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नई दिल्ली, एजेंसी। कांग्रेस ने देश में गरीबों और अमीरों के बीच खाई बढ़ने का दावा करते हुए बुधवार को कहा कि सबसे अमीर तथा सबसे गरीब परिवारों के मासिक उपभोग खर्च में करीब 20 गुना का अंतर है। पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने एक खबर का भी हवाला दिया जिसमें कहा गया है कि देश में अमीरों और गरीबों के बीच प्रति व्यक्ति मासिक खर्च का अंतर 10 गुना तक बढ़ गया है।
रमेश ने ‘एक्स पर पोस्ट किया, कांग्रेस पार्टी लगातार इस मुद्दे को उठा रही है कि देश में अमीर और गरीब के बीच खाई बढ़ती जा रही है। अब आंकड़ों को ही देखिए। देश के पांच प्रतिशत सबसे गरीब लोगों का मासिक उपभोग खर्च महज 1,373 रुपये है, वहीं शीर्ष पांच प्रतिशत अमीरों का मासिक उपभोग खर्च तकरीबन 20,824 रुपये है। सबसे अमीर और सबसे गरीब परिवारों के बीच हर महीने मासिक उपभोग खर्च में 20 गुना का अंतर है। उन्होंने कहा, यह नया आंकड़ा है। लेकिन चाहे जो भी आंकड़ा देखें, सभी अमीर और गरीब के बीच बढ़ती खाई के सबूत दिखाते हैं। साल 2012 से 2021 तक देश में बनी संपत्ति का 40 प्रतिशत से अधिक हिस्सा सिर्फ एक प्रतिशत आबादी के पास गया है। रमेश ने कहा कि देश में कुल जीएसटी का लगभग 64 प्रतिशत गरीबों, निम्न मध्यम वर्ग और मध्यम वर्ग से आता है। कांग्रेस नेता ने दावा किया, पिछले 10 वर्षों में अधिकतर सार्वजनिक संपत्तियां और संसाधन एक या दो कंपनियों के हाथों बेचे गए हैं।
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सुस्त निवेश से 10 वर्ष में घटी आर्थिक विकास की रफ्तार
कांग्रेस ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार की अस्थिर नीतियों, मित्रवादी पूंजीवाद के बोलबाले और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), सीबीआई एवं आयकर विभाग के रेड राज के कारण पिछले 10 वर्षों से निवेश लगातार कम हो रहा है। पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने यह भी कहा कि भारत को नीतियों में छोटे-मोटे फेरबदल की नहीं, बल्कि उदारता भरे दृष्टिकोण की जरूरत है। रमेश ने एक बयान में कहा, 2014 के बाद से भारत के तेजी से वृद्धि न करने का मुख्य कारण सुस्त निवेश दर है। अस्थिर नीतियां, मित्रवादी पूंजीवाद का बोलबाला और ईडी, सीबीआई एवं आयकर विभाग का रेड राज, इन तीन वजहों के चलते 2014 से निवेश लगातार कम हो रहा है। उन्होंने दावा किया, भारत में निजी घरेलू निवेश 2014 से सुस्त है। डॉ. मनमोहन सिंह के कार्यकाल के दौरान यह जीडीपी के 25-30 प्रतिशत के दायरे में था। भाजपा के कार्यकाल में यह जीडीपी के 20-25 प्रतिशत के दायरे में है।
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