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पंडित गोपबंधु दास ने वन विद्यालय के माध्यम से छात्रों के समग्र विकास पर जोर दिया
राष्ट्रवाद और लोकतांत्रिक मूल्यों में विश्वास करते थे गोपबंधु दास
भुवनेश्वर, एजेंसी। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने शनिवार को कहा कि उत्कलमणि पंडित गोपबंधु दास का समाज सेवा, साहित्य, शिक्षा और पत्रकारिता में योगदान अविस्मरणीय है। वह यहां गोपबंधु दास की 96वीं पुण्यतिथि पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रही थीं।
उन्होंने कहा, कोई व्यक्ति कितना लंबा जीवन जीता है, यह मायने नहीं रखता, बल्कि महत्वपूर्ण यह है कि वह कैसा जीवन जीता है। यानी किसी व्यक्ति की प्रतिष्ठा का मूल्यांकन समाज और देश के प्रति उसके योगदान के आधार पर ही होता है। पंडित गोपबंधु दास ने अपने छोटे से जीवनकाल में कितने अच्छे काम किए, यह सोचना आश्चर्यजनक है।
मुर्मु ने कहा कि दास अच्छी तरह जानते थे कि उचित शिक्षा के बिना कोई भी समाज या राष्ट्र प्रगति नहीं कर सकता। इसीलिए उन्होंने पुरी जिले के सत्यबाड़ी में मुक्ताकाश स्कूल की स्थापना की, जिसे वन विद्यालय के नाम से भी जाना जाता है। उन्होंने कहा, छात्रों को शुरू से ही प्रकृति से परिचित कराने का उनका तरीका बहुत महत्वपूर्ण है। पंडित गोपबंधु ने वन विद्यालय के माध्यम से छात्रों के समग्र विकास पर जोर दिया।
राष्ट्रपति ने कहा कि गोपबंधु दास ने 1919 में समाज अखबार का प्रकाशन शुरू किया और इसके माध्यम से उन्होंने स्वतंत्रता का संदेश फैलाया। उन्होंने इस अखबार के माध्यम से लोगों की समस्याओं को भी उठाया। अखबार में उनके संपादकीय ने ओड़िया साहित्य को समृद्ध किया है। दास राष्ट्रवाद और लोकतांत्रिक मूल्यों में विश्वास करते थे।
उनकी कविताएं और गद्य देशभक्ति और विश्व कल्याण का संदेश देते हैं। वे ओड़िया गौरव के साथ-साथ भारतीय राष्ट्रवाद के लिए भी समर्पित थे। राज्यपाल रघुबर दास, मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी और केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने भी कार्यक्रम को संबोधित किया।
यह हिन्दुस्तान अखबार की ऑटेमेटेड न्यूज फीड है, इसे लाइव हिन्दुस्तान की टीम ने संपादित नहीं किया है।
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