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राजस्थान की सबसे बड़ी अध्यापक पात्रता परीक्षा (रीट-2021) का पेपर लीक करने के लिए रुपयों का इंतजाम फाइनेंस के जरिए किया गया था। मास्टरमाइंड और हिस्ट्रीशीटर राजूराम ईराम ने पेपर हासिल करने के लिए 40 लाख रुपए ब्याज पर लिए थे।
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राजूराम ने जयपुर के रामकृपाल से 5 करोड़ रुपए में रीट लेवल सेकंड का पेपर चुराने की डील की थी। पैसे कम पड़े तो राजूराम की सरपंच पत्नी सोहनी ने भी रिश्तेदारों से पैसे उधार लिए थे।
स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (SOG) की चार्जशीट में रीट पेपर की डील से लेकर लीक होने की पूरी कहानी का खुलासा हुआ है। इस मामले में एसओजी अभी तक 9 चार्जशीट पेश कर चुकी है। जांच एजेंसी ने 130 आरोपियों और एक नाबालिग को पेपर लीक में दोषी माना है। अभी इस मामले में अदालत में सुनवाई चल रही है।
एसओजी की चार्जशीट में प्रदीप पाराशर से लेकर मास्टरमाइंड राजूराम ईराम, रामकृपाल मीना सहित सभी आरोपियों की भूमिका खुलकर सामने आई है। पढ़िए संडे बिग स्टोरी में REET-2021 का पेपर कैसे लीक हुआ?
5 करोड़ में बिका था रीट का पेपर
एसओजी की चार्जशीट के अनुसार रीट भर्ती परीक्षा 2021 के पेपर लीक करने का सौदा पांच करोड़ रुपए में हुआ था। सबसे बड़ा मास्टरमाइंड था रामकृपाल मीना। रामकृपाल जयपुर में शिव शक्ति स्कूल व कॉलेज का संचालक था।
जयपुर के शिक्षा संकुल से पेपर चुराने के लिए रामकृपाल मीना ने 5 करोड़ रुपए में डील की थी।
जांच और कॉल डिटेल के विश्लेषण से सामने आया कि जालोर के उदाराम ने हिस्ट्रीशीटर राजूराम ईराम का संपर्क रामकृपाल मीना से कराया था। रामकृपाल की रीट परीक्षा के जयपुर समन्वयक प्रदीप पाराशर से जान पहचान थी। दोनों ने मिलीभगत कर पेपर लीक की साजिश रची थी। रामकृपाल ने ही शिक्षा संकुल से पेपर चुराकर उदाराम बिश्नोई, राजूराम ईराम और उसके अन्य सहयोगियों को दिया था।
उदाराम ने एसओजी की पूछताछ में बताया कि उसने ही रामकृपाल मीना को रीट परीक्षा के पेपर उपलब्ध कराने की एवज में तय रुपए दिलाने में अहम भूमिका निभाई थी। रामकृपाल ने 2 करोड़ एडवांस मांगे थे। उसमें से एक करोड़ 20 लाख रुपए देने के बाद 80 लाख रुपए बकाया थे, जिसे लेने के लिए उदाराम बिश्नोई और रामकृपाल मीना राजूराम ईराम के कूकावास स्थित घर गए थे।
जहां उदाराम ने 80 लाख रुपए रामकृपाल मीना को दिलवाए थे। इस दौरान रामकृपाल मीना ने वह मोबाइल भी राजूराम को वापस लौटा दिया जो उसे रीट पेपर लीक कराने की बातचीत करने के लिए दिया था। रामकृपाल और उदाराम दोनों आरोपियों ने घटनास्थल की तस्दीक की है।
रीट परीक्षा के बाद प्रदीप पाराशर के बैंक खाते में रामकृपाल ने 3 लाख रुपए जमा कराए और एक लाख रुपए कैश दिया था। एसओजी ने पेपर लीक के एडवांस में पैसों में से 92 लाख 80 हजार रुपए जब्त कर लिए और आरोपियों के बैंक खाते फ्रीज कर दिए।
पेपर लीक का मास्टरमाइंड राजूराम ईराम पुलिस थाना बागोड़ा का हिस्ट्रीशीटर है।
पेपर के लिए 40 लाख का कर्ज लिया, सरपंच पत्नी ने भी किया इंतजाम
एसओजी की जांच में सामने आया है कि राजूराम ईराम ने रीट का पेपर खरीदने के लिए एडवांस की रकम कर्ज लेकर चुकाई थी। सांचौर के ओमप्रकाश सारण ने राजूराम ईराम को 40 लाख रुपए ब्याज पर दिए थे।
राजूराम ईराम की सरपंच पत्नी सोहनी (कुकावास) ने भी मदद की थी। पूछताछ में सोहनी ने बताया कि राजूराम और उदाराम ने जयपुर में रामकृपाल से रीट पेपर का सौदा कर लिया था। खुद रामकृपाल डील के बकाया 80 लाख रुपए लेने कूकावास गांव आया था। तब उदाराम भी उसके साथ था। पति के कहने पर उसने रिश्तेदारों और खुद के पास से रुपयों की व्यवस्था की थी। उसके पति व उदाराम ने रामकृपाल से पेपर लिया था।
एसओजी की चार्जशीट में रीट पेपर में जयपुर के समन्वयक बनाए गए प्रदीप पाराशर की भूमिका सामने आ चुकी है।
प्रदीप पाराशर ने ही लीक कराया था पेपर
माध्यमिक शिक्षा बोर्ड अजमेर ने प्रदेश में रीट परीक्षा 2021 के सफल आयोजन के लिए प्रत्येक जिले में एक जिला समन्वयक नियुक्त किया था। इनकी सहायता के लिए डिप्टी कंट्राेलर नियुक्त किए गए। डॉ. प्रदीप पाराशर जयपुर जिला समन्वयक था। इनकी सहायता के लिए डॉ. जयवीर, डॉ. ध्यान सिंह, डॉ. बी.एस. बैरवा और डॉ. सुभाष यादव को लगाया गया। एसओजी की जांच में सामने आया कि प्रदीप पहले से ही रामकृपाल को जानता था। ऐसे में प्रदीप ने बिना किसी आदेश के रामकृपाल को अपने स्तर पर सहयोगी के रूप में रखा था। जबकि रामकृपाल मीना किसी सरकारी पद पर नहीं था।
जब रीट पेपर जयपुर पहुंचे तो प्रदीप ने इन्हें शिक्षा संकुल लाने के लिए रामकृपाल को ही भेजा था। रामकृपाल ने अपनी जान पहचान के मजदूरों से पेपर को स्ट्रांग रूम में रखवाया। प्रदीप के अपने अधिकार रामकृपाल को देने के कारण उसका भी स्ट्रांग रूम तक आना जाना था। दोनों की मिलीभगत के चलते रामकृपाल ने रीट भर्ती का पेपर चोरी किया।
सफेद मास्क में रामकृपाल मीना और ब्राउन मास्क में आरोपी उदाराम।
एग्जाम से दो दिन पहले चोरी हुआ था रीट का पेपर
एसओजी की चार्जशीट के अनुसार 24 सितंबर की रात को शिक्षा संकुल में ट्रक से पेपर अनलोडिंग के लिए आए थे। प्रदीप पाराशर ने रामकृपाल को फोन कर बताया था कि रीट परीक्षा के पेपर लेकर आए ट्रक बाहर खड़े हुए हैं। इन्हें शिक्षा संकुल लेकर आ जाओ।
रामकृपाल उन ट्रकों को अंदर स्ट्रोंग रूम में अनलोडिंग के लिए लेकर गया। इसी दौरान उसने मौका पाकर रिजर्व बंड़ल को पेपर कटर की मदद से काटा। उसमें रीट लेवल द्वितीय प्रश्न पत्र का एक पेपर निकाल लिया। इसके बाद वापस टेप लगाकर बंडल को पैक कर दिया था। एसओजी की जांच में उस बंडल से ‘जे’ सीरीज का एक प्रश्न पत्र कम मिला। यह पेपर रामकृपाल ने सबसे पहले उदाराम को भेजा।
उदाराम ने चोरी हुआ पेपर अजमेर जाकर राजूराम ईराम को दिया। राजूराम ने अपने सहयोगियों से पेपर सॉल्व कराकर 25 सितंबर की रात और 26 सितंबर की सुबह वॉट्सऐप से अपने सहयोगियों को भेजा। जिन्होंने अलग-अलग जगहों पर एकत्रित कर अभ्यर्थियों को पेपर पढ़ाया था। इसके लिए प्रत्येक परीक्षार्थी से 10 से 15 लाख रुपए लिए गए।
रामकृपाल मीणा का जयपुर स्थित स्कूल जिसे पेपर लीक में नाम सामने आने के बाद बुलडोजर से तुड़वाया गया था।
रीट पेपर वॉट्सऐप से गिरोह के बाकी लोगों तक पहुंचा
एसओजी की चार्जशीट के अनुसार रीट पेपर चेन सिस्टम से गिरोह के बाकी लोगों तक पहुंचा। रामकृपाल मीना ने उदाराम बिश्नोई को पेपर दिया। जिसे उदाराम ने राजूराम ईराम को दे दिया। इसके साथ ही सहयोगी भजनलाल को भी दिया, जिसने पृथ्वीराज मीना व अन्य तक पेपर को वॉट्सऐप कर भेजा। पृथ्वीराज मीना से पेपर बत्तीलाल मीना के पास पहुंचा। बत्तीलाल ने कई परीक्षार्थियों और दोस्त संजय मीना के कहने पर एक नाबालिग व पुलिस के सिपाहियों को पेपर दिया।
ऐसे ही वॉट्सऐप के जरिए पेपर पृथ्वीराज मीना और फिर रवि जीनापुर, रवि पागड़ी से होते हुए अन्य आरोपियों और परीक्षार्थियों के मोबाइल पर फॉरवर्ड होता रहा। एसओजी ने आरोपियों के मोबाइल के वॉट्सऐप अकाउंट का डाटा रिकवर करने के लिए अमेरिका स्थित वॉट्सऐप के नोडल ऑफिस से संपर्क किया। अकाउंट का रिकॉर्ड मंगवाया तो रीट पेपर के सर्कुलेट होने की पूरी जानकारी सामने आ गई।
रीट पेपर लीक मामले में गिरफ्तार आरोपी। इस मामले में अब तक 1 आरएएस, 1 डीईओ, 2 आरपीएस, 12 टीचर सहित 20 सरकारी कर्मचारी सस्पेंड हो चुके हैं।
ऐसे हुआ पेपर लीक का खुलासा
26 सितंबर 2021 को प्रदेशभर में रीट परीक्षा रखी गई। उस दिन राजस्थान में नेटबंदी भी की गई। लेकिन नेटबंदी से ठीक पहले पुलिस को सूचना मिली कि गंगापुर सिटी में पेपर गिरोह सक्रिय है। सवाईमाधोपुर जिले के पुलिस कांस्टेबल देवेंद्र सिंह के मोबाइल में भी रीट परीक्षा का पेपर है। देवेंद्र ने अपनी पत्नी को पेपर दिया है और अन्य लोगों के बारे में भी उसके पास जानकारी हो सकती है। देवेंद्र के साथ यदुवीर कांस्टेबल को भी देखा गया है।
सूचना मिलते ही पुलिस ने सबसे पहले कांस्टेबल देवेंद्र को पकड़ा। जिसके मोबाइल के फाइल मैनेजर में 33 फोटोग्राफ रीट परीक्षा पेपर के सॉल्वड किए हुए मिले। आरोपी देवेंद्र ने खुद के मोबाइल से नाबालिग के मोबाइल में सेव पेपर के फोटोग्राफ लेने के बारे में बताया। इसके बाद जांच और पूछताछ में यदूवीर, बत्तीलाल मीना, दिलखुश मीना के नाम भी सामने आ गए। इस तरह पूरी साजिश का खुलासा हुआ और पेपर लीक के तार जयपुर स्थित शिक्षा संकुल से जुड़ सके।
हरे व नीले रंग की डायरियों ने उगले राज
चार्जशीट के अनुसार भजनलाल विश्नोई और उसके मौसेरे भाई उदाराम ने जिस मोबाइल से रीट परीक्षा के सॉल्वड पेपर को भेजा उसे भजनलाल ने अपने गांव के घर में रखी अलमारी में छुपा दिया था। जांच में एसओजी ने भजनलाल की अलमारी से मोबाइल के अलावा सॉल्वड पेपर की फोटोकॉपी और एक हरे रंग का डायरी बरामद की। डायरी में रीट परीक्षा के पैसे के लेन-देन का हिसाब मिला।
काली कमाई से बच्चों की फीस चुकाई
जांच में आरोपी रामकृपाल मीना और प्रदीप पाराशर के बैंक खातों में आपस में लेन-देन की पुष्टि हुई। एसओजी ने दोनों के बैंक खाते फ्रीज करा दिए। रामकृपाल ने रीट पेपर देने की एवज में मिले रुपयों में से 10 लाख रुपए भगवान सहाय बैरवा को देने की बात कही थी। पुलिस ने भगवान सहाय के यहां से रुपए बरामद किए। वहीं एक लाख 80 हजार रुपयों से अपने बच्चे की फीस जमा कराई थी। जिसे भी एसओजी की टीम ने स्कूल से जब्त किया।
एसओजी को उदाराम के कब्जे से परीक्षार्थियों के रोल नंबर की सूची मिली। इसके साथ ही पुलिस ने आरोपी के पास से पेपर बेचने को लेकर किए गए लेन-देन के हिसाब की एक नीले रंग की डायरी भी जब्त की। जयपुर पुलिस कमिश्नरेट के कांस्टेबल उमेश कुमार के पास से भी एक डायरी बरामद हुई। जिसमें उसने पेपर खरीदने से संबंध में हिसाब लिख रखा था।
गिरफ्तारी की खबर पढ़ी तो नष्ट किए मोबाइल
आरोपियों की धरपकड़ शुरू होने के साथ ही परीक्षार्थियों और इस गिरोह से जुड़े लोगों में खलबली मच गई थी। कई आरोपियों ने मोबाइल फोन जला दिए या तोड़ कर फेंक दिए। उदाराम बिश्नोई ने रीट पेपर लीक के उपयोग में लिए अपने तीनों मोबाइल फोन को रणोदर गांव में घर के अंदर रखे लोहे के बक्से में रख दिए थे। इस बक्से में सॉल्वड पेपर की फोटोकॉपी भी मिली। भजनलाल ने भी अपना मोबाइल बाड़मेर से सांचोर जाने वाले हाईवे पर तोड़कर फेंक दिया था।
वहीं, एसओजी ने रामकृपाल की कार से दो मोबाइल फोन भी जब्त किए। इन मोबाइल से आरोपी ने पेपर बांटने और रुपयों के लेन देन को लेकर बातचीत की थी। इसके साथ ही आरोपी महेंद्र सिंह और उमेश कुमार के पास से तीन मोबाइल जब्त किए हैं। आरोपियों और परीक्षार्थियों के मोबाइल की सीडीआर कॉल डिटेल ने आरोपियों की साजिश को खोल दिया।
ऐसे लीक पेपर की हुई पुष्टि?
आरोपियों को डिटेन करने के बाद पुलिस ने उच्चाधिकारियों को इसकी जानकारी दी। इसके बाद पुलिस गंगापुर सिटी में जयपुर रोड पर अग्रवाल कन्या महाविद्यालय पहुंची। जहां केंद्राधीक्षक डॉ. बृजेंद्र सिंह गुर्जर से अनुपस्थित परीक्षार्थी की पेपर बुकलेट या रिजर्व पेपर मांगा। इस पर रीट पेपर की दो सीरीज ‘एम’ और ‘जे’ से आरोपियों के पेपर का मिलान किया गया। ‘जे’ सीरीज का पेपर आरोपी कांस्टेबल देवेंद्र के मोबाइल में मिले पेपर से हूबहू मिलना पाया गया। पूछताछ में देवेंद्र ने बताया कि उसे दिलखुश व नाबालिग लड़के ने उनकी बहनों की मौजूदगी में कार में नकल करवाई थी।
12 अगस्त को मामले में सुनवाई
इस मामले के सरकारी वकील भंवर सिंह चौहान ने बताया कि अब तक 131 आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट आ चुकी है। यह केस गंगापुर सिटी सीजेएम कोर्ट में विचाराधीन है। मामले में अगली सुनवाई 12 अगस्त को होगी। जिसमें एक आरोपी पर लगे आरोपों पर बहस होगी। अभियोजन पक्ष की ओर से जवाब देना होगा तो वह कोर्ट के सामने अपना पक्ष रखेगा। इस मामले में एक आरोपी नाबालिग है, जिसकी किशोर न्यायालय में सुनवाई चल रही है।
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