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ठेका प्रथा के विरोध में और आरएलएसडीसी के गठन की मांग को लेकर शहीद स्मारक पर प्रदर्शन किया।
अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी संयुक्त महासंघ (एकीकृत) के नेतृत्व में प्रदेश के सभी विभागों और निगमों के हजारों ठेका कर्मचारियों ने ठेका प्रथा के विरोध में और आरएलएसडीसी के गठन की मांग को लेकर शहीद स्मारक पर प्रदर्शन किया और मुख्य सचिव सुधांश पंत को अप
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प्रदेशाध्यक्ष गजेंद्र सिंह राठौड़ ने कहा कि राज्य सरकार ने ठेका कर्मियों को शोषण से मुक्त करने के लिए बजट घोषणा 2023 में ठेका प्रथा के शोषण से मुक्त करने के लिए रेक्सको की तर्ज पर ठेका कर्मचारियों को राजस्थान लॉजिकल सर्विस डिलीवरी कॉर्पोरेशन (आरएलएसडीसी) के गठन की घोषणा की थी। लेकिन इसकी अधिसूचना को आज तक जारी नहीं किया है। राठौड़ ने कहा कि केंद्र सरकार जहां गरीब जनता और छोटे कर्मचारियों का पैसा सीधे ही उनके खातों में भुगतान कर उन्हें बिचौलियों से मुक्त कर रही है। वहीं राज्य सरकार इन बिचौलिया ठेकेदारों को पनपा रही है। जो इन ठेका कर्मियों का शोषण कर रहे हैं।
सभी विभागों और निगमों के हजारों ठेका कर्मचारियों ने ठेका प्रथा के विरोध में शहीद स्मारक पर धरना दिया।
राठौड़ ने बताया की कर्मचारियों के इन ठेकेदारों को राज्य सरकार से 17000 से 30000 रूपए प्रति ठेकाकर्मी बजट आवंटित होता है। लेकिन उन ठेका कर्मचारियों को मात्र 5000 से 7000 रुपए का ही भुगतान किया जाता है। विरोध करने पर उन्हें निकालने की धमकी दी जाती है। राठौड़ ने मुख्यमंत्री से मांग की है की बजट घोषणा- 2023 की क्रियान्विति में आरएलएसडीसी के गठन की अधिसूचना शीघ्र जारी कर इन ठेका कर्मियों को ठेकेदारों के चंगुल से मुक्त किया जाए।
धरने में बड़ी संख्या में महिला कर्मचारी भी शामिल हुई।
सभा में ठेका कर्मचारियों के अध्यक्ष नाथू सिंह गुर्जर ने कहा कि कई विभागों में ठेकेदारों के द्वारा 10 वर्ष से भी अधिक समय से कार्य कर रहे ठेका कर्मियों को अचानक निकाला जा रहा है। गुर्जर ने कहा कि आज के इस विरोध प्रदर्शन में शामिल चिकित्सा, पंचायती राज, सचिवालय, जन स्वास्थ्य, ऊर्जा विभाग, आबकारी, कोष, स्वायत्त शासन, शिक्षा विभाग, कृषि व लेखा विभाग सहित राज्य के सभी सरकारी , बोर्ड, निगम और आयोग के कर्मचारी शामिल हुए हैं।
एसएमएस हॉस्पिटल में कार्यरत संजय कुमावत ने बताया- हमारे यहां 15 हजार से 18 हजार रुपए कम्प्यूटर ऑपरेटरों का बिल बनता है लेकिन वर्तमान में ठेका कर्मचारियों को 9442 रुपए वेतन मिलता है। ऐसे में हम मांग करते है कि आरएलएसडीसी के गठन करके ठेका प्रथा बंद की जाए।
अलग-अलग संगठन के पदाधिकारियों ने धरने को संबोधित किया।
अजमेर से धरने में शामिल हुए सीताराम वैष्णव ने बताया – हमारे यहां जलदाय विभाग में इतना भ्रष्टाचार है ठेकेदार का 50 लाख का बिल भुगतान बनता है, ठेका कर्मचारियों को वह सिर्फ 10 लाख का ही भुगतान करता है। सीधे-सीधे ठेकेदार ठेका कर्मचारियों की मेहनत की कमाई का 40लाख मुनाफा कमा रहे है। ऐसे में क्यों नहीं सरकार इस व्यवस्था पर अंकुश लगाती है।
दौसा जिले से धरने में पहुंचे रामकिशोर मीणा ने बताया- वह नांगल पंचायत समिति में ग्राम पंचायत कालीघाट में 2021 से कम्प्यूटर ऑपरेटर पद पर कार्यरत है। हमें 15 महीने से ठेकेदार की ओर से भुगतान नहीं किया गया। हमें 15 महीने से भुगतान नहीं किया गया। रणथंभौर संस्थान फर्म से जो ठेका उठा हुआ है हमारे जुलाई महीने पर तो रजिस्ट्रर में लाइन ही खींच दी है। गौर करने की बात है कि पंचायत समिति की ओर से 11 हजार का बिल प्रति ठेका कर्मचारी के हिसाब से बनता है लेकिन हमें महज 6 हजार रुपए ही दिए जाते है जो कि पिछले 15 महीने से नहीं दिए गए।
धरने में शैलेंद्र कुमार शर्मा, राजेश शर्मा, अशोक मीणा जीवन सेजवाल, एहतराममुद्दीन, संजय कुमावत, मुकेश बागड़, अजय लाखन, राहुल शर्मा, पप्पू राम गुर्जर और विजेंद्र जाखड़ सहित बड़ी संख्या में ठेका कर्मचारी मौजूद रहे।
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