[ad_1]
Donald Trump Secret Service : डोनाल्ड ट्रंप पर हुए हमले के बाद सुरक्षा में लगी एजेंसी अब लोगों के निशाने पर है. राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार अमेरिका के पेंसिल्वेनिया में रैली कर रहे थे, तभी उनके ऊपर फायरिंग हुई. गोली ट्रंप के कान से होते हुए निकल गई, गनीमत रही कि बड़ा नुकसान नहीं हुआ. अब लोग उनकी सुरक्षा में लगी ‘सीक्रेट सर्विस’ पर सवाल उठा रहे हैं. कई तो एजेंसी के डायरेक्टर से इस्तीफे की मांग कर रहे हैं, क्योंकि रैली के दौरान भी सुरक्षा एजेंसी के एजेंट भी साथ ही थे. वहीं, किंबरली ए चीटल सीक्रेट सर्विस की डायरेक्टर हैं. उन पर ही सबसे ज्यादा सवाल उठ रहे हैं, क्योंकि कई लोग दावे कर रहे हैं कि गोलीबारी से ठीक पहले सीक्रेट सर्विस को घटनास्थल पर संदिग्ध शख्स की मौजदूगी के बारे में बताया गया था, लेकिन इसपर कोई एक्शन नहीं हुआ.
क्या है सीक्रेट सर्विस का काम?
1865 में शुरू हुई सीक्रेट सर्विस को डॉलर की जालसाजी को रोकने के लिए बनाया गया था, लेकिन 1901 में तत्कालीन राष्ट्रपति विलियम मैकिनले की न्यूयॉर्क में हत्या कर दी गई. इसके बाद सीक्रेट सर्विस को फेक करंसी का चलन रोकने के साथ राष्ट्रपति की सुरक्षा की जिम्मेदारी दी गई. अभी सीक्रेट सर्विस राष्ट्रपति, उप-राष्ट्रपति की सुरक्षा के अलावा फाईनैंशियल फ्रॉड पर भी नजर रखती है. इनके अलावा राष्ट्रपतियों और उनके पति या पत्नी को पूरी जिंदगी प्रोटेक्शन देने की जिम्मेदारी भी सीक्रेट सर्विस की है.
इसलिए जरूरी थी डोनाल्ड ट्रंप की सुरक्षा
डोनाल्ड ट्रंप की सुरक्षा इसलिए ज्यादा जरूरी थी, क्योंकि वह पूर्व राष्ट्रपति रह चुके हैं और फिलहाल राष्ट्रपति पद के दावेदार भी हैं. नियम है कि सीक्रेट सर्विस प्रेसिडेंट और वाइस-प्रेसिडेंट के मजबूत दावेदारों को चुनाव से 120 दिन पहले ही सुरक्षा देना शुरू कर देती है. छोटी पार्टियों के कैंडिडेट को सुरक्षा नहीं दी जाती. वहीं, इस एजेंसी के पास वॉरंट इश्यू करने की पावर भी होती है, लेकिन ये एजेंट बिना वारंट के भी गिरफ्तारी कर सकते हैं. इसके कुल 3 हजार 200 स्पेशल एजेंट्स हैं. इसके बाद भी ट्रंप पर यह हमला हो गया.
ये भी पढें : Donald Trump Shooting : भगवान जगन्नाथ ने बचाई अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की जान, इस्कॉन का बड़ा दावा
[ad_2]
Source link