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मिस साउथ अफ्रीका कंपटीशन के फाइनलिस्ट को लेकर हंगामा मच गया.14 हजार लोगों ने चिदिम्मा एडेटशिना को हटाने के लिए पिटीशन साइन की.साउथ अफ्रीका के कल्चर मिनिस्टर ने भी मॉडल के खिलाफ जहर उगला.
नई दिल्ली. साउथ अफ्रीका में उस वक्त बवाल मच गया जब 23 साल की कानून की छात्रा चिदिम्मा एडेटशिना ने मिस साउथ अफ्रीका फाइनल में पहुंच गई. देश के लोगों में अचानक गुस्सा फूट गया. 14,000 से ज्यादा लोगों ने उसे प्रतियोगिता से हटाने के लिए पिटीशन पर साइन भी कर दिए. साउथ अफ्रीका के एक केंद्रीय मंत्री ने भी उसके खिलाफ जहर उगला. मन में सवाल उठना लाजमी है कि 23 साल की इस युवती से भला साउथ अफ्रीका के लोगों को इतनी नफरत क्यों होने लगी. आखिर चिदिम्मा एडेटशिना है कौन, जिसके प्रति लोग इतनी नाराजगी जाहिर कर रहे हैं. चलिए हम आपको इसके पीछे की पूरी कहानी बताते है.
दरअसल, चिदिम्मा एडेटशिना की मां साउथ अफ्रीका की हैं. वहीं, पिता नाइजीरियाई मूल के हैं. यह परिवार पड़ोसी देश मोज़ाम्बिक से साउथ अफ्रीका आकर शिफ्ट हुआ था. चिदिम्मा के फाइनल तक पहुंचने के बाद साउथ अफ्रीका में बाहरी बनाम देसी का मुद्दा काफी ज्यादा हावी हो गया. सोशल मीडिया पर एक शख्स ने उसके खिलाफ जहर उगलते हुए लिखा, “हम साउथ अफ्रीका के लोग इस नाम को नहीं पहचानते है, बेहतर होगा कि वह अपना सामान पैक करके घर चली जाए.” वहीं, मिस साउथ अफ्रीका के प्रायोजकों की तरफ से साफ किया गया कि एडेटशिना दक्षिण अफ़्रीकी हैं. उनका जन्म जोहान्सबर्ग के पास स्थित सोवेटो शहर में हुआ था. वो केपटाउन में पली-बढ़ी हुई है.
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मंत्री जी ने भी उगला जहर…
लोगों में उसके प्रति नाराजगी इस कदर बढ़ गई कि सोशल मीडिया पर ‘गो होम’ ट्रेंड करने लगा. हाई-प्रोफाइल टेलीविजन प्रतियोगिता से उसे हटाने की मांग वाली एक पिटीशन पर 14 हजार लोगों ने साइन भी कर दिए. इसके बाद देश के कल्चर मिनिस्टर गेटन मैकेंज़ी ने सोशल मीडिया पर ऐसा बयान दिया, जिसने आग में घी डालने का काम किया. उन्होंने कहा, “हम वास्तव में नाइजीरियाई लोगों को हमारी मिस एसए प्रतियोगिता में कंपटीशन करने नहीं दे सकते. मैं टिप्पणी करने से पहले सभी तथ्य प्राप्त करना चाहता हूं, लेकिन यह पहले से ही अजीब लग रहा है.”
क्या बोलीं मॉडल?
अगले सप्ताह के अंत में मिस साउथ अफ्रीका का फाइनल होना है. चिदिम्मा एडेटशिना ने साउथ अफ्रीका के एक टीवी चैनल से बातचीत में कहा कि ऑनलाइन नफरत ने मुझे कंपटीशन में हिस्सा लेने को लेकर दो बार सोचने पर मजबूर कर दिया. “मैं एक देश का प्रतिनिधित्व कर रही हूं, लेकिन मैं उन लोगों से प्यार महसूस नहीं करती, जिनका मैं प्रतिनिधित्व कर रही हूं. स्थिति “काले-पर-काले नफरत” जैसी लग रही थी, जो दक्षिण अफ्रीका में ज़ेनोफोबिया (विदेशी लोगों को न पसन्द करना) के एक विशेष प्रकार को उजागर करती है.”
Tags: International news, South africa, World news
FIRST PUBLISHED : August 3, 2024, 19:24 IST
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