[ad_1]
सुप्रीम कोर्ट की मंशा के अनुसार राजस्थान हाई कोर्ट अब पेपरलेस होने की दिशा में आगे बढ़ रहा हैं। आज हाई कोर्ट की जयपुर बैंच में सीजे एमएम श्रीवास्तव ने ई-सुविधा केन्द्र का उद्गाटन किया। इस ई-सुविधा केन्द्र में रियायती दरों पर कोई भी अधिवक्ता और पक्षका
.
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद हाई कोर्ट ने 1 जुलाई से डिवीज़न बैंच (खंडपीठ) में लगने वाले सभी मामलों की ई-फाइलिंग अनिवार्य कर दी थी। वहीं आगामी 1 अगस्त से सिविल कैसेज की भी ई-फाइलिंग अनिवार्य हो जाएगी।
ई-सुविधा केन्द्र को लेकर रजिस्ट्रार सीपीसी बालकृष्ण गोयल ने बताया कि ई-सुविधा केन्द्र शुरू होने के बाद अब अधिवक्ताओं को कोर्ट परिसर में ही एक छत के नीचे ई-फाइलिंग की सुविधा मिलेगी। इस केन्द्र से रियायती दरों पर अधिवक्ता ई-फाइलिंग व ई-डाउनलोडिंग कर सकेंगे।
फिज़िकल फाइलिंग की अनिवार्यता बंद होने पर ही मिलेगा फायदा ई-सुविधा केन्द्र के उद्गाटन के मौके पर हाई कोर्ट बार के अध्यक्ष प्रह्लाद शर्मा ने कहा कि पेपरलेस होने की दिशा में ई-फाइलिंग एक अच्छा कदम है। लेकिन पक्षकारों को इसका पूरा फायदा तभी मिलेगा। जब ई-फाइलिंग के साथ-साथ फिज़िकल फाइलिंग की अनिवार्यता बंद हो।
उन्होने कहा कि ई-फाइलिंग शुरू होने के बाद भी हाई कोर्ट में फिज़िकल फाइलिंग करना अनिवार्य हैं। ऐसे में पक्षकारों पर इसका डबल भार पड़ रहा हैं। उनका पहले की तरह ही फिजि़कल फाइलिंग का खर्चा तो लग रही रहा है। इसके साथ-साथ अब ई-फाइलिंग का खर्चा भी देना पड़ रहा हैं।
हमने हाई कोर्ट बार की ओर से प्रार्थना पत्र लिखकर मांग की है कि पक्षकारों की सुविधा के लिए हाई कोर्ट प्रशासन फिज़िकल फाइलिंग की अनिवार्यता को बंद करे। जिससे पक्षकारों को वास्तविक लाभ मिल सके।
[ad_2]
Source link