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Tejas Fighter Jet : भारतीय वायुसेना के बीच में अमेरिका बड़ी बाधा बन रहा है. भारतीय वायुसेना को इस समय फाइटर जेट की काफी ज्यादा जरूरत है, लेकिन अमेरिका की मनमानी के कारण काफी दिक्कतें हो रही हैं. दरअसल, भारत तेजस Mk-1A फाइटर जेट को तेजी बना रहा है, इसके लिए अमेरिका का इंजन F404-IN20 लगना है. अमेरिका इसकी डिलिवरी नहीं दे रहा है. इस वजह से तेजस का प्रॉडक्शन काफी कम हो गया है. अमेरिका बार-बार सप्लाई चेन में दिक्कत होने का बहाना बनाता है, लेकिन एक्सपर्ट कुछ और ही बताते हैं. दरअसल, अमेरिका रूस के साथ भारत की नजदीकियां बढ़ने की वजह से अपनी मनमानी करने लगा है. इसको लेकर पिछले दिनों भी स्पुतनिक की एक रिपोर्ट आई थी. रिपोर्ट के मुताबिक, एक्सपर्ट का कहना है कि अगर इसकी सप्लाई में देरी होती है तो भारत अमेरिका के साथ कॉन्ट्रैक्ट भी खत्म कर सकता है.
वायुसेना पर पड़ रहा असर
हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स (HAL) को अभी 16 तेजस फाइटर जेट बनाने हैं, लेकिन इनके लिए इंजन नहीं मिल रहे. इस वजह से प्रॉडक्शन रुका हुआ है. अब HAL की तरफ से कहा गया कि वह नवंबर में पहला विमान देगी. वायुसेना को लगता है कि वित्त वर्ष में 8 तेजस मिल जाएंगे. एयर मार्शल (सेवानिवृत्त) एम. माथेस्वरन कहते हैं कि अमेरिकी F404 इंजन की सप्लाई में देरी से भारतीय वायुसेना पर तत्काल प्रभाव पड़ेगा, क्योंकि तेजस Mk1 और तेजस Mk1A के 6 स्क्वाड्रन जल्द ही सर्विस में शामिल किए जाने वाले हैं.
विकल्पों को तलाश रहा भारत
वहीं, अमेरिका की तरफ से विमान इंजन की सप्लाई में देरी की वजह से एचएएल ने विकल्प तलाशना शुरू कर दिया है. जब तेजस योजना शुरू हुई थी, तब रूस ने कावेरी इंजन पेशकश की थी, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया था. एक्सपर्ट कहते हैं कि इस क्षेत्र में रूस के साथ साझेदारी निश्चित रूप से भारत के लिए फायदेमंद होगी, क्योंकि तेजस Mk1, Mk1A और Mk2 वेरिएंट भविष्य में भारतीय वायु सेना के मिग-21, मिग-29 और जगुआर की जगह लेंगे. इन विमानों का निर्माण हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) कर रही है.
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