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जुलाई में बरगी समेत कई बांधों के गेट खोलना पड़े। श्योपुर, सागर, टीकमगढ़ में बाढ़ के हालात बने।
इस सीजन जुलाई में मध्यप्रदेश में मानसून खूब बरसा। जुलाई के 31 दिन में 14.27 इंच बारिश हुई। यह कोटे से 1.78 इंच ज्यादा है। यानी 14% ज्यादा पानी गिर गया। 7 साल में ऐसा दूसरी बार हुआ, जब जुलाई में इतना पानी गिरा है। भोपाल और जबलपुर में सामान्य से 5 इंच
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हालांकि, इंदौर और उज्जैन जैसे कई बड़े शहर पिछड़े भी हैं। लेकिन, मौसम विभाग की मानें तो अगस्त में अच्छी बारिश के आसार हैं। अगस्त में कोटा पूरा हो सकता है।
21 जून को एंटर हुआ था मानसून
एमपी में 15 जून तक मानसून दस्तक दे देता है। अब की बार यह 21 जून को आया और 7 दिन में ही (27 जून तक) पूरे प्रदेश में छा गया। इससे पहले प्री-मानसून भी एक्टिव रहा। जून में भी कोटे के बराबर बारिश हुई थी, लेकिन जुलाई में कोटे से ज्यादा पानी गिर गया। जुलाई में बारिश का आंकड़ा 12.49 इंच है। पूरे सीजन में एमपी में 37.3 इंच औसत बारिश मानी जाती है।
खबर में जानेंगे, इतनी बारिश क्यों, आगे क्या? पहले जुलाई में हुई बारिश से बने हालात की ये 6 तस्वीरें देख लीजिए….
जुलाई में अच्छी बारिश से मध्यप्रदेश के बांधों-नदियों में लगातार पानी आ रहा है। 30 जुलाई को जबलपुर के बरगी डैम के 21 में से 7 गेट खोलकर पानी छोड़ा गया।
30 जुलाई को शिप्रा नदी में पानी बढ़ने से रामघाट और दूसरे घाटों पर मंदिरों में पानी घुस गया। आरती स्थल सहित पंडे – पुजारियों के तर्पण पूजा स्थल भी डूब गए।
24 जुलाई को सागर के बीना में बारिश से मकान ढह गए। रेस्क्यू टीम ने एक नवजात और उसकी मां को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया।
छतरपुर के बमनोरा में 23 जुलाई की रात धसान नदी में बाढ़ आ गई। टापू पर 59 लोग फंस गए। एसडीईआरएफ ने रेस्क्यू कर लोगों को निकाला।
20 और 21 जुलाई को नर्मदापुरम में 2.44 इंच बारिश ने बाढ़ से हालात बना दिए। नाले उफना गए, पानी पॉश कॉलोनियों में भर गया। जिले में 10 से ज्यादा मकान गिरे, 1 मौत हुई।
6 जुलाई को श्योपुर जिले के बड़ौदा में बाढ़ आई थी। 24 घंटे में 13 इंच पानी गिरा था। 100 से ज्यादा घरों में 10 फीट तक पानी भर गया था। राफ्टिंग से लोगों को रेस्क्यू करना पड़ा था।
इसलिए सामान्य से ज्यादा पानी गिरा
जुलाई में एक के बाद एक साइक्लोनिक सर्कुलेशन, मानसून ट्रफ, लो प्रेशर एरिया और वेस्टर्न डिस्टरबेंस एक्टिव रहे। इस कारण 31 दिन तक प्रदेश में कहीं न कहीं बारिश हुई। सबसे ज्यादा जबलपुर, भोपाल और नर्मदापुरम संभाग में मानसून मेहरबान रहा। रीवा सबसे पिछड़ गया। इंदौर और उज्जैन संभाग भी पीछे रहे।
अगस्त के पहले सप्ताह में स्ट्रॉन्ग सिस्टम
पिछले साल जुलाई में औसत 12.24 इंच पानी गिरा था, लेकिन इस बार यह 14 इंच से ज्यादा है। इस कारण भोपाल, जबलपुर, सीहोर, राजगढ़, विदिशा, रायसेन समेत 35 जिले हैं, जो पिछले साल से आगे निकल गए।
मौसम विभाग के अनुसार, साइक्लोनिक सर्कुलेशन और मानसून ट्रफ लाइन की एक्टिविटी स्ट्रॉन्ग हो गई है। ऐसे में अगस्त के पहले सप्ताह में तेज बारिश का दौर चलेगा। जून-जुलाई में जो जिले बारिश के आंकड़ों में पिछड़ गए, वे आगे निकल जाएंगे।
एमपी में जुलाई में इतना पानी गिरा…
अब जानिए, बड़े शहरों की तस्वीर…
भोपाल में 5 इंच बारिश ज्यादा हुई: पिछले साल की तुलना में इस बार जुलाई में 5 इंच बारिश ज्यादा हुई है। पिछले साल 10.86 इंच पानी गिरा था। इस बार 15.70 पानी गिर गया। जुलाई के आखिरी 2 दिन जरूर हल्की बारिश हुई, लेकिन पूरे जुलाई मानसून अच्छा बरसा।
इंदौर में 9 इंच पानी कम गिरा: इंदौर में बारिश का आंकड़ा कम है। पिछले साल 20 इंच से ज्यादा बारिश हुई थी, जबकि इस बार जुलाई में 9 इंच भी पानी नहीं गिरा है।
जबलपुर में भी औसत से ज्यादा पानी गिरा: जबलपुर में 2019 के बाद इस साल जुलाई में अच्छा पानी गिरा है। इस बार साढ़े 13 इंच से ज्यादा पानी बरस गया है, जो पिछले साल से 5 इंच अधिक है।
ग्वालियर में 2 साल बाद बारिश ज्यादा: ग्वालियर में 2 साल के बाद जुलाई में सबसे ज्यादा 9 इंच पानी गिरा है। साल 2021 में 11 इंच से ज्यादा बारिश हुई थी।
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