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व्यक्ति व्यर्थ ही चिंता और तनाव में रहता है जबकि अगर वह जीवन में आए हुए कठिन समय में भी होशपूर्वक देखे तो पाएगा कि परमात्मा ने उसके जीवन में जो कठिन समय दिया है वह बड़ी विडंबना या समस्या नहीं है अपितु वह तो एक अवसर हो सकता है। बस उस कठिन समय को एक चु
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लालसाईं कहा कि नज़रिया बदलते ही जीवन बदल जाएगा। उन्होंने एक कहानी के माध्यम से अपनी बात समझाते हुए कहा कि परमात्मा को मानने वाला एक व्यक्ति सर्द रात में जंगल के रास्ते जा रहा था, अंधेरा था तो वह एक खाई में गिर गया। जैसे ही वह गिरा उसने हाथ पांव चलाए तो उसके हाथ में पेड़ की टहनी आ गई, जिसको उसने ज़ोर से पकड़ लिया, लेकिन सर्द रातों में उसके हाथ की पकड़ धीरे-धीरे छूट रही थी।
उसको डर था कहीं उसका हाथ छूट गया तो वह गहरी खाई में गिर जाएगा, वह चिल्लाता रहा, रोता रहा पर वहां कोई उसकी बात सुनने को नहीं था। अंततः उसका हाथ छूट गया और जैसे ही वं गिरा ज़ोर से हंसने लगा, क्योंकि वह खाई नहीं थी छोटा सा गड्ढा था। वह सोचने लगा कि जिसको मैंने इतनी बड़ी समस्या समझी वह दरअसल समस्या नहीं थी। लालसाईं ने कहा कि आप जीवन में जब गहरे से देखेंगे तो पाएंगे ईश्वर ने आपको यहां दुख देने के लिए नहीं रखा है।
कठिन समय को समस्या नहीं अगर चुनौती मान लिया तो जीवन निखर जाएगा, अगर समस्या समझा तो जीवन बिखर जाएगा। आज ही माइंडफुल ब्रीदिंग के 10 दिवसीय शिविर का समापन भी था, यह शिविर 5 जुलाई से लगाया जा रहा था। इस शिविर में संत नगर और भोपाल के महिला और पुरुषों ने बढ़चढ़कर भाग लिया। जहां डॉ. सरिता देवनानी ने महिलाओं को प्रशिक्षण दिया, वहीं पुरुषों को सुबह की अलग क्लास में वेदांत संत लालसाईं ने ब्रीदिंग की बारीकियां समझाईं।
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