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चंबल अब चंदन की खुशबू से महक रहा है। श्योपुर के एक किसान ने पारंपरिक खेती छोड़ चंदन की खेती के साथ नर्सरी शुरू की है। 7 साल पहले दो बीघा में 200 पौधे लगाए थे, जो अब पेड़ बन गए हैं। इनकी फूल, पत्ती, टहनियों और नर्सरी से हर साल लगभग 15 लाख की कमाई कर रहा
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दैनिक भास्कर की ‘स्मार्ट किसान’ सीरीज में इस बार आपको श्योपुर जिले के बगदरी गांव के रहने वाले किसान कर्म सिंह से मिलवाते हैं। कर्म सिंह दो बीघा जमीन में 200 चंदन के पौधे लगाए हैं। पौधों के बीच दूरी में दूसरी फसलों की भी खेती कर रहे हैं। इसके अलावा आधे बीघा में चंदन की नर्सरी लगाए हैं। जहां से हर साल करीब 6 से 7 हजार से ज्यादा चंदन के पौधे सप्लाई हो जाते हैं। एक पौधा 200 रुपए में बेचते हैं।
आइए कर्म सिंह से ही जानते हैं कि कैसे शुरू की खेती…
2010 के पहले मैं भी दूसरे किसानों की तरह ही धान, गेहूं, सरसों और मूंग की खेती करता था। जिससे सिर्फ घर खर्च ही चल पाते थे। फिर कृषि विभाग के सहयोग से मुझे भारत भ्रमण करने का मौका मिला। इस दौरान मैं आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, जम्मू-कश्मीर सहित कई राज्यों में गया। वहां कई खेती की किस्मों के साथ-साथ आधुनिक तकनीक के बारे में भी जाना।
फिर मैंने सोचा कि अपने श्योपुर सहित चंबल में क्या- क्या कर सकते हैं। जिससे किसानों को मोटा मुनाफा हो। साथी ही पर्यावरण के लिए भी फायदा हो। इन चीजों को ध्यान में रखते हुए मेरा चंदन की खेती पर फोकस ज्यादा रहा। मैं काश्मीर में तीन दिन रुका था। वहां से केसर भी लाया था। लेकिन केसर के लिए जो वातावरण चाहिए था वो यहां नहीं था। चंदन की खेती के लिए बहुत ही अच्छा है।
मैं दो बीघा में 10-10 फीट की दूरी पर खेत के चारो ओर और अंदर 200 चंदन के पौधे लगाए। जो अब 6 से 7 साल के हो गए हैं। इन पौधों से फूल और फल आने शुरू हो गए हैं। बाजार में फूल एक से डेढ़ हजार रुपए किलो में बिकते हैं। 6 साल के एक पेड़ में एक से डेढ़ किलो तक फूल निकलते हैं। फिर जैसे-जैसे पेड़ बड़े होते हैं। वैसे-वैसे फल और फूल बढ़ने लगते हैं। इसकी मार्केट में डिमांड भी रहती है। क्योंकि भारत में चंदन के फूल से कई महत्वपूर्ण औषधियां बनाई जाती हैं। चंदन के बीज का महिलाओं के मेकअप में इस्तेमाल किया जाता है।
चंदन के पत्तों से लेकर जड़ तक कीमती
चंदन के पेड़ की पत्ती, टहनी से लेकर जड़ तक बहुत कीमती है। बाजार में चंदन के पत्ती और टहनियां 200 रुपए किलो बिकता है। जड़ 3 हजार रुपए किलो बिकता है। पेड़ के अंदर से निकलने वाला ऑयल भी बहुत महंगी मिलती है। इटली में इसकी शराब बनती है। एक बोतल की कीमत लगभग 11 लाख रुपए होती है। चंदन के पेड़ में निकलने वाली लाल रंग की रोड़ देश में 8 से 10 हजार रुपए किलो में बिकता है। चंदन के पेड़ का एक-एक पत्ता तक मार्केट में बिक जाता है। इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि पारंपरिक फसलों की तुलना में चंदन की खेती कितने फायदेमंद है।
लाल और सफेद दो प्रकार के चंदन होते हैं
किसान कर्म सिंह बताते हैं कि, चंदन दो प्रकार के होते हैं। लाल और सफेद। लाल चंदन की खेत साउथ इंडिया में होती है। सफेद चंदन की खेती मध्यप्रदेश, पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र होती है। लाल चंदन पर सांप आते हैं, जबकि सफेद चंदन पर सांप नहीं आते हैं। पेड़ की ऊंचाई 18 से लेकर 20 मीटर तक होती है।
200 पेड़ों से 4 करोड़ रुपए से ज्यादा की कमाई
आधे बीघा में चंदन के पौधे की नर्सरी भी है। जिसमें हर साल करीब 6 से 7 हजार पौधे तैयार करते हैं। इसे मध्यप्रदेश के साथ-साथ पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र के किसानों को सप्लाई करते हैं। एक पौधा 200 रुपए में बिकता है। इसमें हर साल करीब 12 लाख रुपए का प्रॉफिट हो जाता है। तीन लाख रुपए फल, फूल, पत्ती और टहनियों से हो जाती है। लागत हटाकर अभी हर साल 15 लाख रुपए का इनकम हो रहा है। 6 -7 साल बाद जब पेड़ 12 से 15 साल के हो जाएंगे तो कटने लायक हो जाएंगे। उस समय एक पेड़ से दो से ढाई लाख रुपए का मुनाफा होगा। सभी 200 पेड़ों से 4 करोड़ रुपए से ज्यादा की कमाई होगी।
चंदन के पौधों के लिए खेत ऐसे तैयार करें
रोपाई से पहले खेत को अच्छी तरह तैयार कर लें। खेती की दो से तीन बार जुताई कर मिट्टी को भुरभुरी बना लें। अब पाटा लगाकर खेत को समतल बनाए। इसके बाद खेतों में 10-10 फीट की दूरी पर 45 सेंटीमीटर चौड़े और उतने ही गहरे गड्ढे बना लें। इसके बाद गोबर खाद डालकर पौधे लगाएं। जहां पौधे लगा रहे हैं, वहां जल निकासी की उचित व्यवस्था होनी चाहिए, क्योंकि ज्यादा पानी से नुकसान होता है।
बीज से ऐसे बनाते हैं पौधे
किसान कर्म सिंह बताते हैं कि, सबसे पहले चंदन के बीज को 24 घंटे पानी में डाल देते हैं। उसके बाद केमिकल डालते हैं। फिर बेड बनाकर डाल देते हैं। फिर नेट लगा देते हैं। फिर प्रराली से ढक देते हैं। एक महीने बाद जर्मिनेशन हो जाता है। फिर एक महीने बाद ही पॉलिथीन में ट्रांसफर किया जाता है। उसके साथ एक बेल लगाई जाती है। फिर दो महीने इसमें रखते हैं। चार महीने के इस प्रोसेस में पौधे की हाईट करीब एक से ढेड फीट तक हो जाती है। फिर इसकी सप्लाई शुरू कर देते हैं।
भारत सरकार के गाइड लाइन के अनुसार कर सकते हैं खेती
सफेद चंदन की खेती के लिए कोई खास कानूनी प्रक्रिया नहीं है। भारत सरकार ने 2021 में इस पर गाइड लाइन बना दी है। इस गाइड लाइन के अनुसार कोई भी चंदन की खेती कर सकता है। कुछ साल पहले तक चंदन की खेती प्रतिबंधित थी, यानी सरकार की अनुमति लेकर ही किसान चंदन की खेती किया करते थे।
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