलों में किसी व्यक्ति का पहचान पत्र (आईडी) बनाने से पहले उसके जमीन दस्तावेजों समेत अन्य कागजात की जांच कर मिलान करे। इन पहचान पत्रों में राशन कार्ड, आधार कार्ड, मतदाता पहचान पत्र शामिल हैं।
एक्टिंग चीफ जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद और जस्टिस एके राय की अदालत इस मामले में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही है। हालांकि, यह निर्देश अदालत ने आठ अगस्त को मामले की सुनवाई के बाद दिया है, जिसे हाईकोर्ट की वेबसाइड पर मंगलवार (13 अगस्त) को अपलोड किया गया। अगली सुनवाई 22 अगस्त को होगी।
केंद्र, राज्य सरकार पर नाराजगी जता चुका है कोर्ट घुसपैठ मामले में राज्य और केंद्र सरकार द्वारा जवाब दाखिल न करने पर अदालत नाराजगी जता चुकी है। मौखिक टिप्पणी में कहा था कि घुसपैठियों के मामले में केंद्र और राज्य सरकार का रवैया उदासीन है। क्या घुसपैठियों के प्रवेश करने के बाद ही केंद्र सरकार कार्रवाई करेगी।
प्रार्थी ने अदालत को बताया कि वर्ष 1951 से 2011 के बीच घुसपैठियों के प्रवेश करने से संताल में अनुसूचित जनजाति की जनसंख्या में 44.67 से घटकर 28.11 हो गई है। वहीं मुस्लिम आबादी 9.44 से बढ़कर 22.73 दर्ज की गई है।
प्रार्थी बोला, घुसपैठिए फर्जी आधार-वोटर कार्ड बनवा रहे
सुनवाई के दौरान प्रार्थी दानियल दानिश की ओर से कोर्ट को बताया गया कि संताल में बांग्लादेशी घुसपैठिए फर्जी आधार और वोटर कार्ड बना रहे हैं। आदिवासी लड़कियों से शादी कर उनकी जमीन कब्जा कर रहे हैं। इस पर कोर्ट ने राज्य सरकार को मौखिक रूप से कहा कि संताल में औचक निरीक्षण कर लोगों के आधार एवं वोटर कार्ड का सत्यापन करना चाहिए। ताकि घुसपैठियों की पहचान हो सके।
छह उपायुक्तों के रवैये पर कड़ी नाराजगी जताई
सुनवाई के दौरान कोर्ट के पूर्व निर्देश के आलोक में देवघर, दुमका, गोड्डा, साहिबगंज, पाकुड़ और जामताड़ा के उपायुक्तों द्वारा जवाब दाखिल नहीं किए जाने पर कोर्ट ने राज्य सरकार पर कड़ी नाराजगी जताई। कोर्ट ने मौखिक कहा कि संथाल परगना में बांग्लादेशी घुसपैठिए के आने की बात संज्ञान में लायी गयी है। ऐसे संवेदनशील मुद्दे पर अब तक जवाब नहीं आना दुर्भाग्पूर्ण है।
आईबी से अगली सुनवाई में मांगी सीलबंद रिपोर्ट
सुनवाई के क्रम में अदालत ने इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी) के निदेशक, सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के महानिदेशक, भारत के मुख्य निर्वाचन आयुक्त, यूनिक आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया (यूआईएआई) के महानिदेशक और राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के निदेशक को प्रतिवादी बनाया। साथ ही नोटिस जारी कर अगली तिथि में अपना पक्ष रखने का निर्देश दिया। वहीं आईबी को अगली तिथि में सीलबंद रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया।
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