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लाल डोरा (Lal Dora) क्षेत्र में रहने वालों के लिए बड़ी राहतभरी खबर है। हरियाणा प्रदेश सरकार की तरफ से गुरुवार को शुरू की गई शहरी स्वामित्व योजना का लाभ फरीदाबाद के करीब 60 गांवों को मिलेगा। इस योजना से आठ लाख से ज्यादा लोगों को राहत मिलेगी, जो अब अपने घरों और जमीनों के कानूनी दस्तावेज प्राप्त कर सकेंगे।
इसके साथ ही लोग बैंक से लोन लेकर अपना बेहतर घर भी बना सकेंगे। इसके तहत लोग लाल डोरा में आने वाली जमीन की रजिस्ट्री करवा सकेंगे। गुरुग्राम में गुरुवार को मालिकाना हक के दस्तावेज वितरित कर हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने इसकी शुरुआत की है। शहरी स्वामित्व योजना के तहत, लाल डोरा के अंदर स्थित जमीन और संपत्तियों की रजिस्ट्री हो सकेगी। यह कदम लोगों को अपने मकानों और जमीनों के मालिकाना हक के दस्तावेज प्राप्त करने में मदद करेगा। इसके परिणामस्वरूप, स्थानीय लोगों को उनकी संपत्ति के अधिकार सुनिश्चित होंगे और वे अपने संपत्तियों का कानूनी उपयोग कर सकेंगे। साथ ही लाल डोरा की रजिस्ट्री होने से मालिकाना हक को लेकर जमीन के झगड़े भी खत्म हो जाएंगे। फरीदाबाद में कई वर्षों से जमीन के मालिकाना हक को लेकर विवाद चल रहे थे।
स्वामित्व योजना को लोगों ने सराहा
शहरी स्वामित्व योजना की सराहना करते हुए स्थानीय निवासी शकील, राकेश और बिजेंद्र ने कहा कि यह कदम सरकार की दूरदर्शी सोच का प्रतीक है। उनका मानना है कि इस योजना से लोगों को अपनी संपत्ति के कानूनी दस्तावेज प्राप्त करने में मदद मिलेगी, जो कि उनके भविष्य के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। शकील ने कहा कि यह योजना हमारे लिए बहुत लाभकारी है। अब हम अपने मकानों और जमीनों के कानूनी दस्तावेज प्राप्त कर सकेंगे, जो हमारे बच्चों के भविष्य को सुरक्षित करने में मदद करेंगे।
नगर निगम का विस्तार किया गया
वर्ष 1994 में नगर निगम का गठन हुआ था। इससे पहले मिश्रित प्रशासन था। निगम गठन के वक्त 36 गांव निगम की सीमा में आए थे, जिनकी काफी आबादी लाल डोरा में थी। अब दो साल पहले नगर निगम का विस्तार किया गया है, जिसमें ग्रेटर फरीदाबाद की सोसाइटियों सहित 24 गांवों को शामिल किया गया है। इन गांवों में भी लाल डोरा के अंदर काफी आबादी है। इसके बाद नगर निगम के वार्डों की संख्या 46 कर दी है।
नगर निगम के पूर्व वरिष्ठ योजनाकार रवि सिंघला ने कहा, ”शहरी स्वामित्व योजना से फरीदाबाद के ग्रामीण क्षेत्रों को बहुत फायदा होगा। इससे न केवल लोगों को उनके मकानों और जमीनों के कानूनी दस्तावेज मिलेंगे, बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलेगी।”
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