राजेश तिवारी
(संवाददाता)
ओबरा /सोनभद्र – ओबरा वन प्रभाग के वन रेंज कोन के अंतर्गत बागेसोती,भालूकुदर सेक्सन में वन माफियाओं की सक्रियता इस कदर बढ़ गयी है कि क्षेत्र में आय दिन कीमती पेड़ काटकर वन भूमि पर कब्जा किया जा रहा। विभाग कार्यवाही के नाम पर मूकदर्शक बना हुआ है। ग्रामीणों ने बताया कि बागेसोती के अंतर्राज्जीय बॉर्डर पर स्थित बड़ाप के ललुआ खोह व भालुकूदर सेक्सन के धरनवा बॉर्डर पर अबैध रूप से पेड काटकर कब्जा किया जा रहा है जिसके आजीज होकर स्थानीय लोगों द्वारा मुख्यमंत्री शिकायत पोर्टल पर पूर्व में शिकायत दर्ज कराया गया था जिस पर तत्कालीन क्षेत्रीय वनाधिकारी कोन द्वारा जांच कर अधीनस्थ कर्मचारियों को निर्देशित किया गया था कि किसी भी स्थिति में वन भूमि पर अतिक्रमण न हो पाये। परन्तु निर्देश ढाक के तीन पात निकला। जिसका नतीजा है कि ग्राम बागेसोती के खोहिईया जंगल, झारखंड बार्डर, बड़ाप के साथ भालुकूदर् बीट में जहाँ लोग वनकर्मी की मिलीभगत से सैकड़ों एकड़ वन भूमि पर कब्जा कर मकान तक बना लिए गए हैं। ग्रामीण राजेंद्र सिंह की अगुवाई में आज दर्जनों लोगों ने जोरदार आक्रोश व्यक्ति किया और उच्चस्तरीय जाँच की मांग करते हुए तत्काल वन भूमि कब्जा मुक्त कराकर लिप्त वन कर्मियों के ऊपर कार्यवाही किये जाने की मांग की है प्रदर्शन करने वालों में मुख्य रूप से बिहारी प्रसाद, राजेंद्र, संजय संतोष, कमलेश, अजीत सिंह सहित दर्जनों ग्रामीण थे।
वन समिति के अध्यक्ष विहारी प्रसाद यादव व एंटी करप्शन के पूर्व ब्लाक अध्यक्ष राजेश तिवारी ने आरोप लगाया कि विभाग का कोई भी जिम्मेदार अधिकारी क्षेत्र में न तो रहते हैं और न ही गस्त करते हैं बल्कि अन्यत्र निवास करते हैं वन चौकी विरान पड़ा है जिसका परिणाम है कि वृक्षों का कटान करके कब्जा करने वालों का हौसले बुलंद हैं जिससे विभाग की संलिप्तता से इंकार नहीं किया जा सकता है।वहीं प्रदूषण को रोकने के लिए मुख्यमंत्री के द्वारा एक पौधा माँ के नाम का प्रदेश भर में अभियान चलाया जा रहा है लेकिन विभाग के निष्कृयता के कारण क्षेत्र में पेड़ों की कटाई कराकर अतिक्रमण करने का कार्य कराया जा रहा है जो कि पर्यायवरण के दृष्टिकोण से बेहद खतरनाक साबित हो रहा है।
इस संबंध में क्षेत्रीय वनाधिकारी कोन शोभनाथ यादव ने बताया कि शिकायत मिली है उसकी जाँच कराकर दोषी के खिलाफ कार्यवाही कराया जायेगा व प्रशिक्षु प्रभागीय वनाधिकारी ओबरा (प्रसासानिक) निरंजन सुर्बे को उपरोक्त प्रकरण के बारे में सेलफोन के माध्यम से अवगत कराया गया।तो लिखित शिकायत डिवीजन ऑफिस में करने की बातें कही। ताकि पेड़ों की कटान व भूमि पर अतिक्रमण करने वालों का साथ दे रहे वन कर्मियों पर नकेल कसकर वन भूमि को अतिक्रमण मुक्त कराया जा सके।