[ad_1]
शब्द:::: 1147
नोट-पूर्व में जारी खबर की जगह इसी का इस्तेमाल करें।
———————————
– परिसर में 94 मूर्तियां, 106 स्तंभ, 82 भित्तिचित्र, 31 प्राचीन सिक्के मिले
– गणेश, ब्रह्मा और उनकी पत्नियां, नरसिंह और भैरव की छवियां भी मिलीं
– एएसआई ने भोपाल उच्च न्यायालय को सौंपी सर्वेक्षण रिपोर्ट
भोपाल, श्रुति तोमर। धार के भोजशाला मामले में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने अपनी सर्वेक्षण रिपोर्ट सोमवार को मध्य प्रदेश Ḥहाईकोर्ट को सौंप दी। इसमें एएसआई ने बताया कि भोजशाला मंदिर और कमाल मौला मस्जिद का निर्माण मंदिरों के अवशेषों से किया गया था। यह भी कहा कि स्थल पर मौजूदा मस्जिद सदियों बाद बनी। इस परिसर से मूर्तियां, प्राचीन सिक्के और शिलालेख भी मिले।
एएसआई ने करीब तीन माह के सर्वेक्षण करने के बाद उच्च न्यायालय में 150 पन्नों की रिपोर्ट सौंपी। सर्वेक्षण रिपोर्ट में दावा किया गया कि 94 मूर्तियां, 106 स्तंभ, 82 भित्तिचित्र, 31 प्राचीन सिक्के, 150 शिलालेख, जिनमें गणेश, ब्रह्मा और उनकी पत्नियां, नरसिंह और भैरव की छवियां शामिल हैं। रिपोर्ट में यह भी संकेत दिया गया है कि यह देवी सरस्वती को समर्पित मंदिर हो सकता है, जैसा हिंदू पक्ष दावा करते रहे हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि वैज्ञानिक जांच, सर्वेक्षण और पुरातात्विक उत्खनन से प्राप्त अवशेषों के अध्ययन और विश्लेषण के आधार पर यह कहा जा सकता है कि मौजूदा संरचना पहले के मंदिरों के हिस्सों से बनाई गई थी। ये शिलालेख, मूर्तियां और अन्य अवशेष बताते हैं कि प्राचीन संरचना को बदला गया। मालूम हो कि न्यायालय ने सर्वेक्षण का यह आदेश तब दिया जब एक हिंदू समूह द्वारा स्थल पर नमाज पढ़ने पर रोक लगाने की मांग करने वाली याचिका दायर की गई थी।
हिंदू पक्ष ने सराहा
उच्च न्यायालय में याचिका दायर करने वाले हिंदू फॉर जस्टिस समूह के सदस्य आशीष गोयल ने कहा कि हमें यकीन है कि काशी और अयोध्या की तरह भोजशाला को भी अपनी मूल पहचान वापस मिल जाएगी। वहीं, मुस्लिम संगठनों ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय अंतिम निर्णय लेगा।
—————–
सोमवार को फिर सुनवाई
इससे पहले चार जुलाई को हाईकोर्ट ने एएसआई को आदेश दिया था कि सर्वेक्षण की पूरी रिपोर्ट 15 जुलाई तक पेश करे। 11वीं सदी के इस स्मारक के परिसर में एएसआई ने लगभग तीन महीने तक सर्वेक्षण किया। मामले में अगली सुनवाई 22 जुलाई को होगी।
क्या है विवाद
भोजशाला को हिंदू समुदाय वाग्देवी (देवी सरस्वती) का मंदिर मानता है, जबकि मुस्लिम पक्ष इस स्मारक को कमाल मौला मस्जिद बताता है। यह परिसर एएसआई द्वारा संरक्षित है। हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस नामक संगठन की अर्जी पर मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने 11 मार्च को एएसआई को इस परिसर का सर्वेक्षण करने का आदेश दिया था। इस पर एएसआई ने 22 मार्च को सर्वेक्षण शुरू किया।
—————
सर्वेक्षण पर सुनवाई को सुप्रीम कोर्ट सहमत
सुप्रीम कोर्ट ने भी सोमवार को भोजशाला के वैज्ञानिक सर्वेक्षण के खिलाफ याचिका सूचीबद्ध करने के विचार पर सहमति जताई। मौलाना कमालुद्दीन वेलफेयर सोसाइटी द्वारा शीर्ष अदालत में याचिका दायर की गई है, जिसमें मध्यप्रदेश होईकोर्ट के 11 मार्च के आदेश को चुनौती दी गई है। सोमवार को शीर्ष अदालत में न्यायमूर्ति ऋषिकेश रॉय और न्यायमूर्ति एसवीएन भाटी की पीठ में हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने बताया कि एएसआई ने अपनी रिपोर्ट जमा कर दी है। यह भी बताया कि हिंदू पक्ष ने इस लंबित मामले में अपना जवाब भी दाखिल कर दिया है।
बिना अनुमति कार्रवाई पर है रोक
एक अप्रैल को शीर्ष अदालत ने वैज्ञानिक सर्वेक्षण पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था। साथ ही कहा था कि सर्वेक्षण के नतीजों पर उसकी अनुमति के बिना कोई कार्रवाई नहीं की जानी चाहिए। पीठ ने कहा था कि कोई भी भौतिक खुदाई ऐसी नहीं की जानी चाहिए, जिससे परिसर का चरित्र बदल जाए।
जल्दबाजी में बनाया गया प्रतीत होता है मौजूदा ढांचा
मौजूदा ढांचा को समरूपता, डिजाइन, सामग्री आदि पर ज्यादा ध्यान दिए बिना जल्दबाजी में बनाया गया प्रतीत होता है। हालांकि अधिरचना का अधिकांश हिस्सा चूना-पत्थर से बना है, लेकिन पहले की बेसाल्ट संरचना के कुछ हिस्से और संगमरमर के एक स्तंभ का भी दोबारा इस्तेमाल किया गया है। रिपोर्ट में बेसाल्ट, संगमरमर, शिस्ट, सॉफ्ट स्टोन, बलुआ पत्थर और चूना पत्थर से बनी कई छवियों और मूर्तियों का उल्लेख किया गया है। पौराणिक और मिश्रित आकृतियों में विभिन्न प्रकार के कीर्तिमुख शामिल हैं, जैसे मानव चेहरा, शेर का चेहरा, मिश्रित चेहरा, विभिन्न आकृतियों के व्याल आदि।
शिव पुराण में वर्णित आकृति नष्ट नहीं
शिव पुराण में वर्णित मूल रूप से मौजूद एक आकृति पश्चिमी स्तंभों में कई स्तंभों पर उकेरे गए मानव, पशु और मिश्रित चेहरों वाले कीर्तिमुख को नष्ट नहीं किया गया। पश्चिमी स्तंभों की उत्तर और दक्षिण की दीवारों में लगी खिड़कियों के फ्रेम पर उकेरी गई देवताओं की छोटी आकृतियाँ भी तुलनात्मक रूप से अच्छी स्थिति में हैं।
मस्जिद में मानव-पशु आकृति नहीं, तोड़ा
मस्जिद में मानव और पशु आकृतियों की अनुमति नहीं थी, इसलिए पश्चिमी और पूर्वी स्तंभों जैसी कई जगहों पर उन्हें या तो तराश कर हटा दिया गया या उनका स्वरूप बिगाड़ दिया गया। इसने यह भी कहा कि स्तंभों, बीम और खिड़कियों पर की गई कुछ नक्काशी को वर्तमान संरचना में पुनः उपयोग करने के लिए काट दिया गया था।
शिलालेखों को नष्ट कर दिया गया
संस्कृत और प्राकृत में बड़ी संख्या में बड़े आकार के शिलालेखों को नष्ट कर दिया गया और उनका पुनः उपयोग किया गया। इन शिलालेखों, मूर्तियों और वास्तुशिल्प के टुकड़ों से पता चलता है कि इस पत्थर की संरचना के अधिरचना को बाद में संशोधित किया गया और इसे मस्जिद में बदल दिया गया।
रिपोर्ट में खिलजी राजा के शिलालेखों का हवाला
रिपोर्ट में धार में अब्दुल्ला शाह चंगाल के मकबरे के प्रवेश द्वार पर एएच 859 (1455 ई.) में लगाए गए खिलजी राजा महमूद शाह प्रथम के शिलालेखों का हवाला दिया गया है। कहा गया है कि उनके लोग भीड़ के साथ इस पुराने मठ में पहुंचे और मूर्तियों के पुतलों को नष्ट कर दिया और इस मंदिर को तोड़कर मस्जिद में परिवर्तित कर दिया।
स्तंभ पर प्राकृत में दो कविताएं
पूर्वी स्तंभ में लगे एक बड़े शिलालेख में प्राकृत भाषा में दो कविताएँ हैं जिनमें प्रत्येक में 109 छंद हैं। उनमें से पहले को कोलोफ़ोन में अवनीकुर्मासतम कहा जाता है और इसके लेखक महाराजाधिराज और परमेश्वर भोजदेव को माना जाता है। हालाँकि, दूसरी कविता के अंत में कोई कोलोफ़ोन नहीं है, यह भी कहा जाता है कि इसे परमार राजा भोज ने रचा था। ये शिलालेख ओम सरस्वित्यनाम, ओम नमः शिवाय आदि के आह्वान से शुरू होते हैं।
मौजूद संरचना 11वीं शताब्दी के परमार काल की
पहले से मौजूद संरचना 11वीं शताब्दी के परमार काल की हो सकती है और इसे ‘पहले के मंदिरों के मलबे से बनाया गया था। पूर्वी स्तंभ पर शिलालेख में देवी सरस्वती के मंदिर में हुई पारिजातमंजरी नाटिका का पहला प्रदर्शन शामिल है। एएसआई को सारदा (सरस्वती का दूसरा नाम) सदन और ओम सरस्वतीनाम जैसे शिलालेख मिले हैं। धार के राजा भोज के वंशज राजा अर्जुनवर्मन के दौरान लिखे गए नाटक ‘पारिजात मंजरी’ का पहला प्रदर्शन सरस्वती मंदिर में हुआ था।
यह हिन्दुस्तान अखबार की ऑटेमेटेड न्यूज फीड है, इसे लाइव हिन्दुस्तान की टीम ने संपादित नहीं किया है।
[ad_2]
Source link