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Israel Supreme Court : इजरायल में इस समय हजारों की तादाद में लड़के और पुरुष सड़कों पर उतरे हैं. ये सभी इसराइली सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का विरोध कर रहे हैं. दरअसल, इजरायली सुप्रीम कोर्ट ने 25 जून को फैसला सुनाया कि अब अति रूढ़िवादी (कट्टर धार्मिक) यहूदियों को भी सामान्य यहूदियों की तरह सेना में भर्ती होना पड़ेगा. साथ ही इन्हें सरकार से मिलने वाली विशेष सुविधाएं भी बंद कर दी जाएंगी. अब तक कट्टर यहूदियों को सेना में शामिल होना अनिवार्य नहीं था. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद से ही इजरायल में हंगामा हो रहा है. इस फैसले के बाद येशिवा में पढ़ाई कर रहे युवा चिंता जता रहे हैं कि इससे उनके धार्मिक जीवन जीने के तरीके पर खतरा पैदा हो जाएगा. युवा तर्क देते हैं कि उनकी प्रार्थनाएं और आध्यात्मिक अध्ययन इजरायल की सुरक्षा और यहूदियों के अस्तित्व के लिए जरूरी हैं.
सेना में शामिल होने से धार्मिक भक्ति होगी खत्म
BBC से बातचीत में प्रदर्शनों में हिस्सा लेने वाले जोसेफ ने कहा, 2 हजार सालों से हमें सताया जा रहा है. हम इसलिए जिंदा हैं, क्योंकि हम टोरा सीख रहे हैं. अब सुप्रीम कोर्ट इसे हमसे छीनना चाहता है. यह फैसला हमारे विनाश की वजह बन सकता है. वहीं एक और छात्र ने कहा, सेना में शामिल होने से हमारी धार्मिक भक्ति से समझौता करना पड़ेगा. हमें जो भी काम वहां पर दिया जाएगा, उससे धर्म के प्रति हमारी आस्था कमजोर होगी. इजरायली सेना हमें नहीं चाहती और उनको हमारी जरूरत भी नहीं है.
इस समुदाय के 10 लाख लोग हैं इजरायल में
दशकों से इजरायली समाज में अति-रूढ़िवादियों की भूमिका को लेकर विवाद रहा है. कभी यह इजरायल का एक छोटा समुदाय हुआ करता था, लेकिन अब इस समुदाय की तादाद 10 लाख है, जो कि इजरायल की कुल आबादी का 12.9 फीसदी है. अति-रूढ़िवादी राजनीतिक दल अकसर इजरायली राजनीति में किंगमेकर की भूमिका निभाते देखे जाते हैं. इन दलों ने नेतन्याहू के नेतृत्व वाली सरकार को लगातार अपना समर्थन दिया है. इसके बदले में इन्हें सैन्य सेवा से छूट और अपने संस्थानों के लिए सैकड़ों मिलियन डॉलर जैसे कई फायदे भी मिले हैं. धार्मिक कट्टर यहूदियों और धर्मनिरपेक्ष यहूदियों के बीच यही टकराव की एक बड़ी वजह है. क्योंकि धर्मनिरपेक्ष यहूदियों का तबका अनिवार्य तौर पर सैन्य सेवाएं भी देता है और टैक्स के एक बड़े हिस्से का भुगतान भी करता है.
तीन हजार लोगों को ही सेना में आने को कहा गया
इजरायल में अभी 60 हजार से ज्यादा अति-रूढ़िवादी पुरुष येशिवा में छात्रों के तौर पर रजिस्टर्ड हैं और उन्हें सैन्य सेवा से छूट मिल रही है. लेकिन सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद सेना को इस समुदाय से केवल 3000 लोगों को ही भर्ती करने की योजना पर काम करने को कहा गया है. इसके बाद भी मेआ शियरिम में कुछ प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर पत्थर फेंके. यरूशलम में 2 अति-रूढ़िवादी नेताओं की कार पर भी हमला कर किया गया.
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