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राजस्थान राज्य सड़क विकास एवं निर्माण निगम लिमिटेड (आरएसआरडीसी) टोल कलेक्शन कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए टेंडर से लेकर ट्रैफिक सर्वे में फर्जीवाड़ा कर रहा है। दरअसल आरएसआरडीसीसी द्वारा निजी कंपनियों से व्हीकल ट्रैफिक सर्वे करवाकर टोल की रिजर्व प्रास तय करता है लेकिन सर्वे में ज्यादा वाहन दिखाकर टेंडर अमाउंट को दो गुना से तीन तक बढ़ाया जा रहा है। ताकि टेंडर न हो और पुरानी फर्म को एक्सटेंशन मिलता रहे। दैनिक भास्कर ने इस मामले की पड़ताल की तो बड़े स्तर पर खामियां सामने आई। कंपनी के सर्वे को वेरिफाई करने वाली आरएसआरडीसी की कमेटी भी सवालों के घेरे में है। 10 करोड़ के 4 टोल (कोटपूतली -कुचामन, बीकानेर-बाईपास, डूंगरगढ-सरदारशहर, जोबनेर-कुचामन) का गलत एक्सटेंशन कर दिया। इन सबका ट्रैफिक सर्वे ज्यादा दिखाया गया। टेंडर में फर्म नहीं आने का हवाला देकर एक्सटेंशन में भ्रष्टाचार का खेल खेला जा रहा है। इससे सरकार को तीन साल में करीब एक हजार करोड़ का नुकसान हो चुका है। इधर, आरटीटीपी रूल्स के मुताबिक किसी टेंडर में ज्यादा इनकम की संभावना है तो नया टेंडर किया जाना चाहिए। ताकि सरकार को राजस्व का नुकसान न हो। आरएसआरडीसी प्रदेश में 37 टोल चला रही है। इनमें से 9 पर एक्सटेंशन मिला हुआ है। जबकि 6 टोल डेली बेसिस पर संचालित है। एक्सप्लेनर- वीडियो एडिट कर कुचामन कोटपूतली के ट्रेफिक सर्वे को दो गुना दिखाया, गैलक्सी को 5वी बार एक्सटेंशन जनवरी में मैसर्स टीटीएल इंजीनियरिंग प्रालि जयपुर ने कोटपूतली-कुचामन स्टेट हाईवे पर ट्रेफिक सर्वे किया। इसमें दो साल के लिए 192.75 करोड़ रुपए टोल कलेक्शन माना गया। कंपनी ने वीडियो क्लिप में काट छांट कर वाहनों की संख्या बढ़ा दी। इस पर कंपनी को डीबार करने की सिफारिश की गई है। मार्च में नए सर्वे में दो साल के लिए 160 करोड़ रुपए टोल कलेक्शन होना माना गया। इसके आधार पर आरएसआरडीसी ने टेंडर लगाया। लेकिन आरक्षित दर (160 करोड़ रुपए) बहुत ज्यादा होने से कोई कंपनी टेंडर लेने नहीं आई। अब आरएसआरडीसी ने आरक्षित दर 5 फीसदी कम कर 152 करोड़ रुपए का टेंडर लगाया है। जबकि 2019 में गैलेक्सी माइनिंग प्राइवेट लिमिटेड को 67.21 करोड़ रुपए में दो साल का टेंडर दिया था। अब तक पांच बार एक्सटेंशन मिल चुका है। इसमें दो एक्सटेंशन कोविड और किसान आंदोलन के एक्सटेंशन शामिल है। 2019 की तुलना टेंडर रेट दोगुना से ज्यादा होने के कारण कोई फर्म टेंडर नहीं लगा रही है। इसलिए 31 मार्च 2024 को रेट में 7.5% बढ़ोतरी कर कंपनी को 5 वी बार एक्सटेंशन दिया गया है। इस रूट पर सरूड़-कोटपूतली, चला, नांगल, दूजोद व जिलिया पांच टोल नाके हैं। कंपनियों की हाई एप्रोच एक एक कंपनी के पास पांच से सात टोल हैं। यानी टोल से जुड़े 200 करोड़ रुपए का काम एक एक कंपनी कर रही है। इसलिए सवालों के घेरे में है पूरा सिस्टम 1. डूंगरगढ़-सरदारशहर-राजगढ़ टोल इस टोल का संचालन देवदशरथ एसोसिएट कर रही है। यह टोल 12 जून 2021 से 12 जून 2023 तक (दो साल) के लिए दिया गया था। 10 फीसदी बढ़ाकर 18 करोड़ में एक साल का एक्सटेंशन दे दिया। 11 जून को 69.81 करोड़ का टेंडर लगाया लेकिन दरों में तीन गुना वृद्धि के चलते किसी भी फर्म ने टेंडर में भाग ही नहीं लिया। अब 23 जुलाई को वापस 66.32 करोड़ रु का टेंडर लगाया गया है। 2. बीकानेर बाइपास टोल 25 फरवरी 2021 को 41.74 करोड़ आरक्षित दर मानी गई थी। 15 मार्च 2021 को तकनीकी बोली खोले जाने के बाद फाइनेंशियल बिड नहीं खोली। देवदशरथ एसोसिएट को 12 जून 2021 से 11 नवंबर 2023 (दो साल) के लिए सिर्फ 20.44 करोड़ रुपए में दे दिया गया। इसके बाद एक्सटेंशन दे दिया। 3.आरएसआरडीसी ने कोटपूतली-कुचामन रूट पर अफोर्डेबल हाउसिंग प्रालि को 45 लाख रुपए में 90 दिन का टेंडर दिया। आज तक काम इसी कंपनी के पास है। 4.अलवर बहरोड़ नारनौल टोल की एक बार एनआईटी जारी की। लेकिन कोई फर्म नहीं आई। 15 दिन बाद डेली बेसिस पर दे दिया।
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