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इतिहासकार पद्मश्री डॉ. मीनाक्षी जैन ने ‘पुस्तकें एवं पठन अवधारणा -एक ऐतिहासिक महत्व’ विषय पर व्याख्यान दिया।
राष्ट्रीय पुस्तक न्यास के 68वें स्थापना दिवस के मौके पर एनबीटी मुख्यालय नई दिल्ली के सभागार में गुरुवार (1 अगस्त) को ‘पुस्तकें एवं पठन अवधारणा -एक ऐतिहासिक महत्व’ विषय पर व्याख्यान हुआ। मुख्य वक्ता के रूप में इतिहासकार पद्मश्री डॉ. मीनाक्षी जैन ने न्
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पद्मश्री डॉ. मीनाक्षी जैन को इस मौके पर स्मृति चिन्ह भेंट किया गया।
पीढ़ी दर पीढ़ी हमारे यहां ज्ञान का संचार होता है
राष्ट्र निर्माण के लिए पुस्तकें हर विषय पर, समाज के हर वर्ग के लिए उपलब्ध हों, उसमें एनबीटी का बहुत बड़ा योगदान रहा है। डॉ. मीनाक्षी जैन ने भारत की शिक्षा परंपरा, गुरु-शिष्य परंपरा और लिपि विकास पर विचार व्यक्त करते हुए कहा कि भारत में पढ़ने-लिखने की परंपरा सदियों से चली आ रही है और विश्व ने भारत की सभ्यता, संस्कृति और विचारों को अपने यहाँ की शिक्षा पद्धति में शामिल करने का हमेशा से प्रयास किया है। हमें इस बात पर गर्व होना चाहिए कि पीढ़ी दर पीढ़ी हमारे यहा ज्ञान का संचार एवं संरक्षण होता रहा है।
एनबीटी, इंडिया केवल संस्थान नहीं, एक आंदोलन
राष्ट्रीय पुस्तक न्यास बोर्ड के सदस्य राजेश पांडे को भी स्मृति चिन्ह भेंट किया गया।
कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि और राष्ट्रीय पुस्तक न्यास बोर्ड के सदस्य राजेश पांडे ने लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक और प्रसिद्ध लेखक अन्ना भाउ साठे के साहित्य, गीतों और अन्य लेखन के जरिये समाज में जागरूकता फैलाने के योगदान को याद किया।
उन्होंने कहा कि एनबीटी, इंडिया केवल संस्थान नहीं है, यह एक आंदोलन है जो भारत के ज्ञान, परंपरा और संस्कृति को विश्वभर में ले जाने का काम कर रहा है। यदि एनबीटी बढ़ेगा तो देश के विचार और संस्कृति हर व्यक्ति तक पहुँचेगी।
बहुभाषावाद को बढ़ावा दिया
एनबीटी, इंडिया के अध्यक्ष प्रोफेसर मिलिंद सुधाकर मराठे ने भी संबोधित किया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे एनबीटी, इंडिया के अध्यक्ष प्रोफेसर मिलिंद सुधाकर मराठे ने कहा कि विचार व्यक्ति और समाज को बदलने का माध्यम है। एनबीटी, इंडिया का लक्ष्य है कि हर हाथ में किताब पहुँचे, जो काम हम पिछले 68 वर्षों से सफलतापूर्वक करते आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि एनबीटी के हर कर्मचारी का उद्देश्य पुस्तकों के माध्यम से हर व्यक्ति के जीवन को सकारात्मक रूप से प्रभावित करना होना चाहिए।
नेशनल बुक ट्रस्ट के निदेशक युवराज मलिक ने एनबीटी की विगत वर्ष की उपलब्धियों का उल्लेख करते हुए कहा कि आज एनबीटी पूरे देश में उत्तम और प्रमाणित पुस्तकें उपलब्ध करवाने वाली मानक एवं प्रगतिशील संस्था के रूप में जानी जाती है।
एनबीटी ने पुस्तकों के जरिये बहुभाषावाद को बढ़ावा दिया है और विगत वर्ष में लगभग 10 करोड़ पाठकों तक 60 से अधिक भाषाओं में पुस्तकें पहुँचाई हैं। कार्यक्रम के दौरान राष्ट्रीय पुस्तक न्यास, भारत ने कर्मियों को स्थापना दिवस उत्कृष्टता पुरस्कार देने की परंपरा की भी शुरुआत की।
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