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एंबुलेंस नहीं मिलने की वजह से हाथ से उठाकर शव ले जाने को मजबूर पिता
ग्रामीण क्षेत्र में अंधविश्वास की जड़े अब भी काफी मज़बूत हैं, लोग गंभीर बीमार का इलाज अस्पताल में करवाने के बजाय किसी ओझा या जड़ी बूटी के नाम पर इलाज करने वाले के पास भागते हैं। पूर्वी सिंहभूम जिले के कोवाली में इसी अंधविश्वास के चलते एक मासूम की जान
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दरअसल पूर्वी सिंहभूम जिले के कोवाली के रोटेडा निवासी अभिनाथ सरदार अपनी पत्नी बिनोती सरदार और पांच बच्चों के साथ रहता है। अभिनाथ मजदूरी कर जीवन यापन करता है। अभिनाथ ने बताया कि बीते 22 जुलाई की रात को पत्नी बिनोती बच्चों के साथ जमीन पर सोई थी। इसी दौरान एक सांप ने 4 साल की बेटी मनीषा सरदार और पत्नी बिनोती को डस लिया। सुबह ग्रामीणों ने झाड़ फूंक करने की सलाह दी। गांव के ही सुरु मुंडा ले पास झाड़ फूंक के लिए ले गए।
इलाज के दौरान बिगड़ी तबीयत
इलाज ले दौरान बच्ची की तबीयत बिगड़ने लगी तो 23 जुलाई की शाम 4 बजे बच्ची और पत्नी को इलाज के लिए एमजीएम अस्पताल लेकर पहुंचे पर रास्ते में बच्ची की मौत हो गई। हालांकि डॉक्टरों ने पत्नी का इलाज शुरू किया और बच्ची के शव को शव गृह में रखवा दिया। इसी बीच 3 साल के बेटे समराज सरदार को मलेरिया हो गया। उसे भी इलाज ले लिए एमजीएम में भर्ती कराया।
रविवार को कराया पोस्टमॉर्टम
अभिनाथ ने बताया कि पत्नी बच्चे के इलाज ले कारण वह बच्ची के शव का पोस्टमॉर्टम नहीं करवा पा रहा था। शनिवार को पत्नी को अस्पताल से छुट्टी मिल गई जिसके बाद रविवार को बच्ची के शव का पोस्टमॉर्टम करवाया।
विधायक ने भी नहीं की मदद
अभिनाथ ने बताया कि पत्नी और बच्ची को अस्पताल पहुंचाने ले लिए उसे एम्बुलेंस को एक हजार रुपए देने पड़े। बेटी की मौत के बाद मोक्ष वाहन से शव को पोस्टमॉर्टम और फिर घर लेकर जाने के लिए तीन हजार रुपए की मांग की गई है जबकि उसके पास लाल कार्ड है। वहीं उसने विधायक संजीव सरदार, चोरुगोड़ा ग्राम प्रधान उदय हांसदा और मुखिया सरस्वती मुर्मू से भी मदद मांगी पर किसी मदद नहीं की।
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