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विपुल जोशी, ज्योतिषाचार्य
वैसे तो हस्तरेखा शास्त्र में हथेलियां को चार से सात तरीके का बताया गया है। अलग-अलग तरह की हथेली के व्यक्ति का अलग-अलग स्वभाव होता है और उनमें अलग-अलग तरीके गुण-अवगुण पाए जाते हैं।
हथेली की रेखाओं को अगर इसी तरह से बांटा जाए तो अब तक के अध्यन के दौरान मैंने पाया कि हम हथेली की रेखाओं को प्रमुख रूप से चार भागों में बांट सकते हैं। नीचे से शुरुआत करें तो पहली हथेली वो होगी जिसके हाथ में रेखाएं बहुत धूमिल सी होगी। यानी रेखाएं स्पष्ट रूप से नजर नहीं आयेंगी, रेखाओं को जाल होगा और सभी रेखाएं काफी हल्की व अस्पष्ट होंगी। ऐसे व्यक्ति का जीवन काफी ज्यादा संघर्षमय होगा। मुख्य रूप से स्वास्थ्य संबंधित समस्याएं इसे बचपन से घेरे रखेंगी।
दूसरी हथेली की बात करें तो ऐसे व्यक्ति के हाथ में जीवन रेखा, मस्तिष्क रेखा, हृदय रेखा और भाग्य रेखा तो स्पष्ट रूप से होंगी, मगर इन चार प्रमुख रेखाओं के अलावा और कोई रेखा इस व्यक्ति के हाथ में नहीं होगी। ऐसा भी संभव है कि इस व्यक्ति के हाथ में जीवन रेखा, मस्तिष्क रेखा और हृदय रेखा ही हों। भाग्य रेखा भी कई बार ऐसे व्यक्तियों के हाथ में नहीं होती। ऐसे व्यक्ति का जीवन कम संघर्षपूर्ण होगा, लेकिन एक साधारण जीवन होगा। ठीक वैसा जैसा एक 10 से 5 की नौकरी करने वाले व्यक्ति का होता है, ना उस व्यक्ति में बहुत ज्यादा महत्वाकांक्षा होंगी और ना ही उसे बहुत ज्यादा विपत्तियों का सामना करना पड़ेगा। इस तरह की हथेली में अगर भाग्य रेखा अनुपस्थित होगी तो ऐसे व्यक्ति को कभी बाहरी मदद नहीं मिल पाएगी।
तीसरी हथेली की बात करें तो ऐसी हथेली में भाग्य रेखा काफी स्पष्ट और काफी बड़ी होगी और हथेली में भाग्य रेखा बृहस्पति पर्वत, शनि पर्वत, सूर्य पर्वत, बुध पर्वत, शुक्र पर्वत, मंगल पर्वत या चंद्र पर्वत की ओर जाती हुई भी होगी, जिस कारण ऐसी हथेली वाला व्यक्ति उन ग्रहों से संबंधित क्षेत्रों में साधारण से अधिक ज्यादा सफलता प्राप्त करेगा।
चौथी हथेली की बात करें तो उसमें सभी गुण तीसरी हथेली वाले होंगे, लेकिन उसके साथ-साथ हथेली में बृहस्पति पर्वत, शनि पर्वत, सूर्य पर्वत, बुध पर्वत, मंगल पर्वत या शुक्र पर्वत पर शुभ चिह्न जैसे ध्वजा, स्वस्तिक, ॐ, मछली आदि भी उपस्थित होंगे, शुभ चिह्न उपस्थित न होने की स्थिति में ऐसी हथेली में स्पष्ट सूर्य रेखा, शनि रेखा, बुध रेखा, शनि रेखा, गुरु रेखा या इन पर्वतों पर त्रिभुज, चतुर्भुज की आकृति होगी। ऐसी स्थिति में जातक उस क्षेत्र में असाधारण सफलता अर्जित करेगा।
असाधारण सफलता को हम हमेशा व्यक्ति की देश,काल, परिस्थिति के हिसाब से ही देखेंगे। उदाहरण के तौर पर अगर एक व्यक्ति का जन्म ऐसे परिवार में हुआ है, जहां उसे दो वक्त का खाना भी ढंग से नहीं मिल पाता था और वह अपने गांव का ग्राम प्रधान बन जाता है तो यह एक असाधारण सफलता होगी। ठीक उसी तरह अगर एक ग्राम प्रधान का बेटा ग्राम प्रधान ही बनता है तो यह सफलता भी नहीं होगी।
जातक ज्योतिषी/हस्तरेखा शास्त्री के पास हमेशा अपनी समस्या लेकर आता है और वह समस्या उसकी कैरियर, स्वास्थ्य, संतान, भाग्य आदि से जुड़ी हुई होती है। जैसा कि मैंने बताया कि हथेली में बने हुए शुभचिह्न व्यक्ति की संपन्नता को दर्शाते हैं। ठीक इसी तरह अगर इन पर्वतों में क्रॉस या कटी हुई रेखाएं हों तो जातक को उन पर्वतों से जुड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। जैसे सूर्य पर्वत पर बना क्रॉस जातक को नेत्र रोग, बीपी या हड्डी संबंधित समस्याएं देता है। शुक्र पर्वत पर बना क्रॉस जातक को यूरिन संबंधित समस्या या किडनी संबंधित समस्या देता है।
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