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‘युग पुरुष संस्था’ में जिस अंकित कुमार गर्ग की मौत को छिपाया गया था, उसके बारे में नई जानकारी सामने आई है। दरअसल संस्था ने जिला प्रशासन को इसकी जानकारी नहीं दी थी। इसके पूर्व जब अंकित को उल्टियां होना शुरू हुई और खाना-पीना बंद हुआ तो संस्था ने पहले प
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संस्था द्वारा लगातार उन्हें फोन कर इंदौर आने को कहा गया। फिर अगले दिन परिवार को डैड बॉडी सुपुर्द कर पंचकुईया मुक्ति धाम पर दफना दिया गया। परिवार हैरत में है कि उन्हें न तो मौत का सही कारण बताया गया और न ही पोस्टमॉर्टम कराया गया। अब जब उन्हें पूरे केस की जानकारी लगी तो वे काफी व्यथित हैं।
यह है पूरा मामला
पन्ना के अंकित कुमार गर्ग को बाल कल्याण समिति (पन्ना) द्वारा 23 जनवरी 2023 को ‘युग पुरुष’ को सौंपा गया था। उस दौरान उसकी उम्र 9 वर्ष थी। तब उसके पिता पत्नी रश्मि की हत्या के जुर्म में सतना जेल में सजा काट रहे थे। अंकित जन्म से मानसिक और शारीरिक रूप से बीमार है। इसके चलते सतना जेल प्रबंधन ने उसकी कमजोर हालत देख उसे पिता के साथ न रखने से मना कर दिया। फिर बाल कल्याण समिति (पन्ना) ने उसकी जांचे करवाई। इसमें मानसिक और शारीरिक रूप से कमजोर पाए जाने पर ‘युग पुरुष’ को सौंपा।
अंकित की छोटी बहन गुड़िया (6) है। चचेरे भाई विनय ने बताया कि हमारी अंकित से कई माह तक बात नहीं हो पाती थी। संस्था की ओर से बताया गया था कि यहां बात नहीं कराई जाती। आखिरी बार अंकित से कब बात हुई थी यह भी परिवार को याद नहीं है। 2023 में जब उसे संस्था में रखा गया था तब दो-तीन बाद उसकी खेलते और देखरेख करते चार-पांच वीडियो भेजे गए थे। इसके बाद कोई वीडियो नहीं भेजा।
विनय के अनुसार 30 जून की दोपहर संस्था ने उनके मोबाइल पर अंकित के दो वीडियो भेजे। एक में वह जमीन पर लेटा है। महिला केयर उसे चम्मच से कुछ खिला रही है, लेकिन वह खा नहीं रहा है। दूसरे वीडियो में अंकित का मुंह खुला है और ऐसा लग रहा है जैसे उसे सांस लेने में परेशानी हो रही है। विनय का कहना है कि संभवत यह वीडियो 28-29 जून के हैं। लेकिन जब उसकी हालत बिगड़ी तो 30 जून को भेजे गए।
आप जल्दी आ जाएं, अंकित की मौत हो गई है
संस्था की ओर से विनय को फोन कर बताया गया कि वह काफी कमजोर हो गया है। उसकी हालत खराब होती जा रही है, आप जल्द पहुंचे। इस पर भाई, पिता मनोज गर्ग, दादा आदि रात को इंदौर के लिए निकलने की तैयारी कर रहे थे। देर रात उनके पास संस्था से फिर फोन आया कि उसकी मौत हो गई है। आप जल्दी आ जाए। इस पर परिवार अवाक रह गया। इस बीच संस्था से कई बार फोन आते रहे कि जल्द आ जाए। अगले दिन परिजन दोपहर को इंदौर पहुंचे।
अस्पताल में नहीं दिखाया
विनय ने बताया कि जब हमने संस्था की प्रिंसिपल अनीता शर्मा से पूछा तो उन्होंने कहा कि वह खाना नहीं खा रहा था। उसे उल्टियां हुई थी। उसे इंजेक्शन भी लगाया गया था। कमजोर होने के कारण उसकी मौत हो गई। विनय का कहना है कि उसे अगर समय पर डॉक्टर को दिखाया जाता या अस्पताल पहुंचा दिया जाता तो उसकी जान बच सकती थी। उसका पोस्टमॉर्टम भी नहीं कराया गया। हमसे कागजी प्रक्रिया पूरी करवाकर अंतिम संस्कार करा दिया गया।
मौत का कारण पता नहीं चलने का अफसोस
परिवार को जब इस पूरे मामले की जानकारी मीडिया की खबरों से लगी कि 6 बच्चों की मौत हो चुकी है और 60 से ज्यादा बीमार हैं। ऐसे में उनके जेहन में भी अब सवाल है कि अंकित की मौत भी संभवत: डायरिया, हैजा आदि के चलते हुई। उन्हें अंकित की मौत का गम के साथ अफसोस इस बात का है कि मौत किस कारण से हुई यह पता नहीं चला। साथ ही उसे अस्पताल में दिखाया नहीं गया। विनय का कहना है जब उसे संस्था में रखा गया तो उस दौरान के वीडियो में वह अच्छा लग रहा था। फिर जब आखिरी बार (शव को) देखा तो विश्वास नहीं हुआ कि उसकी हालत इतनी गिर जाएगी विश्वास नहीं होता
हमारे सामने हुई थी एक और मौत
विनय के मुताबिक 1 जुलाई को जब हम संस्था में थे तो पता चला कि यहां एक अन्य शुभम नामक बच्चे की भी मौत हो गई है। शाम को हम पन्ना के लिए रवाना हो गए लेकिन अगले दिन से पता चला कि वहां पांच बच्चों की मौत हुई है और कई बीमार होकर अस्पताल में भर्ती हैं।
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