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फ्लैट से लोग अपना सामान खाली करते हुए। फिलहाल यहां रुकने के लिए कोई तैयार नहीं।
ग्वालियर के थाटीपुर में घटिया निर्माण के चलते गोल्डन टॉवर (मल्टी) में 16 जुलाई को एक पिलर ध्वस्त होने के बाद बिल्डिंग एक तरफ झुक गई थी। कई फ्लैट में दरार आ गई। खतरनाक स्थिति में सभी 27 फ्लैट आधी को आनन-फानन में खाली कराए गए। 18 दिन बीत चुके हैं, लेकि
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पीड़ित फ्लैट मालिक रजनी का कहना है कि किराए पर रह रे हैं। फ्लैट खरीदने पर 28 लाख रुपए का कर्जा हो गया है। अब तो फ्लैट भी नहीं रहा। हम बाहर रह लेंगे, लेकिन इस मल्टी में रहकर अपनी जान को खतरे में नहीं डालेंगे। गुरुवार को गोल्डन टॉवर से संबंधित फाइल को नगर निगम ऑफिस में अधिकारियों ने काफी तलाश करने का प्रयास किया, लेकिन बिल्डिंग की फाइल नहीं मिल रही है। आशंका है कि सांठगांठ कर फाइल को छुपा दिया गया है।
यही पिलर ध्वस्त होने से यह पूरा विवाद खड़ा हुआ है।
मजबूरी में धीरे-धीरे लोग समेट रहे अपना सामान
शहर के थाटीपुर स्थित गोल्डन टॉवर की निवासी रजनी ने बताया कि उन्होंने यहां फ्लैट 26 लाख रुपए में खरीदा था। रजिस्ट्री और कुछ फर्नीचर सहित कुल 28 लाख रुपए खर्च हुए थे। फ्लैट फाइनेंस कराया था। सोचा नहीं था कि बिल्डर इतना घटिया निर्माण कराएगा। अभी छह साल ही हुए हैं और मल्टी की यह हालत है कि अब इसमें रहा नहीं जा सकता है। आज मल्टी को जर्जर हुए 18 दिन बीत गए हैं। बिल्डर ने एक बार भी आश्वासन नहीं दिया कि वह हमें नई मल्टी बनाकर देगा। हम पर कर्ज हो गया है और फ्लैट भी नहीं रहा, लेकिन कर्जा और बढ़ जाए पर इस जर्जर मल्टी में नहीं रहेंगे।
नगर निगम ऑफिस से कहां गई फाइल
गुरुवार काे एक हैरत की बात और सामने आई है। अफसरों ने जब गोल्डन टॉवर से संबंधित फाइल मांगी गई तो वह नहीं मिली। इस पर अफसरों का कहना है कि दस साल पुराना मामला है इसलिए फाइल आसानी से नहीं मिल रही है। यहां आशंका है कि बिल्डर और निगम अफसरों की सांठगांठ से यह फाइल गायब कर दी गई है।
सिर्फ आठ साल में 50 साल जैसी हालत कैसे हो गई
नगर निगम के असिस्टेंट सिटी प्लानर प्रदीप जादौन ने दो दिन पहले मल्टी में चल रहे मरम्मत कार्य का निरीक्षण किया था। इस दौरान उन्होंने यह भी देखा है कि बिल्डर मोहन बांदिल ने ऐसा क्या निर्माण कराया है कि बिल्डिंग की आठ साल में ऐसी हालत हो गई है, जैसी किसी बिल्डिंग की 50 साल साल में नहीं होती। प्रारंभिक पड़ताल में बिल्डिंग में घटिया सामग्री लगाकर घटिया निर्माण की बात सामने आई है।
फ्लैट में रहने वाले बोले-इससे घटिया निर्माण नहीं देखा
गोल्डन टॉवर में थर्ड फ्लोर पर रहने वाले संदीप सिंह का कहना है कि मैंने इससे घटिया निर्माण अपनी जिंदगी में कभी नहीं देखा। जब यहां फ्लैट लिया था तो अपने नए आशियाना को लेकर कई सपने थे, लेकिन वह इस तरह घटिया निर्माण की भेंट चढ़ जाएंगे सोचा नहीं था। मैं इस पूरे मामले को कोर्ट तक ले जाऊंगा।
निगम ने बिल्डर के प्रोजेक्ट पर गढ़ाई नजर
नगर निगम ने बिल्डर मोहन बांदिल के शहर में चल रहे अन्य प्रोजेक्ट पर नजर गढ़ा दी है। प्रशासन का मानना है कि गोल्डन टॉवर में जैसा निर्माण किया है वैसा निर्माण अन्य बिल्डिंग में तो नहीं किया जा रहा है, क्यों कि यह लोगों की जान से खिलवाड़ करने जैसा है। इसलिए पहले ही इसे रोका जाना चाहिए।
ऐसे समझिए पूरा मामला
शहर के थाटीपुर स्थित नेहरू कॉलोनी में गोल्डन टॉवर के नाम से पांच मंजिला इमारत है। जिसमें 27 फ्लैट हैं और सभी फ्लैट में लोग रह भी रहे थे। शहर की प्राइम लोकेशन होने पर यहां के लोगों ने ऊंचे दाम पर फ्लैट खरीदे थे। 16 जुलाई की रात करीब 7 बजे गोल्डन टॉवर में उस समय हंगामा मच गया, जब मल्टी की पार्किंग में लोग पहुंचे तो उसका एक पिलर टूट चुका था। मल्टी एक तरफ को झुकने लगी थी। यह देखते ही वहां दहशत फेल गई। लोग फ्लैट से निकलकर सड़क की तरफ भागने लगे थे। सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची। पुलिस ने तत्काल नगर निगम, रेस्क्यू दलों को सूचना दी। रात को नगर निगम कमिश्नर हर्ष सिंह स्पॉट पर पहुंच गए थे। पुलिस व रेस्क्यू दलों की मदद से तत्काल बचाव कार्य शुरू कर दिए। सबसे पहले सभी 27 फ्लैट खाली कराए गए। लोग जिस हालत में थे उसी हालत में उनको बाहर निकाला। इसके बाद जहां पिलर टूटा था वहां जैक लगाकर स्थिति को संभाला गया। पुलिस व रेस्क्यू दलों की टीमों ने तत्काल मल्टी के सभी 27 फ्लैट खाली करा लिए हैं। लोगों को साफ चेतावनी दी है कि यह मल्टी अभी सुरक्षित नहीं है, इसलिए यहां कोई नहीं रह सकता है। प्रशासन ने मल्टी गोल्डन टॉवर के बाहर चेतावनी बोर्ड लगा दिया है कि यह मल्टी रहने के लिए सुरक्षित नहीं है, इसलिए यहां अभी कोई भी नहीं रह सकता है।
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