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राजस्थान विधानसभा में आज युवा संसद हुई। इसमें देशभर के स्कूली छात्रों ने हिस्सा लिया। जो सीएम, मंत्री और नेता प्रतिपक्ष बने। युवा संसद में स्टूडेंट्स ने पेपर लीक, कोचिंग स्टूडेंट के सुसाइड के मामलों में लचर सिस्टम पर जमकर आक्रोश जताया। छात्रों ने क
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प्रश्नकाल में छात्रों ने विधायकों की तरह ही सवाल पूछे। उसी तर्ज पर मंत्री की भूमिका निभाने वाले छात्रों ने जवाब दिए। इसके बाद कोचिंग पर रेगुलेटरी बॉडी बनाने को लेकर प्रस्ताव पर बहस की गई। इस बहस में देशभर से आए स्टूडेंट्स ने कोटा में कोचिंग स्टूडेंट की सुसाइड पर नाराजगी जाहिर करते हुए सिस्टम की खामियां सुधारने का सुझाव दिया।
छात्र विहान बजाज ने कोटा में कोचिंग का मुद्द उठाया।
विहान बजाज बोले- विद्या की काशी मणिकर्णिका घाट बन चुकी
छात्र विहान बजाज ने कोटा में कोचिंग स्टूडेंट के सुसाइड के मामले को मार्मिक तरीके से उठाया। विहान ने कहा- प्रधानमंत्री ने जिसे विद्या की काशी कहा, वो विद्या की काशी आज मणि कर्णिका घाट बन चुकी है। कोचिंग वाले लुभावने विज्ञापन देते हैं। भरपूर विज्ञापन देकर आकर्षित करते हैं। कोचिंग पर कंट्रोल के एक रेगुलेटरी बॉडी बननी चाहिए। जो इन पर अंकुश लगाए। कोचिंग सिस्टम पर रेगुलेशन समय की मांग है। आज अकेला कोचिंग का रेवेन्यू 58 हजार करोड़ पार कर गया है। यह बढ़ता जा रहा है, लेकिन जैसे जैसे कोचिंग वालों का मुनाफा बढ़ रहा है। उतना हर स्टूडेंट का डिप्रेशन भी बढ़ रहा है।
कोचिंग छात्रों का जीवन डेटा बनकर रह गया, स्कूली सिलेबस पर क्यों नहीं होती जेईई, नीट की परीक्षाएं
युवा संसद में छात्रा सौम्या सिंह भदौरिया ने कहा- आज कोचिंग संस्थान क्यों पनप गए, हमारी शिक्षा व्यवस्था की नाकामी के कारण पनप गए हैं। जेईई परीक्षा के लिए कहा जाता है कि एनसीईआरटी सिलेबस पर आधारित है। लेकिन ऐसा है नहीं। बच्चों को उसके बारे में स्कूलों में कहां तैयार किया जाता है। जेईई में 14 लाख ने परीक्षा दी। सीट केवल 16 हजार हैं। यह परीक्षा स्कूली सिलेबस पर आधारित क्यों नहीं है? आज कोचिंग के साथ नकली स्कूल तक पन गए हैं। शिक्षा को व्यापार बना दिया है। कोचिंग संस्थानों के लिए नियम लागू ही नहीं हो पा रहे हैं।ॉ
भदौरिया ने कहा- दुख की बात है कि युवा दबाव में आकर सुसाइड के लिए मजबूर हो रहे हैं। कॉम्पिटिशन की वजह से दबाव में आकर सुसाइड कर रहे हैं। आत्महत्या करने वाले छात्रों का डेटा लगातार बढ़ रहा है। ये छात्र हमारे सिस्टम के लिए डेटा बनकर रह गए हैं। कोचिंग में नंबरों के आधार पर क्लास और फैकल्टी बदल जाती है। फीस तो सबने बराबर दी है, फिर यह भेदभाव क्यों? कमजोर छात्रों को कमजोर फैकल्टी दी जाती है।
कब तक ख्वाब बेजान किताबों के तले रोंदे जाएंगे ?
युवा संसद में छात्र ध्रुवांश शाह ने कहा- कोचिंग संस्थानों में छात्र सुसाइड कर रहे हैं। आखिरी ऐसी कितनी जाने और जाएंगी? कोचिंग संस्थानों को मेंटल हेल्थ का ध्यान रखना होगा। छात्रों के माता-पिता को भी अपनी सोच बदलने की आवश्यकता है। कोचिंग संस्थान में एक मेंटल हेल्थ काउंसलर लगाएं। बच्चों को अंधे कॉम्पिटिशन में धकेलने की जगह सब्जेक्ट में योग्य बनाएं। समय आ गया है कि भारत सरकार कोचिंग के लिए रेगुलेशन बनाए ताकि हमारे बच्चे सुसाइड नहीं करें।
नीशा छेड़ा ने पेपर लीक के मुद्दे पर अपनी बात रखी।
निशा छेड़ा ने कहा- कोचिंग से पेपर लीक हुआ, हम अंधे की लाठी की जगह खुद अंधे बन गए
नीट पेपर लीक पर भी छात्रों ने आक्रोश जताया। निशा छेड़ा ने कहा- आज धर्म और शिक्षा का बाजारीकरण हो गया है। शिक्षा दान की वस्तु है तो इसका बाजारीकरण क्यों? जब एक तरह की फीस ली जाती है। कोचिंग वाले कमजोर-होशियार छात्रों के अलग बैच बनाकर भेदभाव करते हैं। कोचिंग में 18-18 घंटे पढ़ाई का शेड्यूल बना रखा है। कोई बच्चा 18 घंटे रोज नहीं पढ़ सकता। जबरदस्ती की तो वह डिप्रेशन में जाएगा। कोचिंग का टाइम टेबल सरकार बनाए।
आईआईटी कानपुर में आधे घंटे की बैठक के बाद पेपर रद्द कर दिया, क्योंकि एक कोचिंग से पेपर लीक हो गया था। कोचिंग सेंटरों का सरकारी अफसर लगातार निरीक्षण करें, इनके लिए सख्त मॉनिटरिंग मैकेनिज्म बनाए जाने क जरूरत है। आज हर गली में कोचिंग सेंटर खुल गए है। हम अंधे की लाठी बनने की जगह खुद अंधे बन चुके हैं।
श्रेया मुखर्जी ने कोचिंग सिस्टम पर सवाल उठाए।
छात्रा श्रेया बोलीं- कोचिंग वाले फर्जी दावे करते हैं, एनटीए का असली चेहरा सामने आ चुका, सिस्टम सुधारें
छात्रा श्रेया मुखर्जी ने कोचिंग संस्थानों पर सवाल उठाते हुए कहा- नियमों की बर्बादी हो चुकी है। नियमों के अनुसार 16 साल से कम आयु के बच्चे को कोचिंग में नहीं ले सकते। लेकिन यहां तो आईआईटी की तैयारी छठी क्लास से ही कोचिंग शुरू कर देता है। दो कोचिंग वाले एक ही बच्चे का क्रेडिट लेते हैं। तीन विज्ञापनों में एक ही बच्चे के सलेक्शन का दाव करते हैं। बच्चों में कॉम्पिटिशन की आग जला दी है। सवाल यह नहीं है कि आग किसने जलाई। सवाल यह है कि कोचिंग के हाथ तीली किसने दी। हालत यह है कि हम बच्चों की मौत सह लेंगे, लेकिन सिस्टम नहीं सुधारेंगे? एनटीए का असली चेहरा सह लेंगे लेकिन सिस्टम वही रहेगा।
दिवा शर्मा बोलीं- एकलव्यों के अंगूठे तो आज भी कट रहे हैं; पेपर लीक, संस्थागत भ्रष्टाचार मॉर्डन द्रोणाचार्य बने
छात्रा दिवा शर्मा ने लचर सिस्टम पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा- किसी अर्जुन को श्रेष्ठ साबित करने के लिए हर युग में एकलव्य का अंगूठा कटाया गया। अंगूठे तो आज भी कट रहे हैं, लेकिन अब द्रोणाचार्यों ने दुर्बलता को कानून बना दिया है। पेपर लीक, संगठनात्मक भ्रष्टाचार आज के द्रोणचार्य हैं। 2019 से 2024 के बीच 36 हजार बच्चों ने सुसाइड किया। कोचिंग की गाइडलाइन है, लेकिन पालना नहीं होती। कोचिंग सुसाइड के पीछे प्रेशर है। नीट की 50 हजार सीटों के लिए 25 लाख स्टूडेंट के बीच प्रतिस्पर्धा होती है।
जेईई में 14 हजार सीटों के लिए 14 लाख स्टूडेंट के बीच कॉम्पिटिशन होता है। बच्चों पर प्रेशर की असली वजह यही है। इनकी सीटें बढ़नी चाहिए। कोचिंग बिना वजह प्रेशर क्रिएट करते हैं। जब तक सीटें नहीं बढ़ती है, हालात ये ही रहेंगे।
दिवा ने कहा- कोचिंग संस्थान युवा पीढ़ी को लूट रहे हैं। एजुकेशन सिस्टम पर हम अपनी जीडीपी का बहुत कम खर्च कर रहे हैं। कोठारी कमिशन की सिफारिश के अनुसार जीडीपी का छह प्रतिशत खर्च शिक्षा पर होना चाहिए। लेकिन हम 2.5 प्रतिशत ही खर्च कर रहे हैं। शिक्षा पर खर्च बढ़े और मेडिकल, आईआईटी की सीटें बढ़नी चाहिए।
छात्र कनक चंडक ने कहा- कोचिंग इंडस्ट्री 50 हजार करोड़ से ज्यादा की बन चुकी है। हमारे शिक्षा तंत्र की खामियों और क्वालिटी एजुकेशन नहीं मिलने के कारण कोचिंग पनप गए। हमारे जनप्रतिनिधियों को शिक्षा पर ध्यान देना होगा, जब तक क्वालिटी नहीं होगी तब तक शिक्षा में कोचिंग ऐसे ही चलते रहेंगे और हमारे बच्चे इसके शिकार बनते रहेंगे।
तेजस वशिष्ठ ने कोचिंग में दी जाने वाली स्कॉलरशिप पर भी सवाल उठाया।
तेजस वशिष्ट बोले- कोचिंग वाले पढ़ाई में भेदभाव करते हैं
तेजस वशिष्ठ ने कोचिंग सेंटरों में बच्चों के साथ भेदभाव पर तंज कसा। तेजस ने कहा- नेता प्रतिपक्ष ने कहा था कि वापस युवा अवस्था में आते, लोग कहते हैं कि काश, हम बच्चे होते तो खेल कूद पाते। आज 56 प्रतिशत बच्चे ड्रिपेशन का शिकार हो चुके हैं। 60 प्रतिशत बच्चों के पास मेंटल हेल्थ सपोर्ट नाम की चीज नहीं है। क्या यह चिंता की बात नहीं है। कोचिंग में भेदभाव होता है। दो बच्चे कोंचिंग में सेम फीस भरते हैं, लेकिन एक को टॉप बैच और दूसरे को लोअर बैच मिलता है। कोचिंग में समानता नाम की कोई चीज है नहीं। कोचिंग वाले मोटी फीस वसूलकर स्कॉलरशिप का दावा करते हैं, लेकिन इसमें भी खेल है। स्कॉलरशिप से ज्यादा तो फीस बढ़ा देते हैं। पहले 30 हजार फीस बढ़ाकर उतनी स्कॉलरशिप दे देते हैं।
कोचिंग मामलों की सुनवाई के लिए अलग से कोर्ट बनाने की मांग
हिमाक्षी शेखावत ने कहा- कोचिंग के मामलों में तुरंत सुनवाई के लिए स्पेशल कोर्ट खोले जाने चाहिए। पेरेंट टीचर मीटिंग में पॉजिटिव पेरेंटिंग हो। कोचिंग वाले मनमानी फीस वसूलते हैं, इस पर कंट्रोल होना चाहिए।
आर्यन पांडे ने आईआईटी में सीट बढ़ाने की मांग की।
आर्यन पांडे बोले- केवल 90 फीसदी वाले आईआईटी एंट्रेस दें तो भी 99 फीसदी बाहर रहेंगे
आर्यन पांडे ने आईआईटी की सीटें बढ़ाने की पैरवी करते हुए कहा- पूरे देश में 10वीं और 12वीं में 7 लाख से ज्यादा विद्यार्थी 90 प्रतिशत से ज्यादा अंक लाते हैं। हमारे यहां आईआईटी में सीटें केवल 17740 सीटें, यदि केवल 90 प्रतिशत वाले ही आईआईटी की परीक्षा दें तो 99 फीसदी का चयन नहीं होगा। इसलिए सीटें बढ़ाए जाने की सख्त आवश्यकता है।
कोचिंग संस्थान अच्छे नंबर लाने वाले छात्रों पर पैनी निगाह रखते हैं। वे ऐसे छात्रों को अपने यहां लाने के लिए भारी प्रलोभन देते हैं। यह कोचिंग की हालत है। कोचिंग मार्गदर्शन के लिए बने थे, लेकिन कर क्या कर रहे हैं। वे रिश्वत देकर होनहार स्टूडेंट्स को अपने यहां लाते हैं। उन्हें दिखाकर ज्यादा से ज्यादा छात्रों को लाकर मुनाफा कमाना है।
भूमिका सैनी बोलीं- सरकार पर लोगों का विश्वास नहीं
युवा संसद में नेता प्रतिपक्ष की भूमिका निभा रही भूमिका सैनी ने कोचिंग संस्थााओं पर रेगुलेटरी फ्रेमवर्क बनाने को लेकर सरकार पर तंज कसा। भूमिका ने कहा- सरकार पर लोगों का विश्वास नहीं है। इतने स्कैम (भ्रष्टाचार) हैं कि एक वेब सीरीज बन जाए। जहां सरकार पर लोगों को विश्वास नहीं है, वहां कोई रेगुलेटरी फ्रेमवर्क कैसे चल सकता है। आपके फ्रेमवर्क पर लोग कैसे विश्वास करेंगे?
जनता का विश्वास सरकार के साथ तो नहीं है। नीट की परीक्षा दोबारा करवाई, जो कुछ हुआ सबके सामने है। चाइल्ड हेल्थ, मेंटल हेल्थ पर ध्यान दिया जाए। क्वालिटी एजुकेशन को सुगम बनाएं। लोग तो आप पर क्या विश्वास करेंगे, वादे और बातें नहीं,वादों को पूरा भी करना पड़ता है। यह जिंदगी है। कोई मजाक नहीं, जिसमें हम खेल रहे हैं।
नीट कंट्रोवर्सी और पेपर लीक पर रात दिन सुन सुनकर कान पक चुके हैं, सिस्टम में सुधार हो
युवा संसद में मुख्यमंत्री की भूमिका निभा रहे सिद्धार्थ एस ने कहा- नीट कंट्रोवर्सी और पेपर लीक पर रात दिन सुन सुनकर कान पक चुके हैं। यूपीएससी में आपने देखा होगा आजादी के बाद से लेकर अब तक पेपर लीक नहीं हुआ, क्योंकि वहां एक मजबूत संवैधानिक तंत्र है। वहां सिस्टम मजबूत है। हमें सुधार की तरफ बढ़ना होगा। क्वालिट एजुकेशन पर फोकस करना होगा। टीचर-स्टूडेंट अनुपात सुधारने की जरूरत है। फीस स्ट्रक्चर में सुधार होना चाहिए। इससे साधारण लोग भी वहन कर सकें। ग्रामीण इलाकों में सस्ती दरों पर कोचिंग सुविधा उपलब्ध करवाई जानी चाहिए, ऑनलाइन कोचिंग एक बढ़िया माध्यम हो सकता है। इसमें घर बैठे शिक्षा दी जा सकती है।
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