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अगर आपने अपनी कार या बाइक पर हाई सिक्योरिटी रजिस्ट्रेशन प्लेट (HSRP) नहीं लगवाई तो 1 अगस्त से 10 हजार रुपए का चालान भरना पड़ सकता है। अब महज 15 दिन का समय शेष बचा है। प्रदेश में 25 लाख से भी ज्यादा गाड़ियां हैं, जिन पर हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट लगनी ह
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इस कवायद में गाड़ियों के मालिक ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों ही विकल्पों में परेशान हो रहे हैं। भास्कर संवाददाता ने अलग-अलग डीलर्स, एजेंट्स, वाहन मालिकों और विभाग के अधिकारियों से मिलकर एचएसआरपी लगवाने में आ रही मुश्किलों की जमीनी हकीकत को जाना। साथ ही कुछ परेशानियों के समाधान भी ढूंढने का प्रयास किया। पढ़िए मंडे स्पेशल स्टोरी में…
सबसे पहला सवाल : आखिर क्यों जरूरी है HSRP?
यह हाई सिक्योरिटी वाली नंबर प्लेट है। इसे नहीं लगवाने पर टू व्हीलर, थ्री व्हीलर और कृषि कार्य से जुड़े वाहनों पर पहली बार 2 हजार रुपए और दूसरी बार पकड़े जाने पर 5 हजार रुपए जुर्माना है। कार, जीप, बस, ट्रक पर यह जुर्माना दोगुना है।
HSRP लेने के लिए सियाम पोर्टल (www.siam.in) पर रजिस्ट्रेशन होता है। पेमेंट चुकाने के बाद रसीद मिलती है। उस रसीद पर राजस्थान में ऑथोराइज्ड 3500 डीलर नई नंबर प्लेट लगाकर देते हैं। लंबी वेटिंग के कारण लोगों को इस प्रक्रिया में काफी परेशानी उठानी पड़ रही है।
परेशानी 1 : पोर्टल पर कई वाहनों की आरसी रजिस्टर्ड नहीं
HSRP के लिए ऑनलाइन आवेदन करते समय आपकी गाड़ी का रजिस्ट्रेशन वाहन पोर्टल पर वैरिफाई होना जरूरी है। अगर रजिस्ट्रेशन अपलोड नहीं है, तो आपका आवेदन वैरिफाई नहीं हो पाएगा। सबसे पहली परेशानी तो यही है कि कई वाहनों का आरसी पोर्टल पर रजिस्टर्ड ही नहीं है। ये परेशानी ज्यादातर उन टू व्हीलर मालिकों को आ रही है, जिनकी गाड़ियां 10-12 साल पुरानी हैं।
जयपुर के मानसरोवर के कावेरी पथ निवासी कपिल कुमार ने बताया कि उन्होंने सितंबर 2012 में बाइक खरीदी थी। HSRP के लिए आवेदन किया तो पता चला आरटीओ के वाहन पोर्टल पर उनकी आरसी ऑनलाइन अपलोड नहीं है। झालाना आरटीओ में कई चक्कर काटने के बाद आरसी ऑनलाइन अपडेट हुई। इसके बाद हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट के लिए आवेदन हो सका। इस पूरी प्रक्रिया में 21 दिन लग गए।
कपिल कुमार को अपनी गाड़ी की आरसी का डेटा RTO जाकर सर्वर पर अपलोड करवाने में ही 21 दिन लग गए।
कारण : कपिल ने मानसरोवर के जिस डीलर से बाइक खरीदी थी, वहां के मैनेजर ने बताया कि उनके पास आने वाले 10-15 फीसदी लोगों की यही शिकायत है। उनकी ओर से सभी कागज आरटीओ को भेज दिए जाते हैं।
विभाग का तर्क : ऐसा बहुत कम होता है। फिर भी अगर कोई परेशानी आ रही है तो अपनी आरसी स्थानीय आरटीओ में जाकर अपलोड करवा लें। अतिरिक्त परिवहन आयुक्त (आईटी विभाग) रोहिताश्व कुमार मीणा ने बताया कि अगर आवेदन करने में कोई दिक्कत आ रही है तो वाहन मालिक सियाम (SIAM) के हेल्प डेस्क पर अपनी शिकायत बता सकते हैं।
समाधान : एक्सपट्र्स का कहना है कि गाड़ी की आरसी एक्सपायर हो जाने पर भी ऐसी समस्या आ सकती है। इसलिए आरसी की हार्ड कॉपी सुरक्षित रखें। उसकी एक्सपायरी डेट जांच लें। एचएसआरपी के लिए आवेदन करने से पहले सभी जरूरी दस्तावेज चेक करने के बाद ही ऑनलाइन प्रक्रिया शुरू करें।
परेशानी 2 : बाहरी राज्यों की गाड़ियों पर नहीं लग पा रही एचएसआरपी
जयपुर या अन्य शहरों ने नौकरी करने वाले बाहरी राज्यों के लोग, जिनके वाहनों का रजिस्ट्रेशन राजस्थान का नहीं है, वे भी एचएसआरपी के लिए ऑनलाइन आवेदन नहीं कर पा रहे हैं। जिस सियाम पोर्टल (SIAM portal) से एचएसआरपी के लिए आवेदन किया जा रहा है, उसमें स्टेट वाले कॉलम में आंध्र प्रदेश, गुजरात, असम, दिल्ली, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, ओडिशा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और पश्चिम बंगाल के अलावा और अन्य किसी स्टेट का नाम नहीं है।
राजस्थान से लगते हरियाणा, पंजाब और महाराष्ट्र समेत अन्य राज्यों के लोगों को अपने होम स्टेट में रजिस्टर्ड वाहनों पर एचएसआरपी लगवाने के लिए परेशान होना पड़ रहा है।
बाहरी राज्यों की गाड़ियों के एचएसआरपी बनवाने में सबसे ज्यादा दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है।
एजेंट के जरिए एचएसआरपी बनवाने का खर्च सामान्य आवेदन के खर्च से लगभग डेढ़ से दो गुना है। राजस्थान परिवहन विभाग ने इसकी भी कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं की है। न ही कोई जानकारी या निर्देश दिया है।
कारण : कुछ राज्यों में एचएसआरपी के लिए आवेदन केवल उसी राज्य में पंजीकृत वाहनों के लिए स्वीकार किए जाते हैं। कई बार अलग-अलग राज्यों के आरटीओ अन्य राज्यों के साथ अपना डेटा शेयर नहीं करते।
विभाग का तर्क :अधिकारियों का कहना है कि इस विषय पर उन्हें ज्यादा जानकारी नहीं है। ऐसे मामलों में अन्य राज्य के वाहन मालिकों को संबंधित आरटीओ से ही एचएसआरपी बनवानी पड़ेगी।
समाधान : एक विकल्प के तौर पर समाधान यह है कि अपने वाहन को नए आरटीओ में पंजीकृत करने के बाद एचएसआरपी नंबर प्लेट के लिए आवेदन कर सकते हैं।
होम स्टेट सिलेक्ट कर आवेदन कर सकते हैं। अधिकांश राज्यों में HSRP के लिए ऑनलाइन आवेदन की सुविधा उपलब्ध है। कुछ मामलों में, आपको अन्य राज्य के लिए वाहन का फिटनेस सर्टिफिकेट भी देना पड़ सकता है।
परेशानी 3 : ऑथोराइज्ड सेंटर्स की कमी, 100 किमी दूर जाना पड़ रहा
पूरे राजस्थान में एचएसआरपी लगाने वाले ऑथोराइज्ड सेंटर्स की कमी है। परिवहन विभाग के मुताबिक राजस्थान में 31 जुलाई तक लगभग 30 लाख वाहनों में एचएसआरपी लगनी है। इस काम को पूरा करने के लिए महज 3500 ऑथोराइज्ड सेंटर्स ही हैं।
ग्रामीण क्षेत्र के वाहन मालिकों को 60 से 100 किमी दूर जाकर एचएसआरपी लगवानी पड़ रही है। ऑफलाइन तरीके से एजेंट के जरिए नंबर प्लेट लगवाने में डेढ़ से दो गुना ज्यादा कीमत चुकानी पड़ रही है। टू व्हीलर मालिकों को 425 रुपए की बजाय 700 से 1000 देने पड़ रहे हैं।
कारण : 2019 से पहले के वाहनों की निर्भरता पुराने जिलों के हिसाब से वहां के RTO पर ही है, जिससे बैकलॉग बढ़ रहा है। परिवहन विभाग से मिली जानकारी के अनुसार 10 जुलाई 2024 तक केवल 1.87 लाख वाहनों में एचएसआरपी लग सकी है, जबकि आवेदनों की संख्या करीब 4.30 लाख है।
विभाग का तर्क : विभाग की अपर परिवहन आयुक्त कुसुम राठौड़ ने भी इस कमी को स्वीकारा है। भास्कर से बातचीत में उन्होंने कहा कि इस संबंध में जल्द ही वैकल्पिक व्यवस्था की जाएगी।
समाधान : माय एचएसआरपी पर ऑनलाइन आवेदन करने के बाद आपको संबंधित डीलर अलॉट हो जाएगा। वहां से नंबर प्लेट कूरियर करवा सकते हैं। हालांकि इसके लिए कूरियर चार्ज अलग से देना होगा। उसे लोकल फिटमेंट सेंटर पर लगवा सकते हैं।
परेशानी 4 : खाते से पैसा काटने के बाद भी रसीद नहीं मिली
फिटमेंट सेंटर्स पहुंचे लोगों से बात करने पर पता चला कि ऑनलाइन रसीद जनरेट नहीं हुई लेकिन खाते से पैसे कट गए। ऐसे में उन्हें या तो दोबारा अप्लाई करना पड़ रहा है या फिर सर्वर या टेक्निकल एरर के दूर होने तक इंतजार करना पड़ रहा है। कटा हुआ पैसा वापस भी नहीं आ रहा।
कारण : कई बार सर्वर पर लोड होने या वाहन पोर्टल पर आपके वाहन से जुड़ी जानकारी अधूरी होने से डेटा मिलान में ऐसी परेशानी आ जाती है। इस बारे में विभाग की ओर से कोई जवाब नहीं मिला। उनका कहना है कि यह सियाम पोर्टल और एचएसआरपी बनाने वाली कंपनी के एक्जीक्यूटिव ही बता सकते हैं।
कई बार सर्वर डाउन होने के कारण लोगों का पैसा तो कट रहा है, लेकिन रसीद जेनरेट नहीं हो रही।
समाधान : अप्लाई करते समय वाहन की संबंधित कंपनी पर क्लिक करेंगे तो वहां ब्लैक बॉक्स में KNOW YOUR CUSTOMER CARE नाम से विंडो है। उस पर क्लिक करने पर आप अपने वाहन का स्टेट, शहर, वाहन टाइप और मॉडल लिख कर सबमिट करेंगे तो उस कंपनी का कस्टमर केयर नंबर आ जाएगा, जिससे आप अपनी शिकायत का समाधान पूछ सकते हैं।
परेशानी 5 : समय पर नहीं मिल रही एचएसआरपी
फिटमेंट सेंटर्स पर बुक की गई नंबर प्लेट समय पर नहीं पहुंच पा रही। आवेदन करने के बाद लगवाने में 15 से 20 दिन लग रहे हैं। कुछ सेंटर्स पर इससे भी ज्यादा समय लग रहा है।
राजस्थान में 25 आरटीओ के एचएसआरपी बनाने का ठेका ऑनलाइन डॉट कॉम (numberplateonline.com) के पास है। जिसमें RJ 01, 02, 05, 10, 11, 14, 18, 21, 23, 26, 29, 32, 34, 36, 37, 40, 41, 42, 44, 45, 47, 48, 52, 53 और RJ 60 हैं।
साहिल सईवाल ने बताया कि उन्होंने 15 दिन पहले अप्लाई किया था, अब जाकर प्लेट लगवाने का नंबर आया है।
जिम्मेदारों ने चुप्पी साधी
एचएसआरपी आने में देरी पर भास्कर संवाददाता ने नंबर प्लेट कंपनी ऑनलाइन डॉट कॉम के एरिया मैनेजर अमित पराशर और एमडी स्पर्श से कई बार बात करने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया। इस संबंध में विभाग ने भी कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।
समाधान : देरी से बचने के लिए डीलर से मिली सही तारीख पर ही एचएसआरपी की रसीद और आरसी लेकर पहुंचे। कई बार वाहन मालिकों के समय पर न आने से भी एचएसआरपी नहीं लग पा रही। अगर मौका चूक जाएं तो रीशेड्यूल कर लें, ताकि दोबारा जाने पर परेशानी नहीं हो।
प्रदेश में पंजीकृत वाहनों का गणित
- राजस्थान में अभी करीब 2,51,57,241 (11 जुलाई तक) वाहन रजिस्टर्ड हैं।
- जून तक विभाग के सियाम पोर्टल पर एचएसआरपी लगाने के लिए 4 लाख 30 हजार से ज्यादा आवेदन प्राप्त हुए।
- 11 जुलाई तक करीब 1.87 लाख वाहनों पर एचएसआरपी लगाई जा चुकी है।
- परिवहन विभाग के मुताबिक अभी तक 1 करोड़ 30 लाख वाहनों के एचएसआरपी लगाई जा चुकी है। 25-30 लाख वाहन अभी पेंडिंग चल रहे हैं।
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