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दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) आज गुरुद्वारा मजनू का टीला (Majnu ka Tila) के दक्षिण में यमुना नदी के बाढ़ क्षेत्र में ‘अतिक्रमण हटाओ’ अभियान चलाएगा। मजनू का टीला में ज्यादातर पाकिस्तान से पलायन करके आए हिंदू अपने घर बनाकर रह रहे हैं। डीडीए द्वारा मजनू के टीला में तोड़फोड़ अभियान के संबंध में सार्वजनिक नोटिस जारी किए जाने के कारण वहां कई साल से रह रहे 170 पाकिस्तानी हिंदू अत्यंत चिंतित हैं।
जानकारी के अनुसार, डीडीए ने गुरुवार को एक पब्लिक नोटिस जारी कर यह जानकारी दी थी। मजनू का टीला इलाके में रहने वाले लोगों ने कहा कि उन्हें गुरुवार देर शाम डीडीए से यह नोटिस मिला।
पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि डीडीए ने अभियान के दौरान कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए सुरक्षा को लेकर दिल्ली पुलिस से अनुरोध किया है। नोटिस के अनुसार, मजनू का टीला इलाके में गुरुद्वारा के दक्षिण में डीडीए की जमीन पर अतिक्रमण को हटाया जाएगा। याचिकाकर्ता ने गुरुद्वारा को छोड़कर बाकी की जमीन पर अतिक्रमण को हटाने के लिए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
नोटिस में इस कदम के पीछे एनजीटी के 3 अप्रैल के आदेश और दिल्ली हाईकोर्ट के 12 मार्च के आदेश का हवाला दिया गया है। नोटिस के मुताबिक, “मजनू का टीला गुरुद्वारा के दक्षिण में यमुना बाढ़ क्षेत्र पर अतिक्रमण के खिलाफ शनिवार और रविवार को तोड़फोड़ अभियान चलाने का प्रस्ताव है।”
नोटिस में बताया गया कि प्रभावित परिवार दिल्ली शहरी आश्रय सुधार बोर्ड (डीयूएसआईबी) के आश्रय स्थलों में अस्थायी रूप से शरण ले सकते हैं।
नोटिस के मुताबिक, “क्षेत्रवासियों से अनुरोध है कि वे 12 जुलाई तक क्षेत्र खाली कर दें नहीं तो 13 जुलाई या उसके बाद अतिक्रमण के खिलाफ चलाए जाने वाले तोड़ोफोड़ अभियान के कारण होने वाले किसी भी नुकसान के लिए वे स्वयं जिम्मेदार होंगे।”
मजनू का टीला में 170 पाकिस्तानी हिंदू परिवार के बेघर होने का खतरा
भाषा की रिपोर्ट के अनुसार, कुछ महीने पहले तक 49 वर्षीय पाकिस्तानी हिंदू दयाल दास उनके तीन बच्चों को नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के तहत भारतीय नागरिकता दिए जाने के बाद जश्न मना रहे थे, लेकिन सीमित सुविधाओं वाले अपने घर (एक टिन की छत वाला घर) को खोने के डर ने अब दास के परिवार को निराशा में डाल दिया है।
दास और कई पाकिस्तानी हिंदू परिवारों का भाग्य शनिवार और रविवार को तोड़फोड़ अभियान चलाने के डीडीए के फैसले से जुड़ा है। दास ने कहा, ‘‘मैं यहां रहने वाले 170 परिवारों की ओर से अधिकारियों से अनुरोध करता हूं कि वे घरों को ध्वस्त करने का अभियान चलाने से पहले हमें स्थायी आश्रय प्रदान करें। हमारे पास कहीं और ठिकाना नहीं है।’’
‘चिप्स’ बेचने वाली एक छोटी सी दुकान चलाने वाले दास ने कहा कि उनके परिवार में नौ लोग हैं, जिनमें उनकी पत्नी, बुजुर्ग माता-पिता और बच्चे शामिल हैं। उन्हें ध्वस्तीकरण की कवायद से पहले एक अस्थायी आश्रयस्थल में जाने के लिए कहा गया है।
मीरा (40) पिछले 12 सालों से मजनू का टीला में रह रही हैं। वह कहती हैं, ‘‘मेरा परिवार बहुत बड़ा है और अगर हमें यहां से निकाला गया तो हम सड़क पर आ जाएंगे।’’
इलाके के छात्रों को पढ़ाने वाली 18 वर्षीय रामकली इस बात पर अड़ी हुई हैं कि वह कहीं और नहीं जाएंगी। दास का कहना है कि अगर उन्हें जबरन दूसरी जगहों पर भेजा गया तो वे विरोध करेंगे।
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