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कोरोना संक्रमण की बीमारी से मुश्किल लोग ठीक हुए थे कि अब एक बार फिर स्वाइन फ्लू ने डराते हुए जबलपुर में पुन एंट्री दी है। जबलपुर में बीते 25 दिन के भीतर स्वाइन फ्लू के 11 पॉजिटिव मरीज मिले है जिन्हें कि मेडिकल कॉलेज सहित शहर के निजी अस्पताल में भर्ती
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जबलपुर में 11 जुलाई के बाद से जिन संदिग्ध मरीजों के सैंपल जांच के लिए भिजवाए गए थे उनमें 11 मरीजों की रिपोर्ट एच1एन1 पॉजिटिव आई है। स्वाइन फ्लू के ही लक्षणों से पीड़ित 9 और मरीजों के भी स्वाब सैंपल की जांच करवाई जा रही है और आशंका है कि यहां स्वाइन फ्लू मरीजों की संख्या बढ़ सकती है। स्वाइन फ्लू पॉजिटिव पाए गए मरीजों का इलाज अलग अलग अस्पतालों के आइसोलेशन वार्ड में चल रहा है।
जबलपुर संभाग के रीजनल हेल्थ डायरेक्टर डॉक्टर संजय मिश्रा ने 11 स्वाइन फ्लू मरीज मिलने की पुष्टि की है, हालांकि उनका कहना है कि सभी मरीजों की हालत स्थिर बनी हुई है और उनका इलाज जारी है। रीजनल हेल्थ डायरेक्टर ने लोगों से अपील की है कि वो सर्दी जुकाम बुखार और ख़ास तौर पर सांस लेने में तकलीफ होने पर अपनी जांच जरूर करवाएं। स्वास्थ्य विभाग ने एडवाइजरी जारी की है कि लोग कोविड प्रोटोकॉल का पालन करें क्योंकि कोरोना की तरह स्वाइन फ्लू से बचने के लिए मास्क का इस्तेमाल और आइसोलेशन जरूरी है।
रीजनल डायरेक्टर डॉक्टर संजय मिश्रा ने बताया कि 11 जुलाई से लेकर 6 अगस्त तक स्वाइन फ्लू के 11 मरीज पॉजिटिव आए हैं जबकि 9 सैंपल बायोलॉजी लैब में जांच के लिए भेजे गए हैं। स्वाइन फ्लू से पीड़ित मरीजों के लिए मेडिकल कॉलेज में आइसोलेशन वार्ड बनाया गया था, इसके साथ ही प्राइवेट अस्पताल में भी आइसोलेशन वार्ड बनाए करने की सबसे है जहां कुछ मरीज भर्ती है।
डॉक्टर संजय मिश्रा ने बताया कि स्वाइन फ्लू से बचने का सबसे अच्छा तरीका यह है कि अगर कोई व्यक्ति पीड़ित है तो उसे आइसोलेट कर दिया जाए साथ ही उसके संपर्क में कोई ना आए। स्वास्थ्य विभाग के निर्देश पर कुछ प्राइवेट अस्पतालों ने स्वाइन फ्लू को लेकर आइसोलेशन वार्ड भी बनाए हैं. लिहाजा यह 11 मरीज जो की स्वाइन फ्लू से पीड़ित है वह मेडिकल कॉलेज सहित शहर के अलग-अलग प्राइवेट अस्पतालों में भर्ती हैं, सभी की हालत अभी स्थिर बनी हुई है। रीजनल डायरेक्टर ने बताया कि स्वाइन फ्लू एच-1,एन-1 वही वायरस है जो की कोविड की तरह होता है।
स्वाइन फ्लू में सबसे बड़ी परेशानी मरीजों को यह होती है कि गले में यह संक्रमण ज्यादा जोर देता है, जिसके चलते व्यक्ति को सांस की तकलीफ ज्यादा हो जाती है। डॉक्टर संजय मिश्रा की माने तो स्वाइन फ्लू से पीड़ित जितने भी मरीज हैं, सभी की हालत खतरे से बाहर है। उन्होंने बताया कि स्वाइन फ्लू से पीड़ित अधिकतम मरीज प्राइवेट अस्पताल में भर्ती हैं लिहाजा प्राइवेट लैब में ही इसके टेस्ट ज्यादा हो रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग ने प्राइवेट लैब को निर्देश दिए हैं कि उसी सैंपल को आईसीएमआर के माइक्रोबायोलॉजी लैब में भेज कर नवीनतम तकनीक से जांच करवाई, और अगर पॉजिटिव स्वाइन फ्लू की रिपोर्ट आती है तो उसे आइसोलेट किया जाता है।
डॉ संजय मिश्रा के मुताबिक अभी तक 24 मरीज के सैंपल भेजे गए हैं जिसमें की 11 पॉजिटिव आए हैं, जिन्हे कि स्वास्थ्य विभाग की पोर्टल में दर्ज करवाया गया है। अभी 9 मरीज के सैंपल आना बाकी है। डॉ संजय मिश्रा ने सभी लोगों से अपील की है कि स्वाइन फ्लू में भी उसी तरह की गाइडलाइन का पालन किया जाए जो की कोविड के समय की जाती थी।
उन्होंने कहा कि जिस किसी को भी सर्दी,खांसी और बुखार आता है, सांस लेने में हल्की सी भी तकलीफ होती है, तो तुरंत ही नजदीकी डॉक्टर के पास जाएं। जांच के दौरान अगर व्यक्ति HH-1,N-1 पॉजिटिव आते हैं तो सबसे पहले आइसोलेशन अपने आप को कर लें, जिस तरह से कोविड के समय किया जाता था। भीड़ वाले इलाकों में जाना नहीं है, घर पर अपने आप के लिए एक अलग कमरे की व्यवस्था कर लें और उसी में रहे। जिस भी व्यक्ति को स्वाइन फ्लू के लक्षण आते हैं तो वह मास्क का उपयोग करें साथ ही 2 गज की दूरी बनाए रखें।
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