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नई दिल्ली के एक निजी अस्पताल से चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जिसमें डॉक्टर्स को सर्जरी करके 67 साल के बुजुर्ग के पेट से नकली बत्तीसी (नकली दांत) निकालने पड़े। बुजुर्ग ने दावा करते हुए कहा कि उन दांतों को उसने खाना खाते समय गलती से निगल लिया था। खास बात यह है कि यह जटिल सर्जरी सिर्फ 15 मिनट में पूरी भी हो गई और मरीज को अस्पताल से छुट्टी भी दे दी गई।
सर्जरी को लेकर डॉक्टर्स का कहना था कि अगर डेन्चर को समय पर नहीं हटाया जाता, तो इससे पेट या आंतों में छेद हो जाना जैसी जानलेवा चीजें भी हो सकती थीं।
यह सर्जरी शहर के वसंत कुंज इलाके में स्थित एक निजी अस्पताल के गैस्ट्रोएंट्रोलॉजी और हेपेटोबिलरी साइंसेज के निदेशक डॉ. शुभम वत्स्या के नेतृत्व में डॉक्टरों की एक टीम ने की। इससे पहले उन्होंने अच्छे से और पूरी तरह से मामले का आकलन किया और कई एंडोस्कोपी प्रक्रियाओं के माध्यम से डेन्चर को निकाला।
इस जटिल सर्जरी के लिए डेन्चर (नकली बत्तीसी) को पहले पेट के अंदर धकेला गया और फिर रोथ नेट की मदद से शरीर से बाहर निकाला गया। रोथ नेट शरीर से बाहरी वस्तुओं को निकालने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला उपकरण है। इस पूरी प्रक्रिया में 15 मिनट लगे और मरीज को उसी दिन स्थिर हालत में छुट्टी दे दी गई।
प्राप्त जानकारी के अनुसार अस्पताल में भर्ती होने के समय मरीज के गले और छाती के बीच में बहुत दर्द था। जांच के दौरान पता चला कि डेन्चर मरीज के पेट में फंसा हुआ है, साथ ही उसकी भोजन नली और पेट के हिस्से में चोट और खून बह रहा था। डॉक्टरों की टीम ने सावधानीपूर्वक डेन्चर को हटाया और मरीज की जान बचाई। डेन्चर का पता लगाने और उसे हटाने में किसी भी तरह की देरी होने से कई जानलेवा स्थितियां पैदा हो सकती थीं और यह जानलेवा भी साबित हो सकता था।
बुजुर्ग के पेट से निकाले गए डेन्चर के बारे में जानकारी देते हुए डॉ. शुभम वत्स्य ने कहा, ‘डेन्चर 15 सेमी परिधि का था और इसके आकार के कारण इसे हटाना मुश्किल था। हालांकि, यह प्रक्रिया इंट्रावेनस सिडेशन (बेहोशी) के तहत की गई थी और हमने मल्टीपल गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल एंडोस्कोपी (ऊपरी जठरांत्र संबंधी मार्ग में समस्याओं का निदान और उपचार करने की एक प्रक्रिया) के माध्यम से डेन्चर को हटाया, जिसमें डेन्चर को पेट के अंदर धकेला गया और रोथ नेट (शरीर से बाहरी वस्तुओं को निकालने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला उपकरण) की मदद से शरीर से बाहर निकाला गया।’
डॉक्टर वत्स्य ने आगे बताया, ‘मरीज को उसी दिन छुट्टी दे दी गई और वर्तमान में वह ठीक है। अगर डेन्चर को समय पर नहीं हटाया जाता, तो इससे कई जानलेवा स्थितियां पैदा हो सकती थीं, जैसे पेट या आंतों में छेद हो जाना, जो कि जानलेवा हो सकता था।’
इस चुनौतीपूर्ण सर्जरी के बारे में जानकारी देते हुए फोर्टिस अस्पताल के फैसिलिटी डायरेक्टर डॉ. गुरविंदर कौर ने बताया, ‘यह एक चुनौतीपूर्ण मामला था, क्योंकि इसमें एक बुजुर्ग व्यक्ति के साथ गंभीर दुर्घटना हुई थी। हालांकि, डॉ. शुभम वत्स्य और उनकी टीम के सदस्यों ने सही समय पर हस्तक्षेप और क्लीनिकल विशेषज्ञता से उस व्यक्ति की जान बचा ली।’
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