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राजधानी दिल्ली को जलभराव मुक्त बनाने को लेकर दशकों पुराने ड्रेनेज सिस्टम को बदलने की तैयारी है। वार्ड के हिसाब से पुराने नालों की सूची तैयारी होगी। मेयर शैली ओबरॉय ने गुरुवार को इसकी घोषणा करते हुए कहा कि 500 करोड़ रुपये के फंड से नालों का पुनर्निर्माण किया जाएगा।
दिल्ली की मेयर शैली ओबरॉय ने गुरुवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि दिल्ली में 20-30 साल पुराना ड्रेनेज सिस्टम काम कर रहा है। इसे वर्षों से बदला नहीं गया है। यह पूरी तरह से खराब हो चुका है। दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) के अफसरों को खराब ड्रेनेज सिस्टम की सूची तैयार करने और उसको बदलने में आने वाले खर्च का अनुमान लगाने के निर्देश दिए हैं।
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उन्होंने बताया कि मेयर का 500 करोड़ रुपये की विवेकाधीन निधि का फंड होता है। इसके लिए अगर मेयर के फंड से भी पैसे देने की जरूरत पड़ी तो दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि मॉनसून तक एमसीडी के अधिकारी और स्टाफ 24 घंटे काम करेंगे। पूरी दिल्ली में फुटपाथ और बंद पड़े नालों से अतिक्रमण हटाया जाएगा।
‘हिन्दुस्तान’ ने उठाया था जलभराव का मुद्दा
बीते तीन दिन से आपका अपना अखबार ‘हिन्दुस्तान’ जानलेवा नाले अभियान के तहत दिल्ली के बदहाल ड्रेनेज सिस्टम के मुद्दे को प्रमुखता से प्रकाशित कर रहा था। इसमें हमने बताया था कि कैसे 48 साल पहले बने ड्रेनेज सिस्टम पर राजधानी आश्रित है। जिस समय ये नाले बनाए गए थे तब दिल्ली की आबादी महज 60 लाख थी, जो अब ढाई करोड़ से ज्यादा है।
राजेंद्र नगर हादसे के बाद दिल्ली में बेसमेंट इस्तेमाल को लेकर दिशानिर्देश जारी
वहीं, दिल्ली ओल्ड राजेंद्र नगर में हुए हादसे के बाद नगर निगम लगातार कार्रवाई कर रहा है। इसी कड़ी में निगम ने बेसमेंट के इस्तेमाल को लेकर दिशानिर्देश जारी किया है। जारी सर्कुलर में कहा गया है कि अब से बेसमेंट में अलग-अलग प्रवेश और निकासी द्वार का होना जरूरी होगा। सर्कुलर के अनुसार, जिन इमारतों में बेसमेंट होगा, उनका सर्वे किया जाएगा। अगर कोई बेसमेंट का गलत इस्तेमाल करता हुआ मिलता है तो तुरंत कार्रवाई की जाएगी। यहां तक कि निगम बेसमेंट को सील भी करेगा। इसके अलावा फुटपाथ और नालों पर से अतिक्रमण हटाया जाएगा। नालों की गंदगी को सुपर सकर मशीन से साफ किया जाएगा।
पोर्टेबल पंप का इस्तेमाल होगा जलभराव की निकासी के लिए निगम पोर्टेबल पंप का इस्तेमाल करेगा। इसके लिए ऑपरेटर भी तैनात रहेंगे। सड़कों पर खुले तारों और केबल को लेकर सर्वे किया जाएगा, जिससे कि संबंधित विभाग उचित कदम उठा सके। कुछ क्षेत्रों में जल निकासी के लिए पुराने बैरल हैं। किसी भी अप्रिय घटना से बचाव के लिए उनका निरीक्षण होगा। बदहाल शौचालय को साफ-सुथरा बनाया जाएगा।
ओल्ड राजेंद्र नगर हादसे के बाद दिल्ली के अलग-अलग इलाकों में निगम की ओर से कार्रवाई शुरू कर दी गई है। साथ ही कोचिंग सेंटर का औचक निरीक्षण किया जा रहा है, जिससे कि जहां भी नियमों का उल्लंघन हो रहा है वहां पर तुरंत कार्रवाई की जा सके।
निगम ने 34 कोचिंग सेंटर पर कार्रवाई की
निगम ने गुरुवार को कड़ी कार्रवाई करते हुए पश्चिमी, सेंट्रल, और नजफगढ़ ज़ोन में 34 कोचिंग सेंटरों में अवैध रूप से चल रहे बेसमेंट को सील किया। पश्चिमी जोन में 23, मध्य जोन में 8, और नजफगढ़ जोन में 3 कोचिंग सेंटरों के बेसमेंट को सील किया।
नियम के अनुसार ही बेसमेंट का उपयोग होगा
शिक्षा निदेशालय ने भी स्कूलों को बेसमेंट के इस्तेमाल को लेकर दिशानिर्देश जारी किया है। इसके अनुसार स्कूल इमारत में अगर कोई बेसमेंट है तो उसका उपयोग केवल मास्टर प्लान के अनुसार स्वीकृत योजना के तहत ही किया जाएगा। उल्लंघन करने वालों पर कार्रवाई होगी।
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