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आयकर विभाग की बेनामी संपत्ति इकाई ने झारखंड के कारोबारी पवन बजाज की 1200 एकड़ से अधिक जमीन जब्त की है। बिहार-झारखंड में अबतक की यह सबसे बड़ी कार्रवाई मानी जा रही है। जब्त जमीन की सरकारी कीमत करीब 32 करोड़ है, परंतु बाजार मूल्य कहीं अधिक है। यह बड़ा भू-भाग रांची के बुंडू अनुमंडल के तैमारा गांव के पास स्थित दशम जलप्रपात के निकट है। इस भूखंड को जब्त करने संबंधी अंतरिम आदेश आयकर विभाग के पटना में मौजूद बिहार-झारखंड मुख्यालय ने जारी किया है।
नियमानुसार, मामले की सुनवाई आयकर के सक्षम प्राधिकार में होगी। सभी पहलुओं पर सुनवाई के बाद इसे अंतिम रूप से जब्त करने का आदेश जारी किया जाएगा। इस जमीन पर जल्द ही आयकर विभाग अपने अधिकार का सूचना पट्ट लगाने की तैयारी में है। साथ ही संबंधित निबंधन कार्यालय को भी इसकी खाता-खेसरा संख्या की भी जानकारी दी जाएगी। ताकि इस जमीन की खरीद-बिक्री किसी सूरत में नहीं हो सके।
जांच में बेनामी संपत्ति से जुड़ा मामला सामने आया
व्यवसायी पवन बजाज की मूल कंपनी का नाम शाकंबरी कंस्ट्रक्शन कंपनी लिमिटेड है। इनकी दूसरी सहायक कंपनी कोशी कंस्लटेंट प्राइवेट लिमिटेड नाम से है। इसी कंपनी के नाम पर यह 1200 एकड़ का भूखंड बताया गया था। लेकिन, जांच में इसका मालिकाना हक किसी दूसरे के नाम पर निकला, जिसकी जांच करने पर बेनामी संपत्ति से जुड़ा पूरा मामला सामने आया। पवन बजाज की कंपनियों के ठिकानों पर करीब 3 साल पहले आयकर की छापेमारी हुई थी, जिसमें करोड़ों रुपये की टैक्स चोरी की बात सामने आई थी। उसी क्रम में इस संपत्ति के दस्तावेज मिले थे।
आदिवासी भूमि के अवैध हस्तांतरण पर गवर्नर से हस्तक्षेप की मांग
राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार से गुरुवार को आदिवासी महासभा के देव कुमार धान के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल ने भेंट की। आदिवासियों की भूमि के अवैध हस्तांतरण संबंधी उन्हें ज्ञापन सौंपा। शिष्टमंडल ने विशेषकर कांके अंचल के मोजा चामा में अवैध रूप से हस्तांतरित 50 आदिवासी भूमि के ब्योरे और क्रय करने वाले राज्य सरकार के गैर आदिवासी पदाधिकारियों की सूची उपलब्ध कराते हुए तत्काल हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया। राज्यपाल द्वारा सीएनटी अधिनियम के प्रावधानों के तहत उपायुक्त के स्तर से स्वयं कार्रवाई किये जाने के संबंध में निदेशित किया गया।
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