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Canada Immigrants: कनाडा लंबे समय से भारतीयों के लिए सबसे पसंदीदा जगहों में से एक रहा है. पढ़ाई से लेकर नागरिकता पाने तक का सपना लेकर भारतीय कनाडा आते रहे हैं, लेकिन अब ऐसा होता नहीं दिख रहा है. पिछले कुछ सालों में अपने सपने को साकार करने के लिए लाखों भारतीय छात्रों ने कनाडा को चुना, लेकिन अब कनाडा में स्थितियां बदल रही हैं. भारतीय नागरिकों के लिए कनाडा अब किसी बुरे सपने से कम नहीं क्योंकि कनाडा में प्रॉपर्टी की बढ़ती कीमतें, नौकरियों की कमी और देश में अपराध बढ़ने से सपना अब दुस्वप्न में बदलने लगा है. ऐसी स्थितियों ने कनाडा में माइग्रेशन रिवर्स को बढ़ावा दिया है.
इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, कनाडा में सबसे बड़ समस्या नौकरियों की है. हाल में आए अप्रवासी कनाडा में बेरोजगारी दर को बढ़ा रहे हैं. इससे कनाडा में मकानों का किराया भी आसमान छू रहा है. देश में भारी संख्या में बाहर से आए लोगों को अब नौकरी के लिए दर-दर की ठोकरें खाना पड़ रहा है. ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक, कनाडा में अस्थायी लोगों के लिए जून महीने में बेरोजगारी दर 11 फीसदी थी. रिपोर्ट के मुताबिक यह अचानक नहीं हुआ है, पिछले पांच साल में आए अप्रवासियों को कनाडा में नौकरी के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है. जून में ऐसे लोगों की भी बेरोजगारी दर 12.6 फीसदी पर पहुंच गई.
कनाडा में अप्रवासियों के लिए रोजगार नहीं
स्कॉटियाबैंक के अर्थशास्त्री डेरेक होल्ट के मुताबिक, कनाडा में बेरोजगारी दर में वृद्धि की सबसे बड़ी वजह अस्थायी निवास श्रेणी का है. कनाडा में लगातार बढ़ रही जनसंख्या से सकल घरेलू उत्पाद बढ़ रहा है, लेकिन इससे जीवन कठिन होता जा रहा है. खास करके युवा पीढ़ी और अप्रवासियों को सबसे अधिक परेशानी हो रही है. कनाडा में मकानों की कमी हो गई है, क्योंकि जितनी तेजी में अप्रवासी आ रहे हैं उतनी तेजी में मकान का निर्माण नहीं हो रहा है. ऐसी स्थिति में मकानों का किराया आसमान छू रहा है.
कनाडा में 3 लाख भारतीय छात्र
कुछ महीने पहले मकान की कमी को पूरा करने के लिए ट्रूडो सरकार ने 6 अरब कनाडाई डॉलर का कनाडा हाउसिंग इंफ्रास्ट्रक्चर फंड लॉन्च किया, लेकिन मकान की समस्या जस की तस बनी हुई है. बीते साल कनाडा के ओंटारियो में 50 से 100 छात्रों को घर न मिलने पर कॉलेज के बाहर सड़क के किनारे टेंट लगाकर रहना पड़ा था. कनाडाई ब्यूरो फॉर इंटरनेशनल एजुकेशन के मुताबिक, मौजूदा समय में कनाडा में 3 लाख भारतीय छात्र हैं. ज्यादातर छात्र कनाडा में गुजारा करने के लिए कूरियर, वेटर और क्लर्क जैसी नौकरियों को करते हैं, लेकिन इस समय यह नौकरियां भी नहीं मिल रही हैं.
कनाडा छोड़ रहे हैं अप्रवासी
इन स्थितियों के बीच कनाडा से लोग अब जाने लगे हैं. इमिग्रेसन ने पिछले छह दशकों में कनाडा की आबादी को तेजी से बढ़ाया है, लेकिन अब इसमें बदलाव हो रहा है. रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2023 के पहले छह महीनों में करीब 42 हजार लोगों ने कनाडा छोड़ दिया. इसके अलावा साल 2022 में 93 हजार से अधिक लोगों ने कनाडा को छोड़ा. वहीं साल 2021 में 85 हजार से अधिक लोग कनाडा से चले गए.
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