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‘मैं 5वीं तक पढ़ी हूं। गांव की सरपंच हूं, मगर मेरी सरपंची लड़का करता है। अपना रोल तो सिर्फ साइन करना है। सारा काम वो ही संभालता है। अभी तालाब, रोड और खंतियों का काम चल रहा है। बाकी सरकारी योजनाओं की जानकारी मुझे नहीं है।’
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गुना जिले की ग्राम पंचायत चिरडले की सरपंच सुनीता ये कहते हुए मुस्कुरा देती है। सुनीता 8 अगस्त को सीएम हाउस में हुए रानी दुर्गावती महिला सरपंच सम्मेलन और रक्षा बंधन कार्यक्रम में हिस्सा लेने आई थी। कार्यक्रम में प्रदेश भर से 1 हजार से ज्यादा महिला सरपंचों को बुलाया गया था।
दैनिक भास्कर ने इनमें से 21 महिला सरपंचों से बात की तो समझ आया कि ज्यादातर महिला सरपंच केवल नाम की हैं। उनकी पंचायत के काम या तो उनके पति देख रहे हैं या रिश्तेदार। केवल 5 ऐसी महिला सरपंच मिलीं जो अपने दम पर पंचायत के काम कर रही हैं।
खास बात ये है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साल 2015 में पंचायती राज दिवस के कार्यक्रम में ‘एसपी’(सरपंच पति) संस्कृति को खत्म करने की बात की थी। इस बात को 9 साल हो चुके हैं मगर मप्र में हालात नहीं बदले हैं। पढ़िए रिपोर्ट
अब जानिए किस तरह से सरपंच पति, देवर और बेटों का पंचायत में है दखल
7 महिला सरपंच जो केवल दस्तखत करती हैं
खंडवा जिले की ग्राम पंचायत की सरपंच ललिता: मैं 5वीं तक पढ़ी हूं। ग्राम पंचायत में हर तरह के काम चल रहे हैं। आवास, शौचालय, रोड निर्माण का काम चल रहा है। मैं अपने सरपंच पति के साथ आई हूं। ग्राम पंचायत का काम हमारे पति और सचिव मिलकर करते हैं।
गुना जिले की ग्राम पंचायत चिरडले की सरपंच सुनीता: मैं 5वीं तक पढ़ी हूं। मेरी सरपंची लड़का करता है। अपना रोल सिर्फ साइन करना है। काम वो ही संभालता है। अभी तालाब रोड और खंतियों का काम चल रहा है। सरकारी योजनाओं की जानकारी मुझे नहीं है।
राजगढ़ जिले की कोड़िया खेड़ी की सरपंच: मैं आठवीं पढ़ी हूं। पंचायत में अभी ज्यादा काम नहीं चल रहा है। सीमेंट वाली रोड जरूर बनी है। मेरी पंचायत का काम मेरे पति केशर सिंह करते हैं। कभी जरूरी काम होता है तो मैं भी चली जाती हूं। ज्यादातर टाइम मैं केवल दस्तखत करती हूं।
पहरी ग्राम पंचायत की सरपंच प्रभा बाई: मैं पांचवीं तक पढ़ी हूं। मेरी ग्राम पंचायत में कोई काम नहीं चल रहा है। नाली और रोड बन चुका है। सरकार कुछ दे ही नहीं रही है तो गांव वालों को क्या लाभ दिलाएं। मेरी सरपंची मेरा लड़का हरनाम चलाता है। मैं सिर्फ फाइलों में साइन करती हूं। सीएम के पास आई हूं कुछ काम मागूंगी।
देवास जिले की छोटा टिकरिया ग्राम पंचायत की सरपंच सुनीता पटेल: मैं दसवीं पढ़ी हूं। हमारी ग्राम पंचायत में अच्छा काम चल रहा है। हम छत का पानी बोरिंग में डाल रहे हैं( वाटर हार्वेस्टिंग), नालियां भी बन रही हैं। शासकीय भवन बनवाने का प्रयास कर रहे हैं। सरपंची चलाने का काम मेरे सरपंच पति और डॉक्टर विष्णु पटेल करते हैं।
राजगढ़ जिले की सारंगपुर पंचायत की सरपंच रानी: मैं आठवीं तक पढ़ी हूं। मेरी पंचायत में लोगों को सभी योजनाओं का लाभ मिल रहा है। लोगों को गेंहू और आवास मिल रहा है। मेरी सरपंची मेरे पति चलाते हैं, मैं बस दस्तखत करती हूं।
बातचीत के दौरान 5 महिला सरपंचों के चेहरे से घूंघट और बुरखा नहीं हटा
राजगढ़ जिले की बड़ी पंचायत की सरपंच रेशम बाई: बातचीत के वक्त भी रेशमबाई ने दाएं हाथ से घूंघट कर रखा था। उनसे पूछा कि घूंघट क्यों नहीं हटा रहीं तो बोलीं- पति सामने खड़े हैं इसलिए घूंघट डाला है। इसके साथ ही आसपास की पंचायतों से सरपंच खड़े हैं। उनसे पूछा कि पंचायत का सारा काम कौन देखता है तो कहा कि दुर्जे सरपंच साहब यानी हमारे पति करते हैं। पति का नाम लेते हुए वो हंस पड़ीं।
रायसेन जिले की अल्ली ग्राम पंचायत की सरपंच शाहीन बी: ये नकाब ओढ़े थीं। उन्होंने कहा- काम तो चल रहे हैं लेकिन बारिश की वजह से अभी धीमे हैं। स्कूल की बाउंड्री बनवाने वाले हैं वहां खेल मैदान भी बन रहा है। स्कूल 12वीं तक करने का प्रयास कर रहे हैं। बोलीं- मैं 5वीं पास हूं, पंचायत का सारा काम मेरा देवर और बेटा देखता है।
राजगढ़ जिले की हिनोता ग्राम पंचायत की सरपंच शीला मीना: बोलीं- ग्राम पंचायत में अभी कोई काम नहीं चल रहा है। घूंघट वाली बात पर बोलीं कि हमारे समधी यहां खड़े हैं इसलिए घूंघट डाल रखा है। बगल में मेरी समधन है। ये भी पड़ोस की पंचायत में सरपंच है। मेरी सरपंची हमारे पति रामभुवन मीना चलाते हैं।
राजगढ़ की रनावा ग्राम पंचायत की सरपंच सोना मीना: ये भी अपने समधी और समधन के साथ आई थीं। बोलीं- गांव में भी बड़े लोगों के सामने घूंघट डालती हूं। मेरी सरपंची मेरे पति बद्री मीना चलाते हैं। मुझसे केवल दस्तखत लेते हैं। योजनाओं के बारे में पूछा तो बोलीं- उन्हीं से पूछिए मुझे नहीं मालूम।
ऐसी महिला सरपंच जो बातचीत के लिए भी पति पर निर्भर
राजगढ़ जिले की मोतिपुरा पंचायत की महिला सरपंच भगवती बाई: इनकी बजाय इनके पति ने ही बातचीत की। बोले- सरकार पैसे ही नहीं दे रही तो हम विकास क्या करेंगे। हमारी ग्राम पंचायत में किसी को आवास ही नहीं मिल रहा है। मैं अपनी पत्नी का प्रतिनिधि हूं। मैं ही सारा काम देखता हूं। वो पढ़ी लिखी नहीं है, अभी नाम लिखना सीख रही है।
रायसेन जिले की सगौनिया पंचायत की सरपंच मीना चौहान: ये अपने जिले का नाम नहीं बता सकी। पति ने कैमरे के सामने ही खीज कर कहा सब सिखाकर लाया था भूल गईं। सरपंच बोलीं- हमारे यहां सीसी रोड, नालियां, पुलियां बन गई हैं। सरकारी योजनाओं वाले सवाल पर वह शांत हो गईं। पति ने दबी आवाज में कहा बोल दो कि शिवराज जी वाली योजनाएं चल रही हैं। हंसते हुए बोले- पत्नी को जिले का चुनाव लड़ाना है इसलिए सब सिखा रहा हूं।
देवास जिले की सदाशिवपुरा ग्राम पंचायत की सरपंच पुष्पा चौधरी: ये योजनाओं वाले सवाल पर शांत हो गईं। कैमरे के पीछे खड़े उनके पति ईश्वरलाल चौधरी ने धीमी आवाज में कहा- लाड़ली बहना, स्वच्छता, स्ट्रीट लाइट, पानी की व्यवस्था कराई है। पत्नी ने सारी बातें जस की तस दोहरा दी।
अब वो महिला सरपंच जो अपने दम पर काम करवा रहीं
मेरे गांव में 40 साल से आंगनबाड़ी कार्यकर्ता नहीं: सेवन्ती शाक्य
रायसेन जिला के खमारिया सोनपुर ग्राम पंचायत की सरपंच सेवन्ती शाक्य एमए पास है। वह शादी शुदा है, मगर कहती हैं कि मैं पंचायत के काम में उनकी मदद नहीं लेती हूं। ऐसा करूंगी तो मेरे इतने पढ़ने लिखने का कोई फायदा नहीं है।
सेवन्ती से पूछा कि गांव में किस तरह की समस्या है तो बोलीं- ग्राम पंचायत भवन ही नहीं है। पिछले 40 सालों से आंगनबाड़ी कार्यकर्ता नहीं है और स्कूल भी 5वीं तक ही है। इन सभी मांगों को सीएम के सामने रखने आई हूं।
मैंने अपने गांव में महिलाओं के पुलिस स्टेशन खुलवाया: पुष्पा झरबड़े
बैतूल जिले के ग्राम पंचायत कड़ाई की सरपंच पुष्पा झरबड़े कहती हैं मैंने आवाजाही के लिए सीसी रोड का निर्माण करवाया है। साथ ही स्वच्छता पर नाली निर्माण, सूखा-गीला कचरे का नाडेप बनवाई है। मेरी सबसे बड़ी उपलब्धि महिलाओं के लिए पुलिस स्टेशन खुलवाना है।
मैं सरपंच बनने के पहले सीबीएससी स्कूल में टीचर थी। मैंने एमए बीएड किया है। हमारे गांव के स्व सहायता समूह को हमने 3 एकड़ जमीन देकर महिलाओं को आत्मनिर्भर करने का काम किया है। पंचायत में अभी आवासीय विद्यालय बना है और उड़न फैक्ट्री आई है। मैं खुद आत्मनिर्भर होकर सरपंच का काम करती हूं।
45 लाख रु. से अपने गांव में पंचायत भवन बनवा रही हूं- गीता बिसेन
बालाघाट की सबसे बड़ी ग्राम पंचायत भरवेली की सरपंच गीता बिसेन साइंस ग्रेजुएट हैं। उनका खुद का बिजनेस हैं। वे किओस्क बैंक, एटीएम और शॉप चलाती हैं। कहती हैं- पंचायत के सारे काम मैं ही करती हूं। अभी 45 लाख रु. की लागत से पंचायत भवन बनवा रही हूं। नवंबर में सीएम के हाथों ही लोकार्पण करवाऊंगी। मैंने अपनी पंचायत के सरकारी स्कूल को मॉडल स्कूल बनाया है।
भागमती पढ़ी लिखी नहीं, मगर अनुभव से सारे काम करवाती हैं
हरदा जिले की धनवाड़ा ग्राम पंचायत की सरपंच भागवती बाई की उम्र 70 साल है। कहती हैं कि मैं पढ़ी लिखी नहीं हूं। मगर, अनुभव है कि काम कैसे करवाना है। मैं निर्विरोध चुनाव जीती थी। आगे फिर चुनाव लड़ूंगी। मेरी पंचायत में सारे काम सुचारु रूप से चल रहे हैं। बस यहां यही मांग करने आई हूं कि सरपंच की तनख्वाह बढ़ना चाहिए।
सरपंच बनने से पहले रेडियो जॉकी थीं लक्षिका डागर
कार्यक्रम में पहुंची युवा महिला सरपंच लक्षिका डागर रेडियो जॉकी और न्यूज एंकर रह चुकी हैं। कहती हैं कि मैंने इसी साल मास्टर्स इन मास कम्युनिकेशन का कोर्स कम्प्लीट किया है। बोलीं- सरपंच बनने के बाद मैंने सबसे पहले बच्चों के लिए प्रेयर का मैदान, महिलाओं के लिए डिलीवरी पाइंट बनवाया।
लक्षिका कहती है कि मेरे गांव में बच्चों के लिए एक कैंपस बनाया है जहां उन्हें भविष्य के बारे में गाइड किया जाता है। महिलाओं को ज्यादा से ज्यादा फायदा दिलवाना मेरी प्राथमिकता है।
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