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मध्य प्रदेश के सभी स्कूलों में गुरु पूर्णिमा के मौके पर दो दिन उत्सव मनाया जाएगा। सरकार ने स्कूलों को 20 और 21 जुलाई को भारतीय संस्कृति और गुरु-शिष्य परंपरा को हाइलाइट (प्रकाश) करने वाले कार्यक्रम आयोजित करने का निर्देश दिया है। कार्यक्रम के पहले दिन छात्रों को भारतीय संस्कृति में गुरु-शिष्य के पारंपरिक संबंधों को लेकर जानकारी दी जाएगी। सुबह की प्रार्थना के बाद शिक्षक इस परंपरा और गुरु पूर्णिमा के महत्व के बारे में छात्रों को विस्तार से बताएंगे।
इसके अलावा, छात्र प्राचीन भारत में प्रचलित ‘गुरुकुल व्यवस्था’ और उसका ‘भारतीय संस्कृति’ पर प्रभाव पर केंद्रित निबंध लिखने के कार्यक्रम में भाग लेंगे। अधिकारियों ने बताया कि दूसरे दिन, 21 जुलाई को देवी सरस्वती और गुरुओं को समर्पित एक प्रार्थना समारोह होगा, जिसके साथ ही दीप प्रज्वलित किया जाएगा। शिक्षकों को एक विशेष समारोह में सम्मानित किया जाएगा। शिक्षक और छात्र दोनों अपने आपसी संबंधों पर प्रकाश डालने वाली व्यक्तिगत कहानियां सुनाएंगे।
मुख्यमंत्री मोहन यादव के निर्देशों के अनुसार, स्कूल शिक्षा विभाग ने इसे लेकर मंगलवार को आदेश जारी कर दिया है। जिसमें इस कार्यक्रम की रूपरेखा के बारे में बताया गया है। स्कूलों के अलावा राज्य के कॉलेजों और यूनिवर्सिटी में भी पहली बार गुरु पूर्णिमा का उत्सव मनाया जाएगा। जिसमें आमजन और साधु-संत शामिल होंगे।
क्या मनाई जाती है गुरु पूर्णिया
गुरु पूर्णिमा के दिन शिष्य अपने गुरु के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हैं। उनसे मिले ज्ञान और मार्गदर्शन के लिए उनका आदर-सम्मान करते हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, माना जाता है कि इस दिन भगवान वेद व्यास का जन्म हुआ था। उन्हें हिंदू धर्म में आदि गुरु माना जाता है। वेद व्यास ने महाभारत, वेदों और पुराणों सहित कई अहम धार्मिक ग्रंथों की रचना की थी। वहीं भगवान श्रीकृष्ण ने इस दिन अपने गुरु के तौर पर ऋषि शांडिल्य को उन्हें ज्ञान देने के लिए चुना था। इसके अलावा भगवान बुद्ध ने भी इसी दिन अपन पहले पांच शिष्यों को उपदेश दिया था।
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