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झारखंड में बिजली दरों में फिर बढ़ोत्तरी, प्रस्ताव नियामक आयोग पहुंचा
राज्य के उपभोक्ताओं को अब घरों में बिजली जाने के लिए 2.85 रुपए अधिक बिजली बिल चुकाने होंगे। इसी तैयारी झारखंड बिजली वितरण निगम लिमिटेड (जेबीवीएनएल) कर रहा है। बिजली के दर तय करने वाली विद्युत नियामक आयोग को जेबीवीएनएल ने इससे संबंधित प्रस्ताव दिया है
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छह महीने पहले की बढ़ी थी कीमत
बिजली उपभोक्ताओं को मिलने वाली बिजली की कीमत में बढ़ोत्तरी की मार महज छह महीने में ही झेलनी पड़ जाएगी। यह जरूर है कि उन्हें अगले साल मार्च-अप्रैल से कीमत चुकानी पड़ेगी। लेकिन बढ़ी कीमतों पर मुहर इसी साल के अंत तक लग जाएगी। जेबीवीएनएल ने बीते फरवरी महीने में ही बिजली की कीमतों में बढ़ोत्तरी की थी।
जेबीवीएनएल की ओर से नियामक आयोग को भेजे गए प्रस्ताव को लेकर एक्सपर्ट कहा कहना है कि जेबीवीएनएल कंज्यूमर के पॉकेट से कमाई करने की तैयारी कर रहा है। हर साल घाटे में रहने की बात करने वाला जेबीवीएनएल इसी तरीके से साधारण कंज्यूमर के पॉकेट में बोझ डाल कमाई कर रहा है।
क्या है जेबीवीएनएल का प्रस्ताव
साल 2024-25 के लिए बिजली की दरों में बढ़ोत्तरी का प्रस्ताव जो नियामक आयोग को भेजा गया है, उसके मुताबिक सहमति मिलने पर 6.65 रुपए की जगह 9.50 रुपए प्रति यूनिट देने होंगे।
श्रेणी वर्तमान दर वर्तमान फिस्ड चार्ज (मासिक) प्रस्तावित दर प्रस्तावित फिक्स्ड चार्ज फिस्ड चार्ज (प्रति किलोवाट/मासिक)
घरेलू (ग्रामीण) : 6.30 : 75 : 8.25 : 75/किवा/माह फिस्ड चार्ज (अर्बन) : 6.65 : 100 : 9.50 : 100 /किवा/माह घरेलू (एचटी) : 6.25/केवीएच 150/केवीए : 9.50/केवीएच : 100 /किवा/माह कॉमर्शियल (ग्रामीण) : 6.10 : 120/किलोवाट : 10 : 200 /किवा/माह कॉमर्शियल (अर्बन) : 6.65 : 200/ किलोवाट : 10.50 : 450 /किवा/माह सिंचाई : 5.30 : 50/एचपी/माह : 08 : 50/एचपी/माह एलटीआईएस : 6.05/केवीएएच : 150/केवीए : 09/केवीए : 300/केवीए/माह एचटीआईएस : 5.85 / केवीएएच : 400/केवीए : 6.30/केवीए : 450/केवीए/माह
जानिए कैसे महंगी हो जाएगी बिजली
दरअसल, जेबीवीएनएल फिर से लोड आधारित फिक्स्ड चार्ज करने का प्रस्ताव दिया है। यदि किसी उपभोक्ता के घर में 4 किलोवाट का लोड है तो वर्तमान में उसे केवल 100 रुपए प्रति माह देना पड़ता है पर टैरिफ प्रस्ताव लागू हो जाता है तो 100 रुपए प्रति किलो वाट प्रति माह यानी लगभग 400 रुपए प्रति माह अतिरिक्त केवल फिक्स्ड चार्ज के रूप में देना पड़ेगा।
बड़े कंज्यूमर जेबीवीएनएल से दूसरे विकल्प में हुए शिफ्ट
जेबीवीएनएल के इस प्रस्ताव और संभावनाओं को समझने के लिए हमने व्यवसायी और इस मामले के एक्सपर्ट अजय भंडारी से बात की। उन्होंने बताया कि जेबीवीएनएल की कमाई दरअसल घरेलू उपभोक्ताओं से ज्यादा बड़े इंडस्ट्रीज से होती थी। जेबीवीएनएल का 60-70 फीसदी लोड इंडस्ट्रीयल होता था। इससे अच्छी कमाई हो जाती थी। आज इसके ठीक उलट है। डोमेस्टिक और नॉन डोमेस्टिक लोड बढ़ गए। इंडस्ट्रीज ने जुस्को और डीवीसी को विकल्प के रूप में देखा और उनसे बिजली लेना शुरू किया। क्योंकि इन एरिया में जेबीवीएनएल की स्थिति काफी खराब है।
बिलिंग से रेवेन्यू तक में बड़ा गैप
एक्सपर्ट अजय भंडारी बताते हैं कि जेबीवीएनएल के टैरिफ बढ़ाने के पीछे की कहानी को समझने के लिए ट्रांसमिशन एंड डिस्ट्रीब्यूशन लॉस को समझना होगा। यह वह लॉस होता है जो उत्पादन से लेकर उपभोक्ताओं तक पहुंचने के बीच होता है। जुस्को और डीवीसी के मुकाबले जेबीवीएनएल का यह लॉस आज भी 35 फीसदी के करीब है। इनके बिलिंग से रेवेन्यू तक में बड़ा गैप है। जेबीवीएनएल जितना बिजली बेचता है, उसका 85 फीसदी ही बिलिंग कर पाता है। और फिर इस 85 फीसदी का कलेक्शन भी इतना ही होता है। यही वजह है कि जेबीवीएनएल खुद को पहले घाटा में दिखाता है, फिर घाटे से उबरने के लिए टैरिफ बढ़ाने की बात करता है।
नियामक आयोग बरते सख्ती को कंज्यूमर को राहत
अजय भंडारी कहते हैं कंज्यूमर को राहत मिले इसके लिए नियामक आयोग को सख्त होना होगा। जेबीवीएनएल ट्रांसमिशन एंड डिस्ट्रीब्यूशन लॉस को नियामक आयोग ने 13 फीसदी के करीब रखने को कहा है, लेकिन जेबीवीएनएल ऐसा नहीं कर पाती है। इसके बाद भी नियामक आयोग जेबीवीएनएल से कोई सवाल नहीं पूछता। आयोग सरकारी बड़ा बाबू की तरह काम कर रहा है।
कंज्यूमर बोले – पॉकेट पर पड़ेगा सीधा असर
संभावित बिजली बिल को लेकर कंज्यूमर्स का कहना है कि सरकार के इस कदम का सीधा असर पॉकेट पर पड़ना है। ऐसे ही एक कंज्यूमर राजेश साहू कहते हैं कि एक तो इनका सिस्टम ठीक नहीं है। महीने में 15 दिन इन्वर्टर से काम चलता है। एक साथ कई महीनों का बिजली बिल भेजते हैं। यह निर्णय आम आदमी को परेशान करने वाला है।
वहीं बादल सिंह का कहना है कि आम जनों पर इसका असर होने वाला है। एक तो महंगाई का असर है सो अगल। इस निर्णये से न केवल बिजली बिल बढ़ेगा महंगाई भी बढ़ेगी। इंडस्ट्रीज पर असर होगा। आम आदमी की स्थिति ही खराब हो जाएगी। हमारी तो मांग होगी कि इसे जहां तक संभव हो कम किया जाए। उपभोक्ता शुभाषीष चटर्जी कहते हैं कि अभी जो बिजली का बिल है, आम आदमी तो इसी में त्राहिमाम कर रहा है। अब फिर इसे बढ़ाया जाता है तो इसका बोझ नागरिकों पर पड़ेगा। अभी सरकार को बिजली की कीमतों को बढ़ाना नहीं चाहिए, जहां तक संभव हो नियंत्रित रखे।
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