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पीस बिल्डर्स फोरम इण्डिया के राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया।
देश और दुनिया में शांति एवं अहिंसा का माहौल बनाने और उसे बनाए रखने में सबसे बड़ी भूमिका बच्चों और युवाओं की है, ऐसे में यह जरूरी है कि उन्हें न केवल इस बारे में शिक्षित किया जाए अपितु सक्रियता से जोड़ा भी जाए।
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पीस बिल्डर्स फोरम इण्डिया के यहां भट्टारक जी की नसियां में चल रहे राष्ट्रीय सम्मेलन के दूसरे दिन शनिवार को उसके संस्थापक राजगोपाल पीवी और जिल कार्ल हैरिस की मौजूदगी में शांति और अहिंसा के वातावरण को कायम रखने के उपायों पर चर्चा हुई।
शनिवार की की चर्चा में भारत सेवा संस्थान की ओर से पूर्व महाधिवक्ता गिरधारी सिंह बापना, सेन्टर फॉर यूथ डवलपमेंट एंड एक्टिविटीज महाराष्ट्र के शांताराम बडगूजर, ओडिशा से मनोज जेना और नेशनल यूथ प्रोजेक्ट के मधुसूदन दास आदि ने हिस्सा लिया। सभी ने देश में शांति और सद्भावना का वातावरण बनाए रखने के लिए अपने अनुभवजन्य सुझाव दिए।
शान्ति एवं अहिंसा के लिए सोचने वाले लोग को जोड़ें
बापना ने कहा कि सच यही है कि बिना राजनीतिक दलों के सहयोग और समर्थन के हम न तो इस मुहिम को गति दे सकते और ना इस लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि हर दल में शान्ति एवं अहिंसा के लिए सोचने वाले लोग होते हैं, जैसे राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत। हमें ऐसे सभी लोगों को अपने साथ जोड़ना है, ऐसे लोग भाजपा और आरएसएस में भी हो सकते हैं।आज की चर्चा में यह बात भी आई कि, अहिंसा का अर्थ अब केवल शारीरिक हिंसा नहीं करने तक ही सीमित नहीं है बल्कि अब इसके मायने यह भी हैं कि हम अपनी अर्थव्यवस्था को अहिंसक बनाएं जिसका मतलब उत्पादन, वितरण और उपभोग को शोषणमुक्त बनाना है।
इसी में सबका कल्याण है और यही सर्वोदय है। वक्ताओं का कहना था कि इन लक्ष्यों को समाज – समुदाय के नियंत्रण में ग्राम आधारित इकाईयों से हासिल किया जा सकता है। यह पर्यावरण मित्र और अपने से जुड़े सभी लोगों की समान हिस्सेदारी पर आधारित होंगी। उपभोक्ता शिक्षा के माध्यम से यह हो सकता है जिसमें उद्योग भी अपने उत्पाद के लिए जवाबदेह बनेंगे। शिक्षा व्यवस्था के सुदृढ़ीकरण, जिसमें वर्तमान मॉडल्स के साथ शिक्षकों को विभिन्न प्रशिक्षणों के माध्यम से शिक्षित करके और अहिंसा एवं शान्ति के सिद्धान्तों को शैक्षिक पाठ्यक्रम में शामिल करने पर भी आज विचार विमर्श हुआ। इसी तरह शान्ति और अहिंसा के लक्षय को प्राप्त करने में ग्रामसभाओं की मजबूती और स्थानीय शासन में आम आदमी की भागीदारी बढ़ाने एवं संविधान के प्रिएंबल में शांति एवं अहिंसा को शामिल करने के लिए राजनीतिक दलों पर दबाव बनाने पर भी बात हुई।
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