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France Elections 2024: यूरोप के दो बड़े देश ब्रिटेन और फ्रांस में चुनाव हुए. दोनों ही देशों में राजनीतिक समीकरण बदले नजर आए. फ्रांस में जल्दी चुनाव कराने का आह्वान किया गया तो सभी हैरान रह गए. राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों की रणनीति के तहत वो खुद की सरकार के लिए समर्थन जुटाना चाहते थे और दक्षिणपंथियों विचारधारा को रोककर अपने विरोधियों के नीचे से कार्पेट खींचने कोशिश कर रहे थे लेकिन उन्हें एक एंटी मुस्लिम पार्टी नेशनल रैली ने लोहे चने चबा दिए. इसके बाद जो हुआ उसने सभी का ध्यान अपनी ओर खींचा.
दरअसल, एंटी मुस्लिम पार्टी नेशनल रैली को चुनावों में भारी बढ़त बनाए हुई थी. इसके रोकने के लिए विरोधी दलों ने ठीक वैसी ही रणनीति अपनाई जिस तरह की भारत के चुनाव में I.N.D.I.A गठबंधन ने अपनाई थी. सभी विरोधी दल नेशनल रैली को हराने के लिए इकट्ठे हो गए. फ्रांस में पहले चरण के मतदान के बाद इस एंटी मुस्लिम पार्टी के खिलाफ सभी विरोधियों ने अपने मतभेद भुला दिए.
उत्तर प्रदेश में अखिलेश को भी मिली ऐसी जीत
भारतीय जनता पार्टी को हराने के लिए I.N.D.I.A गठबंधन बना, इसी के तहत चुनाव से पहले समाजवादी पार्टी भी इस गठबंधन का हिस्सा बनी. उत्तर प्रदेश में किसी भी राजनीतिक पंडित को अनुमान नहीं था कि बीजेपी की इतनी कम सीटें आएंगीं. 2019 में प्रचंड जीत हासिल करने वाली बीजेपी इस बार 33 सीटों पर सिमट गई, जबकि सपा को 37 और कांग्रेस को 6 सीटें मिलीं.
फ्रांस में भी यही देखने को मिला
फ्रांस के चुनावी नतीजे भी कुछ इसी तरह रहे. दक्षिणपंथी पार्टी नेशनल रैली को 300 सीटें मिलने और जीतने का अनुमान लगाया गया था लेकिन पहले चरण की वोटिंग के बाद सभी विरोधी दल इकट्ठे हो गए जिसके बाद नेशनल असैंबली पार्टी 143 सीटें जीत पाई और तीसरे नंबर पर आ गई. फ्रांस में 577 सीटों पर वोटिंग हुई थी जिसमें से वामपंथी और मध्यमार्गी पार्टियों के गठबंधन न्यू पॉपुलर फ्रंट को 182 सीटें, राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के गठबंधन को 168 सीटें और नेशनल असैंबली को 143 सीटें मिलीं.
यहां सरकार बनाने के लिए 289 सीटों की जरूरत होती है. ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि एनपीएफ और एनसेंबल अलायंस मिलकर सरकार बना लेंगे. हालांकि ये इतना आसान भी नहीं है. ये लोग नेशनल असैंबली को हराने के लिए एकजुट तो हो गए हैं लेकिन इनके आपसी मतभेद कई हैं, जिससे एक स्थाई सरकार बनाने की संभावना कमजोर होती दिख रही.
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