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मस्जिद को अटाला माता मंदिर बताने का मामला।
– फोटो : अमर उजाला
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अपर सिविल जज (जूनियर डिवीजन) शहर की अदालत ने अटाला मस्जिद मामले में प्रतिवादी को नोटिस जारी करने का आदेश दिया है। इसकी पैरवी वादी को करनी है। अदालत ने यह भी कहा है कि प्रतिवादी का व्हाट्स एप या फिर ई-मेल आईडी उपलब्ध कराई जाए ताकि इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से नोटिस भेजा जा सके। मामले की अगली सुनवाई अब 16 जुलाई को होगी।
अपर सिविल जज (जूनियर डिवीजन) शहर की अदालत में अटाला मस्जिद को प्राचीन अटला देवी मंदिर बताते हुए पीस कमेटी जामा मस्जिद के खिलाफ वाद दाखिल किया गया।
वादी के अधिवक्ता ने बहस के दौरान अदालत से स्थायी आदेश की मांग की थी। लेकिन, अदालत ने आदेश दिया कि प्रतिवादी को सुनवाई का अवसर दिए बिना एकपक्षीय आदेश जारी करने का कोई आधार प्रतीत नहीं होता है। इसलिए प्रतिवादी को नोटिस जारी करने का आदेश दिया। वादी को नोटिस की पैरवी करने का आदेश भी दिया।
अदालत ने अपने आदेश में लिखा कि यदि वादी के पास प्रतिवादी का व्हाट्सएप या ईमेल आईडी उपलब्ध हो तो उसे उपलब्ध कराएं ताकि न्यायालय द्वारा इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से भी नोटिस भेजा जा सके। मुकदमे में वक्फ अटाला मस्जिद जरिये सेक्रेटरी को विपक्षी पक्षकार बनाया गया है।
दरअसल, मड़ियाहूं निवासी और स्वराज वाहिनी के प्रदेश अध्यक्ष संतोष कुमार मिश्रा ने पीस कमेटी जामा मस्जिद (अटाला मस्जिद) मोहल्ला सिपाह के खिलाफ वाद दायर किया है।
उनका कहना है कि नगर में 13 वीं शताब्दी में तत्कालीन राजा विजय चंद्र ने अटला देवी की मूर्ति स्थापित कर मंदिर बनवाया था। इसमें सनातन धर्म के लोग पूजा-कीर्तन करते थे। 13 वीं शताब्दी में फिरोज शाह तुगलक ने आक्रमण किया और जौनपुर पर अपना आधिपत्य स्थापित कर लिया। उसने अटला देवी मंदिर की भव्यता देखी और उसे तोड़वा दिया।
मंदिर के खंभों पर ही मस्जिद का आकार दे दिया, जो वर्तमान में अटाला मस्जिद है। वादी ने न्यायालय से मांग किया कि सनातन धर्मावलंबियों को वहां पूजा अर्चना करने का अधिकार दिया जाए। इस्लाम धर्म के व्यक्तियों का वहां से कोई वास्ता सरोकार नहीं है।
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