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बदमाश शाहिद अंसारी लोकनायक जय प्रकाश नारायण केंद्रीय कारा से दाहिने पैर से दिव्यांग बनकर मेडिकल कॉलेज अस्पताल आया था। लेकिन हत्या को अंजाम देने के बाद वह पैदल भाग निकला। इस घटना के बाद लोकनायक जयप्रकाश नारायण केंद्रीय कारा प्रशासन की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं। दरअसल, सोमवार को झारखंड के हजारीबाग के अस्पताल से शाहिद अंसारी एक पुलिसकर्मी की हत्या कर फरार हो गया था।
जेल में बुजुर्ग कैदी बीमार पड़े हैं। लेकिन उन्हें अस्पताल में रेफर नहीं किया जाता है। प्रक्रिया के आड़ में कई ऐसे कैदी दम तोड़ देते हैं। लेकिन उनको रिम्स, एम्स कहीं रेफर नहीं किया जाता है। लेकिन आजीवन कारावास की सजा काट रहे कैदी (शाहिद अंसारी) को रेफर किया गया। आखिर 14 दिनों के लिए उसे किस परिस्थिति में रेफर किया गया था। वह 25 जुलाई को हजारीबाग मेडिकल कॉलेज अस्पताल के कैदी वार्ड में भर्ती हुआ था। लेकिन जेल प्रशासन ने उसकी सुध नहीं ली।
दूसरी ओर, हवलदार पुलिस वर्दी की बजाय हथियार के साथ टी शर्ट और पायजामा पहने हुए थे। सुरक्षा के लिए उनको पिस्टल मिली थी। लेकिन अपराधी शातिर और खूंखार था। इसलिए उनको हथियार चलाने का मौका तक नहीं मिला। अनुमान लगाया जा रहा है कि मध्य रात्रि झपकी आई होगी। फिर बदमाश ने जैसे ही मौका देखा। हवलदार की हत्या को अंजाम देकर फरार हो गया।
हवलदार को मारकर भागने वाला शाहिद बनाता था पंक्चर, पूरी क्राइम कुंडली
प्रशासन पर उठ रहे सवाल
शाहिद अंसारी दाहिने पैर से दिव्यांग बताकर भर्ती हुआ था। जब वह भर्ती हुआ तो लाठी लेकर चल रहा था। हत्या की घटना को अंजाम देकर जब वह भाग रहा था तब वह पैदल तेजी से चल रहा था। उसने जेल प्रशासन को भी चकमा देना का काम किया या फिर जेल प्रशासन का कहीं न कहीं इसमें सहयोग रहा है।
हवलदार को बिना बॉक्स के ले जाया गया पुलिस लाइन
दिवंगत हवलदार चोहन हेंब्रम के शव का पोस्टमार्टम के बाद सीधे उनके निवास स्थान के लिए भेज दिया गया। पुलिस लाइन के सहकर्मी शोक में गमगीन नजर आए। शव को बिना बॉक्स के भेजा गया। इससे भी लोगों में नाराजगी थी। पुलिसकर्मियों का कहना था कि ऑन ड्यूटी हवलदार की हत्या होना बड़ी बात है।
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