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France Election Result: फ्रांस में राष्ट्रपति चुनाव के परिणाम आ चुके हैं. इस चुनाव में वामपंथी दलों के गठबंधन का दबदबा देखने को मिला. हालांकि यहां धुर दक्षिण पंथी पार्टी नेशनल रैली (RN) सरकार बनाते-बनाते रह गई. हैरान करने वाली बात यह है कि इस राजनीतिक पार्टी का सफर कमोबेश भारत की दक्षिण पार्टी भारतीय जनता पार्टी (BJP) की तरह ही है. जिस तरह से BJP को कुछ नेताओं ने मिलकर खड़ा किया था, उसी तरह RN को भी कुछ ही नेताओं ने मिलकर खड़ा किया था. यहां BJP के लिए अटल-आडवाणी ने अपनी भूमिका निभाई थी, वहीं फ्रांस में RN के लिए जीन-मरीन ले पेन ने उसी तरह की भूमिका निभाई. जितनी ही रोचक BJP की राजनीतिक यात्रा है उतनी ही रोचक RN की राजनीतिक यात्रा है. आइए इस खबर में पढ़ते हैं RN की रोचक राजनीतिक यात्रा को.
एक समय था जब भारत में बीजेपी के पास लोकसभा में एक भी सीट नहीं थी. फिर 1984 में बीजेपी ने 2 सीटें जीती. इसके बाद अटल बिहारी के प्रधानमंत्री बनने से लेकर इस्तीफे तक का इतिहास दर्ज हुआ. और फिलहाल 2014 से नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने हुए हैं. वहीं RN की राजनीतिक यात्रा भी इसी तरह की रही. उन्होंने भी 7 सीटों से 143 सीटों का सफर तय किया.
मुसोलिनी से प्रेरणा
RN सबसे पहले फ्रंट नेशनल या नेशनल फ्रंट (FN) के रूप में सामने आया. पूर्व पार्टी अध्यक्ष मरीन ले पेन के पिता जीन-मरीन ले पेन, फ्रांकोइस डुप्रैट और फ्रांकोइस ब्रिगनेऊ के साथ इसके संस्थापकों में से एक थे. इसके कुछ सदस्य ऑर्ड्रे नोव्यू या न्यू ऑर्डर (ON) से थे, जो एक दूर-दराज़ नव-फ़ासीवादी आंदोलन था. यह इटालियन सोशल मूवमेंट पार्टी पर आधारित था, जिसका नेतृत्व इतालवी तानाशाह बेनिटो मुसोलिनी के समर्थकों द्वारा किया जाता था.
BJP की ही तरह उदय
BJP की ही तरह राजनीतिक परिदृश्य के हाशिये पर रहने के बाद, पार्टी ने 80 के दशक में कुछ स्थानीय चुनाव जीते और 1984 के यूरोपीय संसद चुनावों में 10 सीटें जीतीं. 1986 के विधान सभा चुनावों में, इसने 10% वोट और नेशनल असेंबली में 35 सीटें हासिल कीं. पार्टी का उदय 1990 के दशक में भी जारी रहा, जिसमें ले पेन ने 1995 के राष्ट्रपति चुनावों में 15% से अधिक वोट हासिल किए. इसने खुद को मुख्यधारा की फ्रांसीसी राजनीति के लिए एक सत्ता-विरोधी विकल्प के रूप में पेश किया.
अटल-आडवाणी की तरह ले पेन ने बनाई अपनी पार्टी की छवि
भारत में BJP की छवि जिस तरह अटल आडवाणी जैसे नेताओं ने चमकाई. ठीक उसी तरह फ्रांस में ले पेन ने अपनी पार्टी की छवि को एक अलग तरीके से पेश किया. उदारवादी चेहरा माने जाने से लेकर अपने आलोचकों द्वारा “गणतंत्र के शैतान” के रूप में ब्रांडेड किए जाने तक, जीन-मैरी ले पेन ने फ्रांसीसी राजनीति में एक लंबा सफर तय किया. ले पेन 1956 में संसदीय डिप्टी या प्रतिनिधि बन गए और उन्हें उनके विभाजनकारी विचारों के लिए जाना जाता था, जिन्हें अक्सर नस्लवादी और यहूदी विरोधी के रूप में वर्णित किया जाता था. उन्होंने एक बार होलोकॉस्ट को “इतिहास का एक विवरण” के रूप में संदर्भित किया, जिसके कारण उन्हें कानूनी परेशानी हुई.
उन्होंने लगभग 40 वर्षों तक पार्टी का नेतृत्व किया और कई बार राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव लड़ा. उनकी सबसे बड़ी सफलता 2002 में राष्ट्रपति चुनाव के पहले दौर में मिली, जब उन्होंने 18% वोट जीते. हालांकि, उनके खिलाफ देशव्यापी प्रदर्शनों और तत्कालीन राष्ट्रपति जैक्स शिराक के लिए सभी राजनीतिक दलों के समर्थन ने उनकी प्रगति को रोक दिया. हालांकि धीरे-धीरे समय बदला और पार्टी ने फ्रांस की राजनीति में अपनी एक अलग पहचान बना ली. जिस तरह से देश में इस्लामोफोबिया बढ़ता गया पार्टी का कद भी बढ़ता गया.
Tags: France India, France News
FIRST PUBLISHED : July 8, 2024, 10:57 IST
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