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भारत में मानसून भले ही बहुत सारे क्षेत्रों को तरावट दे रहा है, लेकिन ईरान और इजरायल के बीच गरमागरमी जिस तरह से बढ़ रही है, वो आने वाले मुश्किल समय का संदेश दे रही है. चोटी के हमास नेता इस्माइल हानिया को इजरायली एजेंसी मोसाद के मारने के बाद ईरान लगातार सीधी कार्रवाई की चेतावनी दे रहा है. ईरान की ये धमकियां कभी भी सीधे युद्ध में तब्दील हो सकती है. युद्ध की तपिस का असर दुनिया के साथ भारत पर बहुत अधिक पड़ सकता है. ईरान और इजरायल दोनों देशों से भारत के अच्छे कूटनीतिक और व्यापारिक संबध हैं. ऐसे में भारत को कूटनीतिक स्तर पर भी बहुत सावधानी बरतनी होगी.
ईरान से व्यापारिक संबध
अगर ईरान के साथ भारत के व्यापारिक संबंधों की बात की जाय तो साल 2022-23 में दोनों देशों के बीच 2.33 अरब डॉलर का व्यापार किया गया. इसी अवधि में भारत का निर्यात 1.66 अरब डॉलर का रहा. अगर पूरी दुनिया की बात की जाय तो ईरान भारत का 59वां सबसे बड़ा व्यापारिक साझीदार रहा. व्यापार की ये मात्रा ईरान पर अमेरिकी प्रतिबंधों के कारण पिछले सालों में काफी गिरी रही, जो पिछले साल बढ़ी. इसमें इस साल और इजाफा हुआ है. भारत आम तौर पर ईरान को गेहूं, चावल खाने के तेल, प्याज, जैसे कृषि और घी वगैरह दुध उत्पादों का निर्यात करता है. जबकि ईरान से तेल के साथ मिथाइल अल्कोहल, पेट्रोलियम बिटुमेन, सेब, खजूर और बादाम आयात करता रहा है.
हालांकि देखा जा रहा है कि रूस पर यूरोप की बंदिशे लगाये जाने के बाद तेल के क्षेत्र में रुस भारत के लिए काफी मददगार साबित हुआ है. रूस यूक्रेन युद्ध के बाद भारत रूस से बहुत अधिक तेल आयात कर रहा है. फिर भी तेल आयात करने के लिए भारत को किसी न किसी रूप से ईरान पर ही निर्भर रहना होता है. फारस की खाड़ी से हो कर भारत लाया जाने वाले हर माल पर इस युद्ध का असर पड़ेगा. उस स्थिति में व्यापार सीधे तौर पर प्रभावित होगा. जो वैकल्पिक मार्ग भी भारत तेल निर्यात के लिए खोज रहा है, उस पर भी इस युद्ध का असर होना ही है. यातायात प्राभावित होने से ईरान के साथ व्यापार तो घट ही सकता है, इसका सीधा असर कच्चे तेलों की कीमत पर पड़ने का अंदेशा भी है. माना जा रहा है कि अगर लड़ाई हुई तो तेलों की कीमतें एकदम से बढ़ जाएंगी, जिससे पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था प्रभावित होगी. भारत इससे अछूता नहीं रह सकता.
INSTC प्रोजेक्ट
इसके ईरान के साथ भारत ने चाबहार बंदरगाह के निर्माण का ठेका हासिल किया था. इसके जरिए ईरान, अफगानिस्तान और मध्य एशिया के तमाम दूसरे देशों के साथ माल ढुलाई की जाती है. ये बंदरगाह INSTC यानि अंतरराष्ट्रीय उत्तर दक्षिण परिवहन गलियारा परियोजना का हिस्सा है, जिसमें भारत एक अहम साझीदार है.
इजरायल जाते हैं भारतीय हीरे
अगर इजरायल की बात की जाय तो उसके लिए भारत एक बड़ा निर्यातक देश है. वैसे इजरायल के सात भारत ने साल 1992 से ही कूटनीतिक संबध स्थापित किए, लेकिन थोड़े ही समय में भारत के साथ इजरायल के बहुत अच्छे व्यापारिक संबंध बन गए हैं. फिलहाल, रक्षा क्षेत्र को छोड़ दिया जाए तो भी इजरायल के साथ भारत का साल 2022-23 में 10 अरब डालर का व्यापार हुआ है. इसमें भारत के निर्यात की हिस्सेदारी अहम है. भारत इजरायल को हीरे निर्यात करता है. बीते साल में इजरायल भारत का 32 सबसे अधिक व्यापार वाला साझीदार है. रक्षा क्षेत्र की अगर बात की जाय तो उसमें भी इजरायल भारत का एक बड़ा सहयोगी बना हुआ है.
विदेश मामलों के जानकार बातचीत में जरूर कहते हैं कि दोनों देशों के साथ भारत के संबध बहुत प्रगाढ़ है, लिहाजा उनके साथ व्यापार पर बहुत असर नहीं पड़ेगा. लेकिन इसमें युद्ध की स्थिति हालात न बदलें ये मुमकिन नहीं दिखता. क्षेत्र में तनाव का दोनो देशों के साथ व्यापार पर गहरा असर पड़ सकता है. इस लिहाज से कहा जा सकता है कि युद्ध की लपटे ही मध्य पूर्व में फैले लेकिन उसकी गर्मी का असर भारत में भी महसूस किया जा सकेगा. शायद यही कारण है कि भारत ने अपनी नीतियों के अनुरूप दोनों देशों से शांति बनाए रखने की ही आग्रह किया है.
Tags: Iran news, Israel Iran War, Israel News
FIRST PUBLISHED : August 5, 2024, 14:25 IST
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