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3 मिनट पहले
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RSS प्रमुख मोहन भागवत झारखंड में एक गैर-लाभकारी संगठन विकास भारती की ओर से आयोजित ग्राम-स्तरीय कार्यकर्ता सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे।
RSS प्रमुख मोहन भागवत ने कहा- प्रगति का कोई अंत नहीं है। इंसान पहले सुपरमैन, फिर देवता और उसके बाद भगवान बनना चाहता है। लेकिन अभी यह नहीं समझना चाहिए कि बस अब हो गया। उन्हें लगातार काम करते रहना चाहिए। क्योंकि विकास का कोई अंत नहीं है।
भागवत ने गुरुवार (18 जुलाई) को झारखंड के गुमला में विकास भारती बिशुनपुर के ग्राम-स्तरीय कार्यकर्ता सम्मेलन में ये बातें कहीं।
भागवत बोले- भारत में विविधता लेकिन मन एक समान
भागवत ने गांवों के समग्र विकास के लिए एकजुट होने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि आगे बढ़ने का कोई अंत नहीं है। जहां तक विकास लेकर जाएंगे, उसके आगे भी इसकी जरूरत दिखेगी। ऐसे में मनुष्य को सेवा के क्षेत्र में अति मानव बनना चाहिए और निरंतर विकास करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि पूरे विश्व में भारत ही ऐसा देश है, जहां हर तरह की संस्कृति, खान-पान, रीति-रिवाज और धर्म है। लेकिन इस देश के लोगों का मन एक ही प्रकार का है। प्रकृति और प्रवृत्ति के आधार पर ही हमारा विकास होगा। पहली नजर में देखा जाए तो आदिवासी विकास से पीछे है। उनके पास सुविधाओं का अभाव है। जबकि शहरों में लोगों को हर सुविधा प्राप्त है। वहीं दूसरी नजर से देखें तो आदिवासी वनों में अपनी परंपरा और रीति-रिवाज के साथ रहते हैं, लेकिन शहर के लोगों से सावधानी रखनी पड़ती है।
देश के भविष्य को लेकर चिंता नहीं
भागवत ने कहा, वो देश के भविष्य को लेकर कभी चिंतित नहीं रहे, क्योंकि कई लोग मिलकर बेहतरी के लिए काम कर रहे हैं, जिसके बेहतरीन नतीजे भी सामने आएंगे। आगे उन्होंने कहा कि भारत के लोगों का अपना स्वभाव है। कई लोग बिना किसी नाम या प्रसिद्धि की इच्छा के देश के कल्याण के लिए काम कर रहे हैं।
कोविड में दुनिया ने देखा भारत का खुशहाली का रोडमैप
भागवत ने कहा कि कोविड-19 महामारी के बाद पूरी दुनिया को पता चला कि भारत के पास शांति और खुशहाली का रोडमैप है। उन्होंने कार्यकर्ताओं से समाज के कल्याण के लिए लगातार प्रयास करने का अनुरोध किया।
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