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Shraddha Walkar murder case : देश के चर्चित श्रद्धा वालकर हत्याकांड के एकमात्र आरोपी आफताब पूनावाला की एक याचिका पर दिल्ली की अदालत ने सुनवाई की है। दिल्ली के महरौली इलाके के एक फ्लैट में श्रद्धा को टुकड़े-टुकड़े में काटने के आरोपी आफताब पूनावाला ने अपनी याचिका में अदालत से गुहार लगाई थी कि उसके केस का ट्रायल एक महीने में सिर्फ दो दिन हो ताकि उसके वकीलों को उसका बचाव करने के लिए पर्याप्त समय मिल सके। अदालत ने आफताब पूनावाल की याचिका खारिज करते हुए कहा कि ऐसा लगता है कि यह याचिका सिर्फ एक टूल है जिसके जरिए ट्रायल में देरी की जाए। इसी के साथ अदालत ने अंतिम संस्कार के लिए श्रद्धा की हड्डियां सौंपे जाने से भी इनकार कर दिया। अदालत ने कहा कि पुलिस के गवाहों द्वारा पहचान करने में इसकी जरुरत थी।
श्रद्धा वालकर आरोपी आफताब पूनावाला के साथ लिव-इन-रिलेशनशिप में थी। आरोप है कि 18 मई, 2022 को पूनावाला ने गले दबाकर श्रद्धा की हत्या कर दी थी। इस मामले मे पुलिस ने 6,629 पन्नों की चार्जशीट दिल्ली पुलिस ने पिछले साल जनवरी के महीने में दायर की थी। पूनावाला पर आरोप है कि उसने श्रद्धा के शरीर के टुकड़े किए, उन्हें फ्रिज में रखा और फिर उसने इन टुकड़ों को दिल्ली में अलग-अलग सुनसान स्थानों पर फेंक दिया। बाद में पुलिस ने श्रद्धा के शरीर के टुकड़ों को खोजा था।
इससे पहले इस केस में एक आदेश पारित करते हुए एडिशनल सेशन जज मनीषा खुराना कक्कर ने कहा कि 212 गवाहों में से 134 की गवाही हुई है इसलिए अन्य सभी गवाहों की गवाही के लिए मामले में लगातार सुनवाई की जरुरत है। पूनावाला की याचिका पर जज ने कहा, ‘एक महीने में सिर्फ दो तारीखों पर सुनवाई करने की आरोपी की याचिका सिर्फ एक ऐसी टूल मालूम पड़ती है जिसके जरिए ट्रायल में देरी की जा सके। गवाहों की संख्या काफी अधिक है और गवाहों की गवाही रिकॉर्ड किए जाने के लिए काफी समय की आवश्यकता है। खासकर पुलिस के गवाहों की।’
पीड़िता के पिता विकास वालकर द्वारा अंतिम संस्कार के लिए बेटी की हड्डियां सौंपे जाने को लेकर याचिका दायर की गई थी। इस याचिका में कहा गया है कि मृतक के पिता को अपनी बेटी के अंतिम संस्कार का अधिकार है। अदालत ने कहा कि इन अधिकारों को ट्रायल की गति को धीमा कर कुचला नहीं जा सकता है। आरोपी को प्रत्येक तारीख पर अपनी बात रखने का पर्याप्त समय दिया गया था।
हालांकि, अदालत ने कहा कि पीड़िता के अवशेषों को अभी सौंपा नहीं जा सकता है क्योंकि हड्डियों को बरामद करने में शामिल कई पुलिसवालों की गवाही अभी बाकी है। हालांकि, अदालत ने कहा कि इस तथ्य को भी ध्यान में रखा गया है कि एक पिता को अपनी बेटी की हड्डियों के अंतिम संस्कार का अधिकार है। इसलिए इस मामले में हर महीने सुनवाई की आवश्यकता है ताकि निष्कर्ष पर पहुंचा जा सके और कम से कम हड्डियों के कुछ हिस्सों को अंतिम संस्कार के लिए पिता को सौंपा जा सके। आपको बता दें कि पूनावाल पर भारतीय दंड संहिता की धारा 302 और 201 के तहत केस दर्ज किया गया था।
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