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जवाहर कला केंद्र में शुक्रवार को 76 वर्षीय कलाकार प्रताप कुमार भाटिया की ओर से आयोजित कला प्रदर्शनी की शुरुआत हुई।
जवाहर कला केंद्र में शुक्रवार को 76 वर्षीय कलाकार प्रताप कुमार भाटिया की ओर से आयोजित कला प्रदर्शनी की शुरुआत हुई। सुरेख दीर्घा में 14 जुलाई तक सुबह 11 से शाम 7 बजे तक प्रदर्शनी लगाई गई है, जहां 150 से अधिक पेंसिल स्केच प्रदर्शित किए जा रहे हैं। प्रद
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कोरोना काल के दौरान लॉकडाउन में सिर्फ अपने खालीपन को दूर करने के उद्देश्य से पेंसिल उठाई और अपने पैशन को फॉलो करना शुरू कर दिया।
अब तक वह विभिन्न कैटेगरी में स्केच बना चुके हैं, जिनमें राजनेता, उद्योगपति, वंडर्स ऑफ द वर्ल्ड, हिस्टोरिकल मॉन्यूमेंट्स, फल-सब्जियां, पशु-पक्षी व फेमस पर्सनैलिटीज के स्केच मुख्य हैं। इसके अलावा अयोध्या के रामलला का स्केच प्रदर्शनी में आकर्षण का केंद्र रहा। भाटिया ने अपने स्केच में जीव संरक्षण और पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया।
अयोध्या के रामलला का स्केच प्रदर्शनी में आकर्षण का केंद्र रहा।
पशु-पक्षियों की कड़ी में तैयार किया गया डोडो पक्षी का स्केच आपका ध्यान अपनी ओर खींचता है। ऐसा न सिर्फ इस वजह है कि क्योंकि यह साधारण से काफी अलग दिखाई पड़ता है बल्कि इसलिए भी क्योंकि यह प्रजाति अब लुप्त हो चुकी है। डोडो हिंद महासागर के द्वीप मॉरीशस का एक स्थानीय पक्षी है। भाटिया ने मॉरिशस के डोडो संग्रालय में संरक्षित पुराने रेखाचित्र से प्रेरित होकर यह स्केच तैयार किया है।
भाटिया ने मॉरिशस के डोडो संग्रालय में संरक्षित पुराने रेखाचित्र से प्रेरित होकर यह स्केच तैयार किया है।
‘साधारण स्केचिंग से ज्यादा मुश्किल है डार्क ब्लैक स्केचिंग’
भाटिया बताते हैं कि इनके बनाए ज्यादातर स्केच नॉर्मल शेड में तैयार किए गए हैं लेकिन सबसे ज्यादा समय डार्क स्केचिंग में लगता है क्योंकि उसमें बारीकियां उकेरना आसान नहीं होता। द्रौपदी मुर्मू, रामलला व कुछ पशुओं के स्केच डार्क पेंसिल से तैयार किए गए हैं। प्रदर्शनी में फ्रूट्स कैटेगरी में ड्रैगनफ्रूट, अमरूद के कटे फलों का स्केच बिल्कुल वास्तविक दिखाई पड़ता है। इसमें इनके बीजों को काफी बारीकी से पेंसिल द्वारा उकेरा गया है। इसके अलावा केले, स्लाइस्ड मैंगो के स्केच भी प्रदर्शनी में शामिल हैं।
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