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पशु चिकित्सालय में हिमालयन बिल्ली का इलाज कराने पहुंची महिला।
– फोटो : अमर उजाला
विस्तार
नगर निगम में लगभग 850 कुत्तों और बिल्ली का पंजीकरण हुआ है। इनकी कीमत 70 से 80 हजार रुपये तक है। एक हिमालयन बिल्ली की कीमत 35000 हजार रुपये है। प्राइवेट अस्पतालों में इनके इलाज का पर्चा 100 से 500 रुपये तक बनता है।
वहीं, सामान्य इलाज में हजार से पंद्रह सौ रुपये तक खर्च होते हैं। जबकि, कबीरचौरा में नगर निगम के पशु चिकित्सालय में ये काम मात्र 10 रुपये के पर्चे पर हो जाता है। इसलिए इनके मालिक यहीं पर पालतू जानवरों का इलाज कराते हैं।
पशु चिकित्सक डॉ. शशांक कुमार पांडेय ने बताया कि हर महीने करीब 600 जानवरों का इलाज किया जाता है। ज्यादातर विदेशी नस्लों के कुत्ते, बिल्ली, चिड़िया, सफेद चूहे होते हैं। रोज करीब 7 विदेशी नस्लों के पालतू जानवरों का इलाज होता है। जिनसे दस रुपये चार्ज लिया जाता है।
वहीं, चिकित्सालय में कुछ दवाएं उपलब्ध होती हैं। बाकी दवाएं बाहर से लेनी पड़ती हैं। जो कि कम दाम की होती हैं। विदेशी नस्ल के जानवर भारत के मौसम के आदी नहीं होते। इसलिए मौसम परिवर्तित होते ही ये बीमार पड़ने लगते हैं।
जानवरों के मालिक ने बताया कि इनका खानपान और रहन-सहन अलग होता है। साथ ही मौसम के अनुसार रखरखाव करना होता है। जिसमें रोजाना एक हजार रुपये खर्च आता है। अगर इनकी देखरेख में कमी हो जाती है तो तबीयत बिगड़ जाती है।
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