[ad_1]
22 जुलाई से देवघर में विश्व का सबसे बड़ा श्रावण मेला शुरू होने वाला है। श्रद्धालु भागलपुर के सुल्तानगंज से जल भरकर देवघर के बाबा बैद्यनाथ मंदिर में चढ़ाते हैं। रोजाना लाखों कांवरिए जलाभिषेक के लिए पहुंचते हैं। सावन के सोमवार को भीड़ दोगुनी हो जाती है
.
जहां भोले के भक्त इतनी दूर से उनकी पूजा के लिए आते हैं, वहां दर्शन के नाम पर करोड़ों का खेल चल रहा है। हर दिन लाखों श्रद्धालुओं की श्रद्धा का सौदा किया जा रहा है। दैनिक भास्कर ने पहली बार 48 घंटे के स्टिंग ऑपरेशन में पूरा खेल उजागर किया है।
इसमें मंदिर प्रबंधन से जुड़े लोगों से लेकर वो चेहरे भी बेनकाब हुए हैं, जो दर्शन के नाम पर सौदा करते हैं। दैनिक भास्कर के खुफिया कैमरे में मंदिर के मुख्य प्रबंधक से लेकर दर्जनों संदिग्ध चेहरे कैद हुए हैं, जो झारखंड सरकार के दावों पर दाग हैं।
जानिए झारखंड के देवघर स्थित बाबा बैद्यनाथ धाम में दर्शन के नाम पर कैसे चल रहा वसूली का पूरा खेल..
पहले बाबा बैद्यनाथ धाम का महत्व समझिए
झारखंड के देवघर में स्थित श्री बाबा बैद्यनाथ धाम में रावण द्वारा स्थापित ज्योतिर्लिंग हैं। इसी स्थल पर मां सती का हृदय गिरा था, इसलिए इसे ज्योतिर्लिंग और शक्तिपीठ के साथ हृदयापीठ भी कहा जाता है। मान्यता है कि धरती पर यही एक मात्र ज्योतिर्लिंग है, जो शक्तिपीठ भी है।
इस स्थान को मनोकामना ज्योतिर्लिंग भी कहा जाता है। मान्यता है कि यहां मांगी गई हर मुराद पूरी होती है। पुराणों में वर्णित है, यहां रावण से लेकर भगवान राम ने कांवर यात्रा कर भगवान शंकर का जलाभिषेक किया था।
देवघर में सावन में एक महीने तक श्रावणी मेला लगता है।
सदियों से यही परंपरा चल रही है। यहां सावन में एक माह तक श्रावणी मेला लगता है। देश के कोने-कोने से श्रद्धालु दर्शन पूजन के लिए आते हैं। सुल्तानगंज में उत्तर वाहिनी गंगा का जल कावड़ में भरकर श्रद्धालु नंगे पांव देवघर पहुंचते हैं और बाबा को जलाभिषेक करते हैं।
सावन के अलावा सामान्य दिनों में भी लाखों श्रद्धालु बाबा बैद्यनाथ का दर्शन पूजन करने आते हैं। यही कारण है कि यहां हमेशा मेले जैसा दृश्य रहता है।
अब दर्शन का सिस्टम समझिए
देवघर मंदिर की पूरी व्यवस्था डीसी के हाथ में होती है। देवघर के डीसी ही मंदिर के प्रशासक होते हैं। मंदिर के सिस्टम को चलाने के लिए मुख्य प्रबंधक की नियुक्ति होती है। मंदिर के चढ़ावा और दर्शन पूजन की व्यवस्था मंदिर प्रबंधन की होती है, जिसपर डीसी का कंट्रोल होता है।
मौजूदा समय में देवघर के डीसी विशाल सागर मंदिर के प्रशासक और रमेश परिहस्त मुख्य प्रबंधक हैं। बात मंदिर में दर्शन की व्यवस्था की करें तो यहां दो सिस्टम है। एक जनरल लाइन की व्यवस्था है, जिसमें 4 से 6 घंटे लंबी लाइन में चलकर दर्शन होता है। दूसरी व्यवस्था शीघ्र दर्शन की है, यह पेड व्यवस्था है।
इसके लिए सामान्य दिनों में 250 और सावन में 500 रुपए का टिकट लेना होता है। इस व्यवस्था में भी 2 से 3 घंटे का समय लग जाता है। सिस्टम को व्यवस्थित करने के लिए प्रशासन ने कार्यालय भी खोल रखा है, जहां से टोकन लेकर शीघ्र दर्शन किया जा सकता है। श्रद्धालुओं के लेन देन की सभी व्यवस्था इसी काउंटर से होती है।
अब सावन से पहले प्रशासन का दावा जानिए
22 जुलाई से सावन का शुभारंभ हो रहा है। श्रावणी मेले को लेकर झारखंड सरकार युद्ध स्तर पर तैयारी कर रही है। विश्व के सबसे बड़े श्रावणी मेले की तैयारी को लेकर अफसरों की बैठकों का दौर भी चल रहा है।
सरकार से लेकर प्रशासन और मंदिर प्रबंधन का दावा है कि श्रद्धालुओं के लिए समुचित सुविधा और सुगम दर्शन पूजन की व्यवस्था की जाएगी। इसको लेकर देवघर के डीसी विशाल सागर लगातार बैठक कर रहे हैं।
भास्कर के खुफिया कैमरे के सामने सब एक्सपोज
दैनिक भास्कर ने पहली बार श्री बाबा बैद्यनाथ मंदिर में वसूली के सिस्टम को एक्सपोज करने के लिए 48 घंटे का स्टिंग ऑपरेशन किया।
इसमें एक दर्जन से अधिक ऐसे संदिग्ध चेहरे सामने आए, जिन्होंने मोटी रकम लेकर चंद मिनट में दिव्य दर्शन का दावा किया। अब बारी-बारी से एक-एक चेहरे को देखिए, जो इस पूरे खेल में शामिल है।
दर्शन के लिए 5 हजार रुपए मांगते एजेंट भास्कर के कैमरे में कैद।
मुख्य प्रबंधक ही खेल में शामिल
सबसे पहले दैनिक भास्कर के खुफिया कैमरे पर मंदिर के मुख्य प्रबंधक रमेश परिहस्त ही कैद हुए। वह श्रद्धालुओं की टोली को निकास गेट से लेकर बाबा बैद्यनाथ का दर्शन कराने जा रहे थे।
निकास गेट से किसी की भी एंट्री नहीं है, लेकिन मुख्य प्रबंधक अपने पद और पावर का इस्तेमाल कर यह खेल करते हैं। अगर सामान्य श्रद्धालु ऐसा करने की कोशिश करे, तो सुरक्षा कर्मी डंडे बरसा देंगे।
श्रद्धालु बनकर पहुंचे रिपोर्टर से दर्शन के लिए डील
दैनिक भास्कर की इन्वेस्टिगेशन टीम जब खुफिया कैमरे के साथ श्रद्धालु बनकर पहुंची तो दर्शन के लिए कई संदिग्धों ने डील की। पूरा मंदिर प्रांगण श्रद्धालुओं की भीड़ से खचाखच भरा था। शीघ्र दर्शनम के लिए टिकट काउंटर भी बंद कर दिया गया था।
सामान्य और शीघ्र दर्शनम वाली लाइन में भारी भीड़ थी। सामान्य में 6 और शीघ्र दर्शनम वाली लाइन में 4 घंटे में दर्शन होने की बात कही गई। हमारी परेशानी को संदिग्धों ने भांप लिया और यहां से शुरू हुआ वसूली का पूरा खेल।
कार्यालय से चल रहा वसूली का खेल
दैनिक भास्कर की इन्वेस्टिगेशन टीम के हाथ एक ऐसी कड़ी लगी, जो प्रशासनिक कार्यालय से सेटिंग की पूरी पोल खोल दी। एक संदिग्ध सेटिंग के लिए हमें हजारों श्रद्धालुओं की भीड़ के बीच से निकालकर प्रशासनिक कार्यालय के गेट पर ले गया, जहां चैनल में ताला बंद था और वहां गार्ड तैनात था।
संदिग्ध के पहुंचते ही गार्ड ने ताला खोल दिया और उसे अंदर बुला लिया। वह 15 मिनट बाद वहां से लौटा और बोला सेटिंग हो गई है। आप अपने साथियों को लेकर आइए। संदिग्ध के पीछे ही मुख्य प्रबंधक के साथ रहने वाला कर्मचारी भोला भी आया और दावा किया कि 15 मिनट में दर्शन हो जाएगा।
भास्कर की टीम जब तक वहां मौजूद रही प्रशासनिक कार्यालय के रास्ते संदिग्धों ने दर्जनों दर्शनार्थियों को एंट्री दिलाई। जिसकी सेटिंग कार्यालय में हो जाती थी, उसका नाम गेट पर बुलाकर अंदर किया जा रहा था। यहां से ही पूरा खेल चल रहा था। सरकार ने शीघ्र दर्शनम के लिए 250 रुपए के टिकट की व्यवस्था बनाई है, लेकिन प्रशासनिक कार्यालय के पास वाले गेट से लोगों को सेटिंग करके लाइन में भेजा जा रहा था।
प्रशासन बनाता है माहौल, ताकि बढ़ जाए धंधा
वसूली का पूरा खेल प्रशासन का है। प्रशासन ही ऐसा माहौल तैयार करता है, जिससे भीड़ बढ़ती है। श्रद्धालु परेशान होकर पैसा लेकर दर्शन कराने का दावा करने वालों के जाल में फंस जाते हैं। दैनिक भास्कर की इन्वेस्टिगेशन टीम आम श्रद्धालु बनकर कार्यालय पहुंची, जहां से शीघ्र दर्शन के लिए टिकट मिलता है। वहां भी पूरा खेल सामने आया।
कार्यालय में वही संदिग्ध दिखाई दिए, जो हमे पैसे से दर्शन कराने का डील कर रहे थे। कार्यालय में मौजूद कर्मचारी से जब शीघ्र दर्शन के लिए टिकट की डिमांड की तो उसने डीसी के आदेश पर कांउटर बंद होने का जवाब दिया।
कार्यालय के कर्मचारी डीसी के नाम पर जान बूझकर काउंटर बंद कर देते हैं, जिससे भीड़ बढ़े और कमीशन की रकम संदिग्धों के माध्यम से उनके पास तक पहुंच जाए।
आम को नहीं खास को दे रहे कॉर्ड
मंदिर के कार्यालय से आम लोगों को शीघ्र दर्शन का कार्ड नहीं मिल सकता है। यहां अक्सर काउंटर यह कहकर बंद कर दिया जाता है कि भीड़ के कारण कार्ड खत्म हाे गया है। इसकी पड़ताल के लिए दैनिक भास्कर की टीम सुबह 9 बजकर 45 मिनट पर काउंटर पर पहुंची। यहां बताया गया कि टिकट नहीं है।
बताया गया कि लोग बेंच रहे हैं, वहां जाकर ले लीजिए। जब सवाल किया गया कि असली है या नकली। यह कैसे पता चलेगा तो जवाब मिला सब असली है। लेकिन जब कर्मचारी से यह बताया गया कि कल कई नकली कार्ड निकला है। तब काउंटर पर बैठे कर्मचारी ने भी रैक से नकली कार्ड निकालकर दिखाते हुए हां कुछ नकली पकड़ में आया है।
अब सवाल था कि काउंटर से क्यों नहीं दिया जा रहा है, इस पर अपने पंडा के पास जाकर कार्ड मांगने की बात कहकर वापस कर दिया गया। पड़ताल में यह साफ हो गया कि पूरा खेल प्रशासनिक कार्यालय से ही चल रहा है।
हमारी पड़ताल में इसका प्रमाण मिल गया, जिस समय पर हमें कार्ड नहीं होने का बहाना किया गया था। उसी समय पर एक संदिग्ध को कार्ड दिया गया, टाइम के साथ संदिग्ध ने हमें रसीद भी दिखाई।
जिम्मेदारों को आम लोगों से क्या लेना
देवघर में देश के कोने-कोने से लोग दर्शन पूजन के लिए आते हैं। सावन में ही नहीं यहां हर मौसम में ऐसे ही भीड़ होती है। देवघर के प्रति लोगों की आस्था ऐसी है कि हर दिन खास होता है। भीड़ में 5 से 6 घंटे लाइन लगाकर लोग दर्शन करते हैं, लेकिन प्रशासन को उनकी समस्या से कोई लेना देना नहीं होता है।
शीघ्र दर्शन के लिए भी मंदिर प्रशासन सामान्य दिनों में 250 रुपए लेता है, लेकिन इसके बाद भी कोई सुविधा नहीं देता। बस सुविधा के नाम पर लाइन छोटी हो जाती है। पैसा देने के बाद भी लोगों को 3 से 4 घंटे लग जाते हैं। लाइन छोटी होती है, लेकिन आगे जाकर वह भी सामान्य लाइन वालों के साथ मिलकर दर्शन करते हैं।
घंटों इंतजार के बाद नहीं मिले देवघर डीसी
दैनिक भास्कर ने इस गंभीर मामले को लेकर देवघर के डीसी विशाल सागर से उनका पक्ष जानना चाहा। कॉल अटेंड नहीं किए। फिर मैसेज के माध्यम से पूरी जानकारी दी तो उन्होंने मिलने पर अपनी बात रखने को कहा। इसके बाद दैनिक भास्कर देवघर के संवाददाता विजय सिंन्हा को डीसी ऑफिस भेजा गया। घंटों इंतजार के बाद मुलाकात नहीं हुई। कॉल करने पर डीसी ने मीटिंग में व्यस्त होने की बात कहकर फोन काट दिया।
[ad_2]
Source link