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झारखंड विधानसभा साधने में जुटी पार्टियां, चल रहा मंथन का दौर
लोकसभा चुनाव में भाजपा की स्थिति स्पष्ट होने के बाद, अब पार्टी विधानसभा चुनाव को लेकर मंथन कर रही है। केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान और असम के सीएम हिमंता बिस्वा शर्मा को विधानसभा चुनाव की जिम्मेदारी दी गई है।
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दोनों ही नेता लगातार झारखंड का दौरा कर रहे हैं। पार्टी के शीर्ष नेताओं से लेकर बूथ स्तर तक के कार्यकर्ताओं के साथ बैठकें और मिलन समारोह कर रहे हैं। भाजपा के चुनाव प्रभारियों के दौरे ने राज्य की राजनीतिक तपिश को बढ़ा दी है।
इसका असर भी दूसरी पार्टियों पर दिखने लगा है। इंडिया गठबंधन के घटक दल संयुक्त रूप से आगामी चुनाव की रणनीति तो बना ही रहे हैं। वे अलग-अलग मंथन भी कर रहे हैं। घटक दलों के अलावा जदयू और आजसू जैसी पार्टियां भी योजना बनाने में जुट गई हैं।
केंद्रीय मंत्री शिवराज चौहान और हिमंता बिस्वा शर्मा के लगातार हो रहे झारखंड दौरे से राजनीतिक तपिश जरूर बढ़ गई है।
उम्मीदवारों के नाम पर छूट रहे पसीने
हालांकि चुनाव में अभी समय है पर भाजपा से लेकर इंडिया गठबंधन के घटक दलों के बीच उम्मीदवारों के नाम को लेकर असमंजस की स्थिति है। पार्टियां रणनीति जरूर बना रही हैं पर उनके उम्मीदवार कौन होंगे यह तय नहीं कर पा रहे हैं।
उम्मीदवारों को लेकर जहां कांग्रेस उलझन में है तो वहीं झारखंड मुक्ति मोर्चा में कई सीटों पर ऊहापोह की स्थिति बनी हुई है। बात करें भाजपा की तो उसके लिए भी उम्मीदवार चयन की राह आसान नहीं दिख रही है। जानकारों की मानें तो भाजपा को भी कैंडिडेट सेलेक्शन में माथापच्ची करनी पड़ेगी।
कैंडिडेट सिलेक्शन में क्यों फंस रही पार्टियां
दरअसल विधानसभा चुनाव के लिए 12 से अधिक विधानसभा क्षेत्र ऐसे हैं, जहां उम्मीदवार कौन होगा यह तय कर पाना पार्टियों के लिए आसान नहीं होगा। इसमें फंसने की वजह लोकसभा चुनाव ही है। वजह यह है कि सभी पार्टियों ने लोकसभा चुनाव में उम्मीदवार उतारे थे। इनमें तो कई सरकार के विधायक और मंत्री भी थे।
कई ऐसे भी विधायक हैं, जो पार्टी से बागी होकर चुनाव लड़े। अब वे पार्टी से निलंबित चल रहे हैं। सवाल उठ रहा कि जो चुन कर चले गए, उनकी जगह कौन होगा। जो निलंबित-निष्काषित हैं, उनका विकल्प क्या होगा। उनकी वापसी हो जाती है तो फिर तो कुछ हद तक राहत है, अगर वापसी नहीं हुई फिर क्या होगा।
भाजपा झारखंड चुनाव प्रभारी बूथ स्तर पर जा कर मिल रहे हैं।
इन विधानसभा सीटों पर तत्काल है पेंच
- लोहरदगा
- विशुनपुर
- जामा
- जमशेदपुर पूर्वी
- हजारीबाग
- बोरियो
- मांडू
- सिंदरी
- बहरागोड़ा
- मनोहरपुर
अब जानिए दलों की क्या है स्थिति
उलझन में है कांग्रेस
कांग्रेस में भी प्रत्याशी चयन को लेकर अभी से कुछ सीटों पर उलझन है। इनमें लोहरदगा विधानसभा सीट प्रमुख है। यहां से राज्य के वित्त मंत्री डॉ. रामेश्वर उरांव विधायक हैं। उम्र के ढलान पर खड़े उरांव के अब विधानसभा चुनाव लड़ने की संभावना नहीं है। लोहरदगा से दूसरे दावेदार रहे सुखदेव भगत भी लोकसभा चुनाव जीतकर संसद पहुंच चुके हैं, इसलिए लोहरदगा में कांग्रेस के लिए भारी उलझन है।
सीएम हेमंत की वापसी से पार्टी खुद को जरूर मजबूत महसूस कर रही पर उम्मीदवार के नाम पर ऊहापोह में है।
ऊहापोह में झारखंड मुक्ति मोर्चा
झामुमो के लिए फिलहाल ऊहापोह की स्थिति है।
जामा सीट : यहां पिछली बार झामुमो की सीता सोरेन चुनाव जीती थीं। अब वह विधानसभा और पार्टी से इस्तीफा देकर भाजपा में चली गई हैं। इस कारण यहां झामुमो के लिए प्रत्याशी चुनना मुश्किल होगा।
बोरियो सीट : यह दूसरी ऐसी सीट है, जहां से झामुमो विधायक लोबिन हेंब्रम पार्टी से बगावत कर राजमहल से लोकसभा चुनाव लड़ चुके हैं। इस कारण पार्टी उन्हें निष्कासित कर चुकी है। हालांकि, विधानसभा में हेमंत सरकार के विश्वास मत के दौरान उन्होंने सरकार के पक्ष में मतदान किया।
बिशुनपुर सीट : इस सीट में भी झामुमो उलझन में है। यहां से पार्टी विधायक चमरा लिंडा भी बगावत करके लोहरदगा से लोकसभा चुनाव लड़े हैं, इस कारण ये भी आज पार्टी से निलंबित हैं।
मनोहरपुर सीट : यहां से पार्टी विधायक जोबा मांझी सांसद बन चुकी हैं।
बहरागोड़ा सीट : यहां कुणाल षाड़ंगी के भाजपा से इस्तीफे के बाद उनके झामुमो में जाने की चर्चा गर्म है। इसलिए बहरागोड़ा विधानसभा सीट पार्टी के लिए परेशानी पैदा कर सकती है।
भाजपा को भी करनी पड़ेगी माथापच्ची
भाजपा की बात करें तो कुछ सीटों पर नए प्रत्याशी के चयन में माथापच्ची करनी होगी।
जमशेदपुर पूर्वी सीट : ओडिशा के राज्यपाल रघुवर दास की परंपरागत सीट रही है, लेकिन इस बार वहां से उनके चुनाव लड़ने के अभी तक कोई संकेत नहीं हैं। इस स्थिति में वहां भाजपा के लिए दास के परिवार पर या किसी कार्यकर्ता पर भरोसा करने की दुविधा है।
हजारीबाग सीट : इस सीट से विधायक मनीष जायसवाल लोकसभा पहुंच चुके हैं। इसलिए, यहां भी भाजपा को किसी मजबूत कैंडिडेट की तलाश है।
सिंदरी सीट : विधायक इंद्रजीत महतो काफी दिनों से बीमार हैं। उनके चुनाव लड़ने की संभावना नहीं है।
बाघमारा सीट : विधायक ढुल्लू महतो भी लोकसभा पहुंच चुके हैं। इन दोनों ही सीटों पर भाजपा को अभी से प्रत्याशी चयन का दबाव है।
मांडू विधानसभा सीट : यहां से विधायक जयप्रकाश भाई पटेल के पाला बदलकर कांग्रेस में जाने से पार्टी को इस सीट के लिए इस बार नए उम्मीदवार की तलाश करनी है।
आजसू सुप्रीमो कार्यकर्ताओं से मिल रहे हैं पर विधानसभा चुनाव पर अपनी स्थिति स्पष्ट नहीं कर पा रहे हैं।
संभावनाओं की तलाश में जदयू-आजसू
अब बात जदयू-आजसू की करें तो दोनों ही पार्टियां विधानसभा चुनाव को लेकर संभावनाओं की तलाश में है। सरयू राय की पार्टी (भारतीय जनतंत्र मोर्चा) के साथ मिल कर जदयू झारखंड में अपना भविष्य तलाश रही है।
चार दिन पहले ही सरयू राय की मुलाकात नीतीश कुमार से हुई है। जहां दोनों ने साथ चुनाव लड़ने पर सहमति जाहिर की है। जबकि आजसू ने अभी अपने पत्ते नहीं खोले हैं। आजसू अकेले चुनाव लड़ेगी या भाजपा के साथ मिल कर सीटों का बंटवारा करेगी, यह स्पष्ट नहीं की है।
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