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झारखंड में विधि व्यवस्था को लेकर राज्यपाल का सरकार को पत्र लिखने के बाद सूबे का सियासी पारा चढ़ गया है। विपक्ष इसे जहां राज्य सरकार की नाकामी बता रहा है, वहीं सत्ता पक्ष आरोप लगाने वाले विपक्ष पर एक बार पड़ोसी राज्यों की स्थिति को भी देखने की नसीहत दे रहा है। बता दें कि पत्र में राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने प्रदेश में विधि व्यवस्था को लेकर चिंता जताई है।
पड़ोसी राज्यों पर भी डाली जाए नजर: झामुमो
झामुमो नेता सह केंद्रीय प्रवक्ता मनोज पांडे का कहना है कि विधि व्यवस्था को लेकर मुख्यमंत्री खुद काफी संजीदा रहे हैं। उनके संज्ञान में विधि व्यवस्था की जैसी ही बात आती है तो वे तत्काल सूबे के आला अधिकारियों के साथ बैठक करते हैं। पिछले दिनों ही उन्होंने ऐसी बैठक की थी। बैठक में डीजीपी, गृह सचिव सहित सभी पुलिस अधिकारियों को सख्त हिदायत दी गई कि क्राइम रेट कम होना चाहिए। यह अलग बात है कि दूसरे राज्यों की तुलना में हम काफी बेहतर स्थिति में है। जो लोग विधि व्यवस्था पर सवाल उठा रहे हैं, उन्हें एक बार पड़ोसी राज्यों को भी देखना चाहिए। किसी-न-किसी बहाने से राज्य सरकार पर कीचड़ उछालना विपक्ष का शगल बन गया है।
विधि व्यवस्था प्रदेश में चौपट: भाजपा
भाजपा नेता सह प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने कहा है कि प्रदेश की पूरी विधि व्यवस्था चौपट हो गई है। शहरी क्षेत्र में संगठित अपराधिक गिरोह का बोलबाला है। ग्रामीण क्षेत्रों में नक्सली तांडव कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हाल के दिनों में घटित घटनाओं को इंगित करते हुए राज्यपाल ने बिगड़ती विधि व्यवस्था पर सवाल उठाने का काम किया है। पुलिस भी आपराधिक घटनाओं का उद्भेदन नहीं कर पाई है। र्पू्व समय में जब राज्यपाल राज्य की विधि व्यवस्था पर किसी तरह की नाराजगी व्यक्त करते थे, तो मुख्यमंत्री इस्तीफा दे दिया करते थे। लेकिन राज्य की वर्तमान हेमंत सोरेन सरकार तो हठधर्मिता वाली सरकार है। इस सरकार से ऐसी उम्मीद करना गलत है।
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