[ad_1]
निजी स्कूलों की मनमानी के बोझ से मासूम बच्चों के कंधे और कमर झुके जा रहे हैं। जबरन नौनिहाल के कंधों पर भारी भरकम बस्तों का बोझ डाला जा रहा है। ऐसे में उनके कंधे और कमर तो कमजोर हो रहे हैं, ऐसे में बच्चों की मानसिक और शारीरिक स्थिति पर भी बुरे प्रभाव
.
गौरतलब है कि स्कूली बच्चों के बैग का वजन कम करने के लिए सरकार द्वारा बैग पॉलिसी पूरे प्रदेशभर के शासकीय और गैर शासकीय विद्यालयों में प्रभावशील की गई थी। अभिभावक मोनू कहते हैं उनका भतीजा निजी स्कूल में कक्षा दो में पढ़ता है अभी से बस्ते में बहुत सी किताब और कापी लेकर जाता है। जितेन्द्र कुमार ने बताया कि इसी सत्र में बेटी अभी कक्षा पहली में है लेकिन बस्ते में दर्जन भर से ज्यादा कापी किताब होती हैं। अभिभावकों की बात स्कूल वाले नहीं सुनते इसलिए शिक्षा विभाग और अधिकारियों को निरीक्षण कर कार्रवाई करनी चाहिए।
राकेश कुमार ने बताया कि कलेक्टर ने स्कूलों को निर्देशित किया था इसके बाद भी निजी विद्यालयों ने एडमिशन, फॉर्म की फीस बढ़ा कर ली, साथ ही मासिक फीस में भी मनमानी से बढ़ोत्तरी कर दी गई है। वजन को लेकर को चार्ट स्कूलों में नहीं लगाया जा रहा है। समिति तो बनी पर निरीक्षण नहीं हुआ।
गौरतलब है कि कलेक्टर के निर्देश पर जिलेभर ब्लाक लेबल पर बैग पालिसी को फॉलो कराने समिति तो गठित कर दी है। समितियों में प्रशासनिक अफसरों के साथ ही शिक्षा विभाग के बड़े अफसर शामिल हैं। नवीन शिक्षा सत्र प्रारंभ हुए एक माह बीत चुका है लेकिन समीतियों द्वारा विद्यालय में निरीक्षण नहीं किए जा रहे हैं और न ही निजी स्कूलों में बस्तों के वजन किए गए। जिससे निजी स्कूलों की मनमानी बदस्तूर जारी है। पालिसी के मुताबिक पहली कक्षा में बच्चे के बैग का वजन 1.6 से 2.2 किलोग्राम तक होना चाहिए लेकिन कक्षा पहली के बैग का वजन 5 किलो से भी अधिक हो रहा है।
वजन चार्ट, होम वर्क भी नहीं
बैग पालिसी में स्कूलों को निर्देश दिए गए थे कि विद्यालयों में नोटिस बोर्ड पर बस्ते के वजन का चार्ट लगाना है, कक्षा दो तक के बच्चों को होमवर्क नहीं देना है। सप्ताह में एक दिन बैग विहीन दिवस मनाना था, इस दिन पढ़ाई के अलावा अन्य गतिविधियों आयोजित करने के निर्देश थे। लेकिन निजी स्कूलों में इन नियमों का पालन नहीं हो रहा है, तो वहीं जिम्मेदारों का रवैया भी काफी लचर है।
जिला शिक्षा अधिकारी को विद्यालयों में बैगों के वजन की जांच कराने का जिम्मा है लेकिन सत्र के एक माह बीत जाने पर भी विभाग और समीतियां की सक्रियता इस दिशा में दिखाई नहीं दी है।
बच्चों को प्रेशर न दें
वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डा गौरव ताम्रकार कहते हैं क्षमता से अधिक वजन उठाने के कारण बच्चों का मानसिक और शारीरिक विकास अवरूद्ध हो सकता है। पढ़ाई को लेकर स्कूल और पेरेंट प्रेशर न दें, छोटी कक्षाओं के बैग में सिर्फ दो कापी घर आनी चाहिए, बाकि कोर्स स्कूल में ही होना चाहिए।
शिकायत मिलने पर जांच करते हैं
जिला शिक्षा अधिकारी संजय सिंह तोमर कहते हैं कि अलग-अलग ब्लाकों में समीतियां गठित कर दी गई हैं। सभी को पत्र भी भेज दिए गए हैं। शिकायत मिलने पर जांच करते हैं।
[ad_2]
Source link